पाबंदीशुदा चीनी कपड़ा उत्पाद भारतीय कपड़ा उद्योग को पहुंचा रहे हैं भारी नुक्सान

लुधियाना, 1 दिसम्बर (पुनीत बावा) : ऊन के उत्पादों को भारतीय बाज़ार में बेचने पर पाबंदी लगाई गई है। पर पाबंदी के बावजूद चीनी उत्पाद भारतीय कपड़ा उद्योग को क्षति पहुंचा रहे हैं। जिस कारण सरकारी तंत्र की कारगुजारी पर कई सवार खड़े होते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार भारतीय मार्किट में चाहे चीन के कपड़े बेचने पर पाबंदी लगाई गई है पर देश में चीनी कपड़े सरेआम बिक रहे हैं और इसमें सबसे अधिक महिलाओं से संबंधित कपड़े बिक रहे हैं। महिलाएं चीनी उत्पाद देखने में अच्छे तथा सस्ते होने के कारण बेशुमार खरीद रही हैं जिससे स्थानीय उद्योगों में आर्थिक पक्ष से काफी क्षति हुई है। हौजरी उद्योग चीन की छिपी मार के कारण काफी परेशान नज़र आ रहा है। चीनी कपड़ों से दुखी हौजरी उद्योगों ने निटवियर एंड टैक्सटाईल क्लब द्वारा केन्द्रीय कपड़ा मंत्री को शिकायत भेजी है। शिकायत में उद्योगपतियों ने चीनी उत्पादों को भारत में आने से रोकने की अपील की है और इसके खिलाफ सख्ती बरतने की भी अपील की है। क्लब के महासचिव चरनजीव सिंह ने कहा कि चीनी ऊन के उत्पाद से भारत सरकार ने 220 प्रतिशत एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाई हुई है। इसके बावजूद आसानी से चीनी ऊन के उत्पाद मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए कस्टम विभाग के अधिकारी भी दोषी हैं। उन्होंने कहा कि चीनी उत्पादों के भारत में आने के कारण स्थानीय हौजरी उद्योग का कारोबार कम हो गया है। इस कारण हौजरी उद्योग में कर्मचारियों की मांग भी कम हो गई है। उन्होंने कहा कि यदि चीनी ऊन के उत्पाद इसी तरह भारत में आते रहे तो हौजरी उद्योग का भविष्य खतरे में पड़ जायेगा और उसको अपने आप को स्थापित करके रखना मुश्किल हो जायेगा। उन्होंने कहा कि इससे बेरोज़गारी में बढ़ौत्तरी होगी।