कुशल कार्यबल हेतु स्किल इंडिया की बढ़ती भूमिका
आज की तेज़ी से बदलती वैश्विक अर्थव्यवस्था में कौशल और ज्ञान किसी भी देश की आर्थिक वृद्धि और सामाजिक प्रगति की आधारशिला हैं। भारत जिसकी औसत आयु 28 वर्ष है और जिसकी 65 प्रतिशत जनसंख्या कामकाजी आयु वर्ग में है, एक ऐतिहासिक जनसांख्यिकीय अवसर के मुहाने पर खड़ा है, लेकिन देश की आर्थिक सफलता उसके बढ़ते कार्यबल को उत्पादक और सार्थक भूमिकाओं में एकीकृत करने पर निर्भर करती है। दुख की बात है कि लंबे समय तक भारत के युवाओं की क्षमताएं उपेक्षित रही। परिणामस्वरूप देश के युवाओं विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षण केंद्रों और उद्योग संपर्कों की कमी के कारण व्यावसायिक प्रशिक्षण की पहुंच सीमित रही। 2011-12 तक केवल 2.2 प्रतिशत व्यक्तियों को औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त हुआ था।
इस चुनौती से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो भारत को दुनिया की मानव संसाधन और कौशल राजधानी के रूप में देखते हैं, ने 15 जुलाई, 2015 को ‘स्किल इंडिया मिशन’ अथवा ‘कौशल भारत मिशन’ की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य एक मांग-संचालित, तकनीक-सक्षम और उद्योग-उन्मुख कौशल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है।
पिछले 10 वर्षों में 20 केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा स्किल डेवलपमेंट योजनाओं को लागू करने के साथ देश भर में कौशल पारिस्थितिकी तंत्र बदल गया है। भारत का वर्कफोर्स आज वैश्विक अर्थव्यवस्था की ज़रूरतों के अनुरूप है।
बेहतर रोजगार क्षमता : भारत के युवा देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति की सबसे बड़ी ताकत हैं। स्किल इंडिया मिशन का लक्ष्य उनकी बहुमुखी प्रतिभा को उभारते हुए उन्हें नई तकनीकों और उद्योग की बदलती मांगों के अनुरूप सक्षम बनाना है। मिशन की प्रमुख योजनाओं के तहत 2014-2015 से 2023-2024 के बीच 7.67 करोड़ से अधिक लोगों को पहले ही प्रशिक्षित किया जा चुका है, ताकि उन्हें उभरते हुए नौकरी बाज़ारों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक कौशल से लैस किया जा सके। चूंकि युवाओं को सर्टिफिकेशन, प्रैक्टिकल ट्रेनिंग और इंडस्ट्री की ज़रूरतों के बारे में जानकारी प्रदान की गई है, इसलिए भारत के युवाओं की रोज़गार क्षमता 2014 में 33.9 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 51.3 प्रतिशत हो गई है।
कौशल विकास : स्किल इंडिया मिशन का प्रमुख घटक प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना है, जिसका उद्देश्य युवाओं को आवश्यक उद्योग-संबंधित कौशल से लैस करना है। 2015 से अब तक 1.6 करोड़ युवाओं को 250 से अधिक नौकरी भूमिकाओं में प्रशिक्षित किया गया है और 1.21 करोड़ को प्रमाणित किया गया है। देशभर के 704 ज़िलों में 10,000 से अधिक प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना से प्रशिक्षण की पहुंच और गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
प्रशिक्षुता संवर्धन : विश्व स्तर पर प्रशिक्षुता को कौशल प्राप्ति करते हुए कमाई करने का सबसे अच्छा मॉडल माना जाता है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना (पीएम-एनएपीएस) ने 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 51,000 से अधिक प्रतिष्ठानों में 43.47 लाख से अधिक प्रशिक्षुओं को नियुक्त किया है। प्रशिक्षुओं को नियुक्त करने के लिए एनएपीएस पोर्टल पर रजिस्टर्ड ‘प्रतिष्ठानों’ की संख्या 2016-17 में 17,608 से बढ़कर 31 अक्तूबर 2024 तक 2.38 लाख हो गई है।
डोरस्टेप ट्रेनिंग : स्किल भारत मिशन के तहत जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) योजना एक समुदाय-केंद्रित कौशल पहल है जो 290 केंद्रों के माध्यम से महिलाओं, ग्रामीण युवाओं और आर्थिक रूप से वंचित समूहों को सुविधाजनक समय के साथ कम लागत वाली, डोरस्टेप ट्रेनिंग प्रदान करती है। अब तक 27 लाख से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया है और 26 लाख से अधिक लोगों को (जेएसएस) योजना के तहत सर्टिफाइड किया गया है।
शिल्पकार प्रशिक्षण : स्किल इंडिया मिशन के तहत शिल्पकार प्रशिक्षण योजना देशभर के 15,000 से अधिक औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के नेटवर्क के माध्यम से दीर्घकालिक प्रशिक्षण प्रदान कर रही है, जो 2014 से 47 प्रतिशत की वृद्धि है। आईटीआई क्षमता 34.63 लाख हो गई है, जो 2015 की तुलना में 85.5 प्रतिशत की वृद्धि है। इसके अलावा उद्योग परामर्श के माध्यम से 63 पाठ्यक्रम, 35 नए ट्रेड और 11 उद्योग 4.0 पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं।
हाशिये पर पड़े लोगों का सशक्तिकरण : 2020-21 में शुरू की गई प्रधानमंत्री दक्षता और कुशलता संपन्न हितग्राही (पीएम-दक्ष योजना) के तहत हाशिए पर पड़े समुदायों पर विशेष ध्यान देते हुए अनुसूचित जाति, ओबीसी, विमुक्त जनजाति, ईडब्ल्यूएस और सफाईकर्मियों के लिए 366 करोड़ रुपये से अधिक के बजट के साथ 112 सूचीबद्ध संस्थानों के माध्यम से 80,000 से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है। पीएम विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत 559 ज़िलों के 3145 कौशल केंद्रों में 11.79 लाख से अधिक पारंपरिक कारीगरों को बुनियादी प्रशिक्षण दिया गया है।
व्यावसायिक शिक्षा : राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास पर विशेष जोर दिया गया है। जहां एक ओर संशोधित समग्र शिक्षा योजना के तहत स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा प्रदान की जा रही है, वहीं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने राष्ट्रीय कौशल योग्यता रूपरेखा (एनएसक्यूएफ) के तहत कौशल आधारित शिक्षा प्रदान करने की पहल की है और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने कौशल पाठ्यक्रमों को एकीकृत करने के लिए इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए पात्रता मानदंडों में लचीलापन लाया है।
कौशल प्रशिक्षण पर ध्यान : केन्द्रीय बजट 2025-26 में कौशल विकास और आजीविका कार्यक्रमों के लिए निधि आवंटन में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। कौशल विकास मंत्रालय की केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के लिए बजट 669 करोड़ रुपये (2024-25) से बढ़ाकर 2025-26 में 3050 करोड़ रुपये कर दिया गया है। कौशल मंत्रालय का कुल बजट 3241 करोड़ रुपये से बढ़कर 6017 करोड़ रुपये हो गया है। वहीं इंटर्नशिप कार्यक्रम के लिए आवंटन में भारी वृद्धि करते हुए 2024-25 में 380 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10,831 करोड़ रुपये किया गया है।
स्किल ट्रेनिंग के विस्तार और उद्यमशीलता की भावना को विकसित करने के साथ स्किल इंडिया मिशन ने कौशल, पुन: कौशल और अपस्किलिंग के लिए एक विशाल इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर स्थानीय और वैश्विक स्तर पर रोज़गार के नए अवसर सृजित किए हैं। कौशल विकास का अभियान न केवल रोज़गार सृजन कर रहा है, बल्कि आत्मनिर्भर और विकसित भारत की नींव भी रख रहा है।
सांसद राज्यसभा