चुनाव दंगल चौथे चरण में

लोकसभा के चौथे चरण के चुनाव समाप्त हो गए हैं। इस चरण में लगभग 64 प्रतिशत मतदान हुआ है। प्रथम तीन चरणों में देश भर में फैली इस सक्रियता में कहीं-कहीं हिंसा भी हुई परन्तु इसके बावजूद लोगों में ज्यादा उत्साह देखने को मिला। 11 अप्रैल को शुरू हुए चरणबद्ध यह चुनाव 19 मई तक 7 चरणों में होने हैं। प्रथम चरण में देश भर के अलग-अलग राज्यों में 91 सीटों पर चुनाव हुआ था। उसमें लगभग 69 प्रतिशत मतदान हुआ था। 18 अप्रैल को दूसरे चरण की 95 सीटों पर मतदान हुआ था, जिनमें 67.84 प्रतिशत वोट पड़े थे। तीसरे चरण में 23 अप्रैल को मतदान हुआ था, जिनमें 65.61 प्रतिशत वोट पड़े थे। इन चुनावों में हिंसा की कुछ घटनाओं के साथ-साथ वी.वी. पैट मशीनों में भी कुछ स्थानों पर गड़बड़ होने के समाचार मिले थे। 13 राज्यों और 2 केन्द्रीय शासित प्रदेशों में पड़े इन वोटों के दौरान गुजरात के गांधी नगर से अमित शाह और केरल के वायनाड से राहुल गांधी भी चुनाव लड़ रहे हैं। अब तक जम्मू-कश्मीर में जिन स्थानों पर चुनाव हुए, उनमें मत प्रतिशत काफी कम रहा है। चौथे चरण में बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, झारखंड, जम्मू-कश्मीर आदि राज्यों में 72 सीटों के लिए मतदान हुआ है। राजस्थान में 25 लोकसभा की सीटे हैं, जिनमें से 13 सीटों पर वोट पड़े हैं। इस राज्य के चुनावों को इसलिए दिलचस्पी से देखा जा रहा है, क्योंकि वर्ष-2014 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने सभी 25 सीटों पर कब्ज़ा कर लिया था, परन्तु पूर्व विधानसभा के हुए चुनावों में इसको काफी निराशा का मुंह देखना पड़ा था। इसी तरह बिहार में 5 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। यहां इस बार महागठबंधन अस्तित्व में आ चुका है, जिसमें कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा आदि पार्टियां शामिल हैं, जिनका मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ हो रहा है। मध्य प्रदेश में 6 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश में जहां लोकसभा की देश भर के राज्यों में से सबसे अधिक 80 सीटें हैं और जहां से प्रधानमंत्री भी चुनाव लड़ रहे हैं, में बड़े स्तर पर जातिवादी कतारबंदी उभरती नज़र आ रही है। भाजपा इस राज्य में अपने ढंग-तरीके से साम्प्रदायिक पत्ता भी खेल रही है। झारखंड में चाहे 3 सीटों पर चुनाव होने जा रहे हैं, परन्तु इस राज्य की लोकसभा में 14 सीटें हैं। इस राज्य में अधिकतर माओवादी प्रभाव होने के कारण इस छोटे राज्य को भी कई चरणों में बांटा गया है। पूर्व लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी को 14 में से 12 सीटें मिली थीं। महाराष्ट्र में 17 सीटों पर चुनाव हुए हैं। इस राज्य में दिलचस्प बात यह है कि शिव सेना और भारतीय जनता पार्टी जो गत 5 वर्षों से एक-दूसरे के साथ सरेआम मतभेद ज़ाहिर कर रही थी, अब एक बार फिर दोनों पार्टियां गठबंधन करके यह चुनाव लड़ रही हैं। जबकि शिव सेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई राज ठाकरे इनके विरुद्ध खड़े दिखाई दे रहे हैं। पश्चिम बंगाल में 42 लोकसभा सीटों में से 8 पर वोट डाले जा रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस की पिछली बार बढ़त रही, परन्तु इस बार इसको बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उड़ीसा की 21 लोकसभा सीटों में से 6 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं परन्तु यहां हमेशा से ही बीजू जनता दल का प्रभाव रहा है। नवीन पटनायक गत लम्बे समय से यहां स्थापित नेता बने रहे हैं। चाहे इन राज्यों में इन चुनावों में स्थानीय मामले भी उभर कर सामने आते रहे हैं, परन्तु जहां कांग्रेस 20 प्रतिशत बेहद गरीब परिवारों के लिए न्यूनतम आय की घोषणा कर रही है और इसके साथ ही वह सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की बात बार-बार कर रही है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा की चुनाव मुहिम में कांग्रेस शासन की 6 दशकों की कारगुज़ारी का उल्लेख किया जाता रहा है। इसके साथ ही इस बार चुनाव प्रचार में भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रवाद के मुद्दे को अधिक उभारने का प्रयास कर रही है। नि:संदेह जो भी महत्त्वपूर्ण मुद्दे इन चुनावों में सामने आए हैं, उन पर खरा उतर सकना नई सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, इसको ही सरकार की उपलब्धियों का आधार बनाया जा सकेगा।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द