अनेक नई उम्मीदें जगाने वाला है करतारपुर गलियारा

श्रीगुरु नानक देव जी के 550वें वार्षिक प्रकाशोत्सव का बड़े स्तर पर वैश्विक आयोजन हो रहा है। यह बहादुर और देशभक्त सिख समुदाय के लिए ही नहीं, बल्कि गुरु नानक देव जी के अनूठे वैश्विक दृष्टिकोण के संरक्षक भारत और पाकिस्तान जैसे दो पड़ोसी देशों के लिए भी एक ऐतिहासिक अवसर है। यह एक सुखद संयोग है कि प्रकाशोत्सव के आयोजन के मौके पर श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने भारत के डेरा बाबा नानक और पाकिस्तान के करतारपुर साहिब को जोड़ने वाले गलियारे का निर्माण और उसका उद्घाटन करने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। भारत-पाक सीमा के दोनों ओर करीब पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित इन दोनों स्थानों  का गुरु नानक देव जी के जीवन में विशेष महत्व है। गुरु नानक देव जी ने यहां अपने जीवन के आखिरी 18 वर्ष श्रम करने और बांट कर खाने का संदेश देते हुए बिताए थे।  मैं डेरा बाबा नानक सुल्तानपुर लोधी सड़क का नाम श्री गुरु नानक देव मार्ग रखने के मेरे अनुरोध को स्वीकार करने के लिए सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय की आभारी हूं। मैं गृह मंत्री अमित शाह से भी यह अनुरोध करती हूं कि वह गुरु नानक देव जी के वैश्विक सोच के अनुरूप ही डेरा बाबा नानक साहिब के आई.सी.पी. का भी नामकरण करें। 1947 के त्रासद विभाजन के बाद से ही एक दायरे में बंधे रह गए दोनों देशों के लोगों के लिए करतारपुर साहिब गलियारा एक नई उम्मीद बना है। इसके तेजी से निर्माण और परिचालन के भारत सरकार के फैसले पर हालांकि पाकिस्तान सरकार की ओर से शुरुआती स्तर पर कुछ आपत्तियां दर्ज की गई थीं। करतारपुर गलियारा बनाने का भारत सरकार का फैसला साहसिक और दूरदर्शी है। यह 150 करोड़ से ज्यादा लोगों का सीमाओं के बंधन से मुक्त होने और एक-दूसरे के खिलाफ घृणा के भाव का सिलसिला खत्म करने का जरिया बना है। 
करतारपुर गलियारे के बारे में भारत के प्रधानमंत्री के इस साहसिक फैसले से एक ऐसी रचनात्मक और सृजनात्मक ऊर्जा बनेगी, जो इस उप महाद्वीप में प्रगति और समृद्धि के एक नये युग का सूत्रपात करेगी। दोनों पड़ोसी देशों की 150 करोड़ से अधिक की आबादी हालांकि दुनिया की कुल आबादी का पांचवां हिस्सा है लेकिन उनके साथ घटित होने वाली घटनाएं पूरी मानव जाति पर गहरा प्रभाव डालती हैं। भारत का यह विश्वास है कि दोनों देशों को उपमहाद्वीप के लोगों की भलाई पर ध्यान केन्द्रित करते हुए परस्पर हितों के लिए मिलकर काम करना सीखना चाहिए। भारत ने इस क्षेत्र में प्रत्येक देश के साथ आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए पहल की है। नई दिल्ली की लगातार दो सरकारों ने विशेष रूप से इस्लामाबाद को सबसे तरजीही राष्ट्र के दर्जे का एकतरफा लाभ देने के लिए परम्परागत दायरे से हटकर निर्णय लिया है जबकि पाकिस्तान की तरफ से ऐसा कोई भाव व्यक्त नहीं किया गया। हमारा विश्वास है कि दोनों देशों की सरकारों को सीमा के दोनों तरफ के 150 करोड़ से अधिक लोगों की एकल तथा साझा रचनात्मक बल के रूप में इच्छाओं, सपनों और आकांक्षाओं के बारे में सोचना शुरू कर देना चाहिए।  गुरु नानक देव पातशाह समुदाय और देशों से परे हैं। मानवता जिनकी अनुयायी है, जो सासांरिक कल्याण में परिवर्तन के लिए आवश्यक नैतिक और भावनात्मक प्रेरणा उपलब्ध कराती है। गलियारे ने नई खिड़कियां खोली हैं जिनसे पवित्रता और सद्भाव की ताजी हवा के झोंके बहने शुरू हो गए हैं। गुरु नानक देव जी अनूठे हैं इसलिए लोग और समुदाय उन्हें परमपूजनीय मानते हैं अन्यथा ये लोग परस्पर विरोधी बने रहते हैं। जैसे इन शब्दों में कहा गया है कि ‘नानक शाह फकीर, हिन्दू का गुरु मुस्लिम का पीर।’ यह उनका असाधारण, आध्यात्मिक दर्जा है जिसने असंभव को सम्भव कर दिया है और उपमहाद्वीप के 150 करोड़ लोगों और अन्य अनेक लोगों के लिए मैत्री, सद्भाव और सहयोग के नये युग का सृजन कर दिया है। इसने साझा सपनों, साझा उपदेशों और इस दिशा में संयुक्त प्रयासों के माध्यम से दोनों देशों में गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी के खिलाफ लड़ाई को सामूहिक लड़ाई में तब्दील कर दिया है। लेकिन इसके लिए आपसी विश्वास का माहौल पैदा किया जाना चाहिए, जिसमें नॉन-स्टेट एक्टर का दावा करने वाले तथा धर्म के नाम पर निर्दोष लोगों की अंधाधुंध हत्याओं में लिप्त तत्वों के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। यह समय दोषारोपण के लिए नहीं है। हम इसे महान गुरु को समर्पित करते हैं जिनके प्रति इस उपमहाद्वीप में 150 करोड़ लोगों की साझी श्रद्धा और भक्ति है। हम विगत की कड़वी विरासत को भूलकर समृद्धि के भविष्य की ओर उम्मीद के इस नये गलियारे के माध्यम से आगे बढ़ते हैं। भावी पीढ़ियां हमारा मूल्यांकन करेंगी कि हमने किस प्रकार इस अवसर को ग्रहण किया है।

-केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री, भारत सरकार