आंखों की रोशनी को आप भी रख सकते हैं  बरकरार

आंख शरीर का एक नाजुक व अत्यधिक महत्त्वपूर्ण अंग है। अच्छी आंखों के लिए अच्छा स्वास्थ्य आवश्यक है। पूरे शरीर को चुस्त-दुरूस्त व स्वस्थ रखकर ही आंखों के अच्छे स्वास्थ्य की अपेक्षा की जा सकती है। शरीर अस्वस्थ हो और उसके परिणामस्वरूप यदि आंख खराब हो रही हो तो ऐसी स्थिति में शारीरिक तकलीफों की उपेक्षा करके केवल आंखों के उपचार से अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकती।
भोजन में सभी प्रकार के पोषक तत्वों, उदाहरण के लिए प्रोटीन, कार्बोहाइडे्रट, वसा, विटामिन, खनिज तत्व, जल व रेशा सभी का आंखों के स्वास्थ्य से गहरा संबंध है। इनमें से किसी भी अवयव की न्यूनता शरीर के साथ-साथ आंखों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। 
विटामिन ‘ए’ की कमी के कारण रतौंधी व आंखों के अग्रभाग की शुष्कता, नामक रोग उत्पन्न हो जाते हैं। ये कई बार अंधेपन में परिणित हो जाते हैं। अत्यधिक त्रुटि आने पर नेत्र गोलक का पारदर्शक पटल नरम पड़ जाता है। यह स्थिति ‘केरेटोमेलसिया’ कहलाती है।
विटामिन ‘ए’ दूध, मक्खन, घी, पके आम, पपीता, गाजर, तरबूज, टमाटर, हरी सब्जियों आदि में प्रचुरता से पाया जाता है। विटामिन ‘बी’ समूह भी स्वस्थ दृष्टि के लिए बहुत उपयोगी है, विशेष रूप से बी-1, बी-2 व बी-12। ये विटामिन मुख्यत: दूध, दही, अनाज (गेहूं) सोयाबीन, सूखे फल व मेवों आदि से प्राप्त होते हैं। इनकी कमी से ’आप्टिक नर्व’ सही ढंग से कार्य नहीं कर पाती है। 
यदि पानी में आधे नींबू का रस या आंवले की ऋतु में दो-तीन आंवले का रस मिला लिया जाए तो स्वास्थ्य के लिए सोने में सुहागा की स्थिति बनती है। आंखों को स्वस्थ रखने के लिए निम्नांकित बिन्दुओं पर ध्यान देना चाहिए:-
 * धुएं व आग के ताप से बचना चाहिए तथा धूल, कचरा आदि आंखों में न पड़े।
*   दिन में एक-दो बार ठंडे व ताजे जल से आंखों को धोना चाहिए।
* संक्रामक रोगों जैसे-चेचक, खसरा आदि में आंखों में एक या दो बार कोई एन्टीबायोटिक आई ड्रॉप्स डालनी चाहिए।
*  आंखों के दृष्टि दोष में हर रोज एक घण्टे तक पूर्ण आराम देना लाभदायक होता है।
*  सिर पर धीरे-धीरे पानी डालना आंखों के लिए हितकारी होता है। स्नान करने के बाद नल के नीचे एक-दो मिनट तक सिर पर पानी की पतली धार का सेवन करना लाभदायक होता है।
*  दिन में तीन-चार बार पैरों को ठंडे पानी से धोने से नेत्र शक्ति बढ़ती है।

(स्वास्थ्य दर्पण)
-आनंद कुमार अनंत