नई तकनीक न अपनाने वाले भट्ठा मालिकों को हाईकोर्ट से नहीं मिली कोई राहत

चंडीगढ़, 3 अक्तूबर (सुरजीत सिंह सत्ती): उद्योगों द्वारा किए जाते प्रदूषण को कम करने एवं राज्य के वातावरण को बचाने सम्बन्धी पंजाब सरकार के प्रयासों को आज उस समय ओर बल मिला जब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्य की आबो-हवा को प्रदूषित कर रहे भट्ठों के मालिकों के उस आवेदन को खारिज कर दिया गया, जिसमें उन्होंने भट्ठों का प्रदूषण कम करने हेतु सरकार द्वारा अनिवार्य की नई टैक्नॉलोगी लगाने से राहत मांगी थी। कै. अमरेन्द्र सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने आदेश जारी करते सारे भट्ठा मालिकों को 30 सितम्बर तक नई ईंडिऊस्ड ड्राफ्ट टैक्नॉलोजो अपनाने हेतु कहा था और इसके पश्चात किसी भी भट्ठे को पारम्परिक ढंग से चलाने की अनुमति नहीं होगी। सरकार ने नई इंडियूस्ट ड्राफ्ट टैक्नॉलोजी/जिग जैग टैक्नॉलोजी को न अपनाने वालों के खिलाफ जुर्माने सम्बन्धी आदेश भी जारी किए थे। राज्य सरकार के इन आदेशों के खिलाफ कई भट्ठा मालिकों ने अदालत तक पहुंच की थी परन्तु आज उनकी याचिकाओं पर पुन: सुनवाई शुरू होने पर कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा एवं न्यायाधीश एच.एस. सिद्धू के डिवीजन बैंच ने उक्त भट्ठा मालिकों को किसी किस्म की कोई राहत देने से इन्कार कर दिया। राज्य सरकार के आदेशों अनुसार नई तकनीक बगैर चलते भट्ठों को प्रदूषण फैलाने के बदले में जुर्माना भरना पड़ेगा। प्रतिदिन 30 हज़ार से ज्यादा ईंटें पकाने की समर्था वाले भट्ठे को प्रति महीना 25 हज़ार रुपए एवं 30 हज़ार से कम ईंटों की समर्था वाले भट्ठे को 20 हज़ार रुपए प्रति महीना जुर्माना भरना पड़ेगा।