कहानी नई सुबह

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मित काफी सोच-विचार के बाद बोला- ‘जब तक इसे होश नहीं आ जाता, इसे छोड़कर जाना ठीक नहीं। आज रात हम दोनों यहीं रहेंगे।’ अमित बोला। 
सुबह कमली को होश आ गया। सामने अपने मालिक और मालकिन को देखकर बोली- ‘आप दोनों यहां। मुझे यहां लेकर कौन आया था?’
अनुराधा मुस्कुराकर बोली- ‘जब तुम काम पर नहीं आ रही थी तो सोचा हाल-चाल जानने के लिए तुमसे मिला जाये। यही सोचकर तुम्हारे घर गयी थी लेकिन वहां का दृश्य देखकर मैं दंग रह गयी। रीना ने मुझसे झूठ कहा था कि तुम्हारी तबियत खराब है, किंतु वहां का नजारा कुछ और ही कहानी बयां कर रहा था। मैं तुम्हें अस्पताल लेकर आ गयी।’
यह सुनते ही कमली की आंखों में आंसू आ गये और बोली- ‘मेम साहब! आज के जमाने में भी गरीबों के दुख-दर्द समझने वाले इंसान हैं। आप लोग इंसान नहीं, भगवान हैं, जो मुझे मौत के मुंह से निकालकर नयी ज़िंदगी दी। मैं आपका यह एहसान कैसे चुकाऊंगी? मेरे कहने पर ही रीना झूठ बोली। मेरी ज़िंदगी में रोज गाली-मार खाना लिखा है। यह सब बताकर आपको क्यों परेशान करती?’
मेम साहब कमली के आंसू पोछते हुए बोली- ‘मैं भगवान नहीं बल्कि तुम्हारी तरह इंसान हूं। इंसानियत आज भी ज़िंदा है। हर इंसान मतलबी नहीं होता, बल्कि कुछ लोगों में आज इंसानियत का जज्बा है। तुम पर कोई एहसान नहीं किया। यह तो हर इंसान का फर्ज है कि असहाय लोगों की सहायता करें। मैंने भी वही किया। आखिर यह सब कैसे हुआ?’
‘मेम साहब! रीना का पिता उमेश कोई काम नहीं करता। सारा दिन जुआ और शराब में डूबा रहता है। मैं और रीना लोगों के घरों में काम कर परिवार का पेट भरती हूं। वह हमारी मेहनत की सारी कमाई जुआ, शराब में उड़ा देता है। उस दिन वह पैसे मांग रहा था। मेरे पास फूटी कौड़ी भी नहीं थी। कहां से उसे पैसा देती? इसी बात को लेकर वह मुझसे उलझ गया। वह उस छोटे से घर को भी बेचना चाहता था। वह घर मेरे ससुर ने मेरे नाम कर दिया था। वह जानते थे कि यह नालायक घर भी बेच देगा। वह मुझसे जमीन के कागज पर अंगूठा लगाने को कह रहा था। मेरे इंकार करने पर उसने मुझे लाठी से बेतहाशा पीटने लगा। मुझे गरीब को कौन अस्पताल पहुंचाता? फिर धीरे-धीरे मेरी तबियत खराब होती चली गयी। अब मैं क्या करूं और कहां जाऊं? कुछ समझ में नहीं आता।’ कमली बोली। 
उसके आंसू पोछते हुए अनुराधा बोली- ‘तुम्हें कुछ सोचने की ज़रूरत नहीं। अब तुम मेरे घर में अपने बच्चों के साथ रहोगी।’
‘वह वहां आकर आपकी प्रतिष्ठा दांव पर लगा देगा। आप मुझे मेरे हाल पर छोड़ दीजिए।’ कमली बोली। 
‘आने दो उसे। उसे ऐसा सबक सिखाऊंगी कि फिर कभी वह तुम पर हाथ उठाने की हिम्मत नहीं करेगा।’ अनुराधा उसकी ओर देखते हुए बोली। 
‘हां, आने दो। उसकी सारी हेकड़ी निकाल दूंगा। उसे पुलिस के हवाले करवा दूंगा। तब उसे समझ में आयेगा कि औरत पर जुल्म करने का नतीजा क्या होता है? पत्नी के साथ दुर्व्यवहार नहीं बल्कि उसका सम्मान करना चाहिए लेकिन ऐसी नौबत नहीं आयेगी। वह आसानी से सब समझ जायेगा। अब तुम्हारे बच्चे काम नहीं बल्कि स्कूल जायेंगे।  मैं उनकी पढ़ाई का खर्च उठाऊंगा।’ अमित बोला। 
अनुराधा कमली को बच्चों के साथ अपने घर ले आयी। कमली शीघ्र ही स्वस्थ हो गयी। अब उसके बच्चे स्कूल जाने लगे थे। काफी दिन बीत गये कमली का पति कोई खोज-खबर लेने नहीं आया। अचानक एक दिन सुबह के समय बाहर का गेट खुला। अनुराधा अपने पति के साथ बरामदे में बैठी थी। एक व्यक्ति अपना सिर नीचे किये उन दोनों के करीब आकर खड़ा हो गया। 
‘तुम कौन हो और किससे मिलना है?’ अमित बोला। 
‘साहब! मैं कमली का पति उमेश हूं। कमली को घर ले जाना चाहता हूं। मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गयी। उससे माफी मांगना चाहता हूं।’ वह बोला। 
‘अब तुम्हें कमली की याद आयी। जब उसे जानवर की तरह पीट रहे थे तो उस समय दया नहीं आयी। सारा दिन जुआ और शराब में डूबे रहते हो। घर की औरत पर हाथ उठाना अच्छी बात है क्या? तुम्हें तो पुलिस के हवाले कर देना चाहिए। न बच्चों को पढ़ाते हो और न खुद कमाते हो। कमली और बच्चों की कमाई से शराब पीते हुए शर्म नहीं आती। अपने बच्चों से काम न कराकर उनका भविष्य संवारना चाहिए था लेकिन तुम उनके भविष्य बर्बाद करने पर तुले हो।’ अमित बोला। 
‘साहब! आगे से शिकायत का मौका नहीं मिलेगा। शराब, जुआ से किसी का घर नहीं बसता। यह बात मेरी समझ में आ गयी है। अब मैं खुद कमाकर बच्चों का भविष्य संवारूंगा। अब अपनी नयी ज़िंदगी की शुरूआत करना चाहता हूं।’ वह अमित के पैरों में गिरकर बोला। 
अनुराधा कमली को लेकर आ गयी और बोली- ‘कमली! तुम्हारा पति तुम्हें घर ले जाना चाहता है।’ 
‘मेम साहब! मैं इसके साथ नहीं जाऊंगी।’ कमली बोली। 
‘कमली मुझे माफ कर दो। मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है। चल अपने घर। अपनी नयी ज़िंदगी की शुरूआत करेंगे।’ उमेश हाथ जोड़कर बोला। 
अनुराधा और अमित के समझाने के बाद कमली उमेश के साथ घर जाने को राजी हुई। उमेश कमली और बच्चों को साथ लिए अपने घर की ओर जा रहा था। कमली को इस बात का एहसास हो गया था कि उसकी ज़िंदगी में अब नयी सुबह होने वाली है

(समाप्त)
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