भारत-पाक संबंधों को सुखद मोड़ दे सकता है करतारपुर गलियारा

वर्षों पुरानी मुराद आज पूरी होने जा रही है। आज से भारत स्थित डेरा बाबा नानक साहिब और पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब एक गलियारे के दो छोर हो जायेंगे। यह हो तो 1947 में ही जाना चाहिए था, क्योंकि जमीन भले ही दो देशों  के रूप में बंट गयी थी, इस सरजमीं की विरासत तो एक ही थी, लेकिन खैर ! जो नहीं हुआ उसके लिए रोना क्या ? जो अब जाकर हुआ है, हम सब कोशिश करें, वह दोस्ती और मुहब्बत का बायस बने। वह समझदारी की मिसाल बने। मालूम हो कि आज गणमान्य तीर्थ यात्रियों का एक आधिकारिक जत्था पंजाब प्रांत में स्थित डेरा बाबा नानक साहिब से पाकिस्तानी पंजाब के नारोवाल जिला के  कस्बा करतारपुर में स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब के दर्शन हेतु कूच करेगा। श्रद्धालुओं के इस पवित्र जत्थे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरी झंडी दिखाएंगे। वास्तव में वही करतारपुर कारीडोर का उदघाटन करेंगे। इस पहले जत्थे में 670 श्रद्धालु शामिल होंगे। पहला जत्था दो पवित्र गुरुद्वारों को जोड़ने के लिए बनाये गए 3.8 किलोमीटर के करतारपुर गलियारे का पहली बार इस्तेमाल करेगा।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कॉरिडोर के उद्घाटन के बाद गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए जो पहला जत्था रवाना होगा, उसमें 670 श्रद्धालु शामिल होंगे। इस पहले जत्थे में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह, कैबिनेट मंत्री हरदीप सिंह पुरी, सांसद सनी देओल और नवजोत सिंह सिद्धू सहित बड़ी संख्या में विधायक और दूसरे मंत्री होंगे। श्री करतारपुर साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं को कई बातें ध्यान में रखनी होंगी। श्रद्धालु सुबह 4 बजे श्री करतारपुर साहिब के लिए रवाना होंगे और उसी दिन शाम तक वापस लौट आयेंगे। ये अपने साथ सिर्फ  11 हजार रुपये नकदी और 7 किलो तक के वजन का बैग लेकर ही जा सकेंगे। श्रद्धालु अपने साथ मोबाइल फोन या फिर कैमरा लेकर नहीं जा सकेंगे। उन्हें वहां फोटो खींचने की अनुमति भी नहीं होगी।श्रद्धालुओं के लिए गुरुद्वारा साहिब में लंगर और प्रसाद की व्यवस्था रहेगी। 30 हजार संगत के लिए लंगर की व्यवस्था होगी। 24 एंबुलेंस हर समय तैनात रहेंगी। हालांकि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने हाल में यह ऐलान किया था कि 9 नवम्बर से 11 नवम्बर, 2019 के बीच यात्रा करने वालों को न तो पासपोर्ट की ज़रूरत होगी और न ही 20 डॉलर का सेवा शुल्क देना होगा, लेकिन ऐसा लगता है कि पाकिस्तान के भीतर ही इस घोषणा को लेकर ज़बरदस्त भ्रम है, क्योंकि गुरुवार यानी 7 नवंबर 2019 को पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ  गफूर ने पहले कहा कि यात्रा करने वालों के लिए पासपोर्ट अनिवार्य होगा, फिर कुछ ही देर बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दावा किया कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने जो तीन ऐलान किए हैं यानी पहचान पत्र के तौर पर पासपोर्ट लाने की बाध्यता नहीं होगी, 20 डॉलर का सेवा शुल्क नहीं देना होगा और यात्रा से 10 दिन पहले सूचना देने की बाध्यता भी नहीं होगी।बहरहाल इस शुभ घड़ी में पाकिस्तान कोई नापाक हरकत नहीं करेगा, पूरा हिन्दुस्तान ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया इसी की उम्मीद कर रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अंतिम घड़ियों के समय भी पाक पैंतरेबाजी से बाज नहीं आ रहा है। दोनों देशों के बीच कॉरिडोर संचालन के लिए विस्तृत समझौते पर हस्ताक्षर हो चुके हैं, लेकिन पाकिस्तान की सेना पेंच पर पेंच निकालने की कोशिश कर रही है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने भी इस पर चिंता जताते हुए कहा है, ‘पाकिस्तान से बहुत ही विरोधाभासी खबरें आ रही हैं।’ लेकिन उम्मीद करनी चाहिए कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की 550वीं जयंती के दिन से प्रतिदिन 5,000 भारतीय तीर्थ यात्री गुरुद्वारा दरबार साहिब जा सकेंगे, जहां गुरु नानक देव ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष बिताए थे।मालूम हो कि गुरु नानक देव जी का जन्म भी पाकिस्तान स्थित श्री ननकाना साहिब में हुआ था। भारत और पाकिस्तान ने पिछले नवम्बर में ऐतिहासिक गुरुद्वारा दरबार साहिब को भारत के साथ जोड़ने के लिए करतारपुर गलियारा बनाने पर सहमति जताई थी। इसके तहत पाकिस्तान के कस्बे करतारपुर को पंजाब के गुरुदासपुर ज़िले में स्थित डेरा बाबा नानक के साथ जोड़ा गया है। अगर पाकिस्तान कूटनीतिक शिष्टता दिखाता है, तो उसके लिए करतारपुर कारीडोर कई मामलों में बेहद सकारात्मक नतीजे दे सकता है। इस समय पाकिस्तान की पूरी दुनिया में छवि बहुत खराब है। उसकी छवि आतंकवादियों को पनाह देने और आतंक के विचार को समर्थन देने की है। उसको इस छवि के बहुत नुक्सान हैं। यहां तक कि पाकिस्तान की इस छवि का खामियाजा उसके नागरिकों को व्यक्तिगत तौर पर भी झेलना पड़ता है, जब दुनिया के दूसरे देशों में लोग पाकिस्तानी नागरिकों की इज्ज़त नहीं करते या उन्हें आतंकवादी समझने की सरलीकृत भूल करते हैं।पाकिस्तान करतारपुर कारीडोर के मामले में सहृदय पड़ोसी की भूमिका निभाकर पूरी दुनिया को यह सन्देश दे सकता है कि उसे दूसरे धर्मों व विश्वासों के साथ भाईचारे का बर्ताव करना भी आता है। इसके साथ ही करतारपुर कारीडोर पाकिस्तान को अच्छी खासी कमाई का जरिया भी बन सकता है। दरअसल पाकिस्तान ने 20 डॉलर हर श्रद्धालु से वसूलने की योजना बनाई है। अब चूंकि पहले हर दिन 5000 और बाद में 10000 श्रद्धालुओं को हर दिन दर्शन की इजाज़त है, इसलिए हर दिन इससे अच्छी-खासी रकम इकट्ठी हो सकती है। आजकल पूरी दुनिया  में विशेष बाज़ार क्षेत्र अरबों डॉलर के निवेश से विकसित किये जा रहे हैं। पाकिस्तान चाहे तो उसे एक ऐसा समृद्ध बाजार बिना किसी अतिरिक्त कोशिश के मिल सकता है। क्योंकि अगर पाकिस्तान गैर-ज़रूरी बाधाएं नहीं खड़ी करे तो हर दिन 10,000 से ज्यादा श्रद्धालु उसे मिल सकते हैं जो 20 डॉलर का प्रवेश शुल्क तो दे ही सकते हैं, उसके लिए अच्छे ग्राहक भी साबित हो सकते हैं। आखिर गुरु भारतीयता की जिंदा विरासत हैं। हर भारतीय उनके दर्शन की कोई यादगारी लिए बिना वापस नहीं आएगा। कुल मिलाकर कहने की बात यह है कि पाकिस्तान चाहे तो इस मौके का इस्तेमाल अपने सकारात्मक उद्देश्यों के लिए कर सकता है। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर