उत्सव मनाइये
त्याग घृणा द्वेष सब,
छोड़ धूर्त्त-भाव अब,
आत्म-बोध जान कर,
सत्य-बोध पाइये।
प्रेम-पंथ की सुगंध,
नव-सृजन को रचे,
भाव-लोक मिल गये,
ऐक्य-सुख लाइये।
आनंद ही आनंद है,
दुख तिमिर लुप्त है,
कंठ भरे गीत नव,
खुश रह गाइये।
मन बसंती हो गया,
कूकती मन कोकिला,
अमराई छांव तले,
उत्सव मनाइये।।
-राज किशोर वाजपेयी
मो. 9425003616
#उत्सव मनाइये

