प्याज़ की बढ़ती कीमतें

इन त्यौहारों के मौसम में प्याज़ की कीमतें आसमान छू रही हैं और जनता के आंसू निकाल रही हैं। भारत एक कृषि प्रधान देश है और प्रतिवर्ष लगभग 9 राज्यों में बाढ़ आती है, यह उचित नहीं है। भारत में जहां 65-70 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर हैं, वहां सबसे पहले कृषि विकास की ज़रूरत है और कृषि के लिए मुख्यत: इन तीन चीजों को ठीक करने की ज़रूरत है। सूखा, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण। परन्तु आज़ादी से आज तक कृषि विकास पर ढंग से काम ही नहीं हुआ, तब ही तो सबसे बड़ा लोकतंत्र होते हुए भी हम विश्व में विकसित नहीं हुए। अब कई राज्यों में बाढ़ के कारण पूरे देश में प्याज लगभग 50-60 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। सरकार महंगाई पर रोक लगाने के लिए ठोस योजनाएं क्यों नहीं बनाती है। जहां प्याज की कीमतें लगभग प्रति वर्ष बारिश के मौसम में बढ़ती हैं। वहीं आलू, पालक, हरी सब्ज़ियां आदि भी महंगी हुई हैं।  बेशक अब सरकार ने प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी है ताकि इसकी बढ़ रही कीमतों पर नकेल कसी जा सके, लेकिन जो लोग प्याज़ की जमाखोरी करके बेच रहे हैं, उन पर भी सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

—डा. एम.एल. सिन्हा