राष्ट्रीय धरातल पर शिक्षा की दुरावस्था
देश भर में करवाये गये एक स्कूली शिक्षा सर्वेक्षण ने देश की शिक्षा नीति और पढ़ाई की स्थिति और गुणवत्ता की पोल-खोल कर रख दी है। इस सरकारी सर्वेक्षण के अनुसार देश भर में सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों की शिक्षा-गुणवत्ता को लेकर किसी भी स्तर पर चिन्ता किया जाना बनता है। रिपोर्ट के अनुसार देश के अधिकतर राज्यों जिनमें पंजाब भी शामिल है, के छठी कक्षा तक के 47 प्रतिशत तक बच्चे दस तक के पहाड़ों को पढ़ अथवा लिख नहीं सकते। प्राइमरी स्कूलों में कक्षा तीन के बच्चे 99 तक की गणना पूरी तरह न लिख सके, और न ही अंकों को पहचान पाये। सर्वेक्षण में जितने बच्चों को शुमार किया गया, यह स्थिति उनकी गणना के अनुसार है, किन्तु जिन बच्चों के नाम इस सर्वेक्षण में शुमार नहीं किये गये, उनकी स्थिति भी इस सर्वेक्षण रिपोर्ट से भिन्न कदापि नहीं है। इस संदर्भ में पढ़ाई के प्रति बच्चों में गहरी अरुचि पाई गई है। इस रिपोर्ट में यह भी दर्शाया गया है कि यह स्थिति शहरों और गांवों में एक समान पाई गई है, हालांकि पंजाब जैसे राज्यों में ग्रामीण धरातल पर स्थिति अधिक खराब है। ऐसे राज्यों के शहरी क्षेत्रों में शिक्षा की स्थिति गांवों की दशा से बेहतर है।
राष्ट्रीय सर्वेक्षण परख के तहत कराये गये इस सर्वेक्षण के अनुसार इसका आयोजन बच्चों के समग्र विकास को जानने की प्रक्रिया से अवगत होना था। इस प्रक्रिया के दौरान स्कूली बच्चों के ज्ञान के आंकलन, उसकी समीक्षा और फिर राष्ट्रीय स्तर पर उनका निरीक्षण किया जाना होता है। केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से यह सर्वेक्षण विगत वर्ष चार दिसम्बर को देश के 36 राज्यों जिनमें पंजाब भी शामिल रहा, और केन्द्र-शासित क्षेत्रों के 781 ज़िलों में कराया गया, और इसके अन्तर्गत इतने राज्यों के 74,229 सरकारी स्कूलों के तीसरी, छठी और नौवीं कक्षा के सरकारी सहायता-प्राप्त और निजी स्कूलों के 21 लाख से अधिक विद्यार्थियों को शामिल किया गया था। इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार इन स्कूलों के बच्चे अंग्रेज़ी और अन्य कई विषयों में भी कमज़ोर रहे जबकि गणित के विषय में अधिकतर बच्चे पिछड़े रहे। गणित में सरकारी स्कूलों के साथ सहायता-प्राप्त स्कूलों के विद्यार्थी भी अधिकतर पिछड़े रहे। केवल भाषायी स्तर पर बच्चों ने कुछ अच्छा प्रदर्शन करने की कोशिश की। इसका सामूहिकता के तौर पर सभी बच्चों पर कुछ अच्छा प्रभाव पड़ा दिखाई दिया।
नि:संदेह इस सर्वेक्षण में कक्षा तीन और कक्षा-नौ में पंजाब शीर्ष पर रहा है जबकि कक्षा-6 में पंजाब दूसरे स्थान पर रहा हालांकि गुजरात और तमिलनाडू दोनों स्तरों पर निचले क्रम में रहे। पंजाब की बात करें, तो बरनाला छठी कक्षा में पूरे देश में अव्वल रहा। कुल सर्वेक्षण के उच्च 50 स्थानों में से 20 पंजाब के हिस्से आये हैं। पंजाब के तीसरी कक्षा के उच्चतर स्थानों में संगरूर पूरे देश में अव्वल रहा। पंजाब में लड़कियों की पाठ्य क्षमता 56 प्रतिशत रही जोकि लड़कों के 52 प्रतिशत से चार प्रतिशत उच्च है। भाषायी समझ के आधार पर भी लड़कियां लड़कों से कहीं अधिक आगे पाई गई हैं। इस सर्वेक्षण के आधार पर एक बात यह स्पष्ट होती है, कि विद्यार्थियों का सामूहिक धरातल पर कौशल मज़बूत करने और बच्चों के सीखने की उम्र में उनकी पाठ्य क्षमता को बढ़ाये जाने के लिए सरकारों की नीतियों और शिक्षा-रणनीतियों में पर्याप्त सुधार किये जाने की बड़ी आवश्यकता है। शिक्षकों को विशेष धरातल पर प्रशिक्षण और निर्देशन किया जाना भी उतना ही आवश्यक प्रतीत होता है। इस सर्वेक्षण रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि स्कूलों में शिक्षा के धरातल पर अभी बड़े सुधारों की आवश्यकता है। बच्चों को किताबें, कापियां, वर्दी और अन्य रुचिकर सुविधाएं समय पर उपलब्ध कराये जाने से भी शिक्षा के स्तर को सुधारा जा सकता है। पंजाब के सरकारी और सहायता-प्राप्त स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की कमी भी, शिक्षा धरातल की इस न्यूनता के लिए उत्तरदायी बनती है। बिना पढ़ाई किये अथवा बिना परीक्षा दिये बच्चों को अगली कक्षा में ले जाने वाली नीति भी बुरी तरह विफल रही है। समय-समय पर बच्चों की क्षमता और बौद्धिकता का आकलन किया जाते रहना भी शिक्षा-सुधार हेतु बहुत ज़रूरी है। हम समझते हैं कि शिक्षा के धरातल पर मौजूद इस प्रकार की तमामतर त्रुटियों को दूर करने और रणनीतियों में सुधार की प्रक्रिया को जितनी जल्दी सम्पन्न किया जा सकेगा, उतना ही इस देश की शिक्षा व्यवस्था के लिए अति उत्तम होगा।