कनेक्टिविटी के युग में अकेलेपन का शिकार हो रहे लोग
कनेक्टिविटी के इस युग में अकेलापन एक महामारी के रूप में पांव पसार रहा है। हालात इस हद तक पहुंच चुके हैं कि दुनिया का हर छठा व्यक्ति अकेलेपन से जूझ रहा है। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सामाजिक जुड़ाव आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दुनिया भर में 6 में से 1 व्यक्ति अकेलेपन का शिकार है। अकेलेपन से हर घंटे अनुमानित 100 मौतें होती हैं यानि सालाना 8 लाख 71 हजार से ज़्यादा मौतों का कारण अकेलापन है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मज़बूत सामाजिक जुड़ाव बेहतर स्वास्थ्य और लंबी ज़िन्दगी की ओर ले जा सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस के अनुसार इस युग में जब जुड़ने की संभावनाएं अनंत हैं अधिक से अधिक लोग खुद को अलग-थलग और अकेला पा रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार अकेलापन सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है, खासकर युवाओं और निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में रहने वाले लोगों को। 13-29 वर्ष की आयु के 17.21 प्रतिशत व्यक्तियों ने खुद को अकेलापन से प्रभावित बताया। इसमें किशोरों में सबसे अधिक दर थी। कम आय वाले देशों में लगभग 24 फीसदी लोगों ने बताया कि वे अकेलापन के शिकार हैं। उच्च आय वाले देशों में लगभग 11 प्रतिशत की दर पाई गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के सह अध्यक्ष चिडो मपेम्बा के अनुसार डिजिटल रूप से जुड़ी दुनिया में भी कई युवा लोग अकेलापन महसूस करते हैं।
जैसे-जैसे तकनीक हमारे जीवन को नया आकार दे रही है, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह मानवीय संबंधों को मज़बूत करे न कि कमज़ोर करे। रिपोर्ट से पता चलता है कि खराब स्वास्थ्य, कम आय और शिक्षा, अकेले रहना, अपर्याप्त सामुदायिक बुनियादी ढांचा, सार्वजनिक नीतियां और डिजिटल प्रौद्योगिकियां अकेलेपन के प्रमुख कारणों में शामिल हैं। रिपोर्ट युवा लोगों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण पर अत्यधिक स्क्रीन समय या नकारात्मक ऑनलाइन बातचीत के प्रभावों के बारे में सतर्कता की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
सामाजिक संबंध जीवन भर स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं। यह संबंध गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को कम कर सकता है, मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकता है और समय से पहले मृत्यु को रोक सकता है। यह सामाजिक ताने-बाने को भी मज़बूत कर सकता है जिससे समुदायों को स्वस्थ, सुरक्षित और अधिक समृद्ध बनाने में योगदान मिलता है। इसके विपरीत अकेलापन और सामाजिक अलगाव स्ट्रोक, हृदय रोग, मधुमेह, संज्ञानात्मक गिरावट और समय से पहले मृत्यु के जोखिम को बढ़ाता है। यह मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है, अकेले रहने वाले लोगों में अवसाद होने की संभावना दोगुनी होती है। अकेलेपन से चिंता और खुद को नुकसान पहुंचाने या आत्महत्या के विचार भी आ सकते हैं। इसका प्रभाव सीखने और रोज़गार तक फैला हुआ है। अकेलेपन को महसूस करने वाले किशोरों में कम ग्रेड या योग्यता प्राप्त करने की संभावना 22 प्रतिशत अधिक थी। अकेले रहने वाले वयस्कों को रोज़गार पाना या बनाए रखना कठिन हो सकता है और समय के साथ उनकी कमाई कम हो सकती है।
सामुदायिक स्तर पर अकेलापन सामाजिक सामंजस्य को कमज़ोर करता है और उत्पादकता और स्वास्थ्य देखभाल में अधिक खर्च करता है। मज़बूत सामाजिक बंधन वाले समुदाय आपदाओं के दौरान भी सुरक्षित, स्वस्थ और अधिक लचीले होते हैं। सामाजिक संपर्क पर विश्व स्वास्थ्य संगठन आयोग की रिपोर्ट में वैश्विक कार्रवाई के लिए एक रोडमैप की रूपरेखा दी गई है जिसमें पांच प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया—नीति, अनुसंधान, हस्तक्षेप, बेहतर माप (एक वैश्विक सामाजिक संपर्क सूचकांक विकसित करना शामिल है) और सार्वजनिक जुड़ाव। सामाजिक सम्पर्क पर विश्व स्वास्थ्य संगठन आयोग के सह अध्यक्ष और अमरीका के पूर्व सर्जन जनरल डॉ. विवेक मूर्ति ने कहा कि इस रिपोर्ट में हम अपने समय की एक परिभाषित चुनौती के रूप में अकेलेपन और अलगाव पर से पर्दा हटाते हैं। हमारा आयोग इस बात के लिए एक रोड मैप तैयार करता है कि हम कैसे अधिक जुड़े हुए जीवन का निर्माण कर सकते हैं और स्वास्थ्य, शैक्षिक और आर्थिक परिणामों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ सकता है। (अदिति)