डिजिटल दुनिया का द्वार, एआई के साथ युवा तैयार

आज विश्व युवा कौशल दिवस पर विशेष

आज के प्रतिस्पर्धात्मक और तेजी से बदलते वैश्विक परिवेश में युवाओं के लिए महज पारंपरिक शिक्षा ही पर्याप्त नहीं है बल्कि उन्हें बदलते समय के साथ तकनीकी, डिजिटल और व्यावसायिक कौशल से भी सुसज्जित होना ज़रूरी है। इसी संदर्भ में हर वर्ष 15 जुलाई को ‘विश्व युवा कौशल दिवस’ मनाया जाता है, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2014 में घोषित किया गया था। इस दिवस का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर युवाओं के कौशल विकास की आवश्यकता को रेखांकित करना है ताकि वे भविष्य के रोज़गार की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बन सकें। वर्ष 2025 की थीम है ‘एआई और डिजिटल कौशल के माध्यम से युवा सशक्तिकरण’, जो इस वर्ष की सबसे प्रासंगिक और चुनौतीपूर्ण वैश्विक आवश्यकता को दर्शाता है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस का कहना है कि चूंकि एआई हमारी दुनिया को नया आकार दे रहा है, इसलिए युवाओं को केवल शिक्षार्थी के रूप में नहीं बल्कि एक अधिक न्यायसंगत डिजिटल भविष्य के सह-निर्माता के रूप में देखा जाना चाहिए।
तकनीकी क्रांति ने वर्तमान समय में जिस तरह से रोज़गार के स्वरूप को बदला है, उसमें अब केवल डिग्री या अकादमिक योग्यता पर्याप्त नहीं रह गई है बल्कि ‘चौथी औद्योगिक क्रांति’ के युग में एआई, मशीन लर्निंग, डेटा साइंस, ब्लॉकचेन, ऑगमेंटेड रियलिटी और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में दक्षता युवाओं के लिए सफलता की कुंजी बन गई है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की वर्ष 2024 की रिपोर्ट के अनुसारए वैश्विक स्तर पर 15 से 24 आयु वर्ग के लगभग 73 मिलियन युवा बेरोज़गार हैं, जिनके पास कार्य संबंधी उपयुक्त कौशल नहीं हैं। वहीं विश्व आर्थिक मंच की ‘फ्यूचर ऑ़फ जॉब रिपोर्ट 2023’ के अनुसार, वर्ष 2025 तक करीब 85 मिलियन नौकरियां स्वचालन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रभाव में समाप्त हो सकती हैं लेकिन साथ ही 97 मिलियन नई भूमिकाएं भी अस्तित्व में आएंगी, जो पूरी तरह डिजिटल और टेक्नोलॉजी-केंद्रित होंगी। इसका अर्थ यह है कि युवाओं को केवल नौकरी ढूंढने के लिए ही नहीं बल्कि उन्हें बनाने और नेतृत्व करने के लिए भी तकनीकी रूप से सशक्त होना होगा।
भारत, जो विश्व का सबसे युवा देश है, जहां की लगभग 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है, वहां यह दिन और भी अधिक प्रासंगिक हो जाता है। ‘स्किल इंडिया मिशन’ व ‘डिजिटल इंडिया’ जैसी पहलों के माध्यम से केंद्र सरकार ने युवाओं को कौशल संपन्न बनाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। नेशनल स्किल डवलपमेंट कॉरपोरेशन के अनुसार वर्ष 2015 से लेकर अब तक लगभग 3 करोड़ युवाओं को विभिन्न व्यावसायिक प्रशिक्षणों से जोड़ा जा चुका है। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, संकल्प और स्ट्राइव जैसी योजनाएं युवाओं को उद्योगोन्मुखी प्रशिक्षण प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। हालांकि अब चुनौती है कि इन कार्यक्रमों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता और भविष्य के डिजिटल कौशल की दिशा में और अधिक केंद्रित किया जाए ताकि भारत का युवा वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पीछे न रहे।
एआई अब केवल एक तकनीक नहीं, सामाजिक और आर्थिक पुनर्निर्माण का एक माध्यम बन गया है। स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर कृषि, परिवहन से लेकर आपदा प्रबंधन तक, हर क्षेत्र में एआई का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। ऐसे में युवाओं को केवल इसके उपयोगकर्ता नहीं बल्कि निर्माता के रूप में भी तैयार करना होगा। यदि युवाओं को एआई टूल्स, एल्गोरिदम, डेटा विश्लेषण व नैतिकता की शिक्षा स्कूल और कॉलेज स्तर पर दी जाए तो वे वैश्विक नवाचार की दौड़ में अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा हाल ही में प्रकाशित एक नीति पत्र में यह स्पष्ट किया गया कि डिजिटल कौशल विकास, विशेषकर महिलाओं और वंचित वर्गों के युवाओं के लिए वैश्विक समानता के लिए भी अनिवार्य है। डिजिटल कौशल न केवल आजीविका का साधन बनते हैं बल्कि वे सामाजिक सशक्तिकरण का भी माध्यम हैं। इस वैश्विक चुनौती से निपटने के लिए बहुपक्षीय संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियों की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। जैसे कि संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी), यूनेस्को, आईएलओ और विश्व बैंक मिलकर कई देशों में डिजिटल कौशल केंद्र स्थापित करने में मदद कर रहे हैं। इसी तरह भारत भी अन्य विकासशील देशों के साथ मिलकर ‘ग्लोबल साउथ’ के युवाओं के लिए साझा डिजिटल मंच का निर्माण कर सकता है, जो कौशल, नवाचार और रोज़गार के लिए वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देगा।
विश्व युवा कौशल दिवस की वर्ष 2025 की थीम यह सोचने को प्रेरित करती है कि जब दुनिया एआई से संचालित हो रही है, तब क्या हमारे युवा उसके साथ कदमताल कर पा रहे हैं? क्या वे डिजिटल भविष्य के निर्माता बन रहे हैं या केवल उपभोक्ता बने हुए हैं? यह समय है जब हम इस दिशा में गंभीरता से सोचें और वैश्विक तथा राष्ट्रीय स्तर पर एक संयुक्त रणनीति के साथ युवाओं को डिजिटल और एआई युग के लिए तैयार करें। जब एक युवा सशक्त होता है, तब केवल उसका परिवार नहीं बल्कि एक समाज, एक राष्ट्र और अंतत: पूरी मानवता सशक्त होती है। तकनीक और मानवता के इस संगम में यदि सही दिशा और नीति के साथ निवेश किया जाए तो युवा केवल कौशलवान नहीं बल्कि विश्व परिवर्तन के अग्रदूत बन सकते हैं।

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