" पंजाब मंत्रिमंडल के फैसले " गैर कृषि कार्य में पानी के इस्तेमाल पर शुल्क बढ़ा

चंडीगढ़, 4 दिसम्बर (हरकवलजीत सिंह): पंजाब मंत्रिमंडल की आज यहां हुई एक बैठक द्वारा गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए होते पानी के प्रयोग पर किराया बढ़ाने का फैसला लेते हुए राज्य में यह किराया पड़ौसी राज्य हरियाणा में बराबर करने का फैसला लिया गया। इससे राज्य के खज़ाने को कोई 295 करोड़ का अधिक राजस्व मिलेगा तथा मौजूदा आय जो 24 करोड़ है वह बढ़ कर 319 करोड़ हो जाएगी। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि अधिक किरायों का बोझ बोतल बंद पानी उद्योग, रेलवे व सेना सहित पीने वाले पानी की सप्लाई के लिए, ईंटें बनाने व निर्माण के लिए पानी के प्रयोग वाले थोक में पानी प्रयोग करने वाले उद्योगों व मछली तालाबों पर पड़ेगा। इसी तरह मंत्रिमंडल द्वारा धरती निचले पानी के गिर रहे स्तर को रोकने के लिए पंजाब जल नेमबंदी व विकास अथारिटी के गठन को आज हरी झंडी दे दी। यह अथारिटी पानी के निकास संबंधी निर्देश जारी करने के लिए अधिकारिक होगी। कृषि व घरेलू उद्देश्यों के लिए पानी की निकासी पर किसी तरह की रोक लगाने के लिए भी अधिकारिक होगी। इस अथारिटी का एक चेयरमैन व 2 सदस्य होंगे जो लोक प्रशासन, जल प्रबंधन, वित्त, कानून व कृषि आदि संबंधी विशेषज्ञ होंगे। इस अथारिटी के लिए एक 10 सदस्य सलाहकार कमेटी का भी गठन किया जा सकेगा।
मंत्रिमंडल द्वारा एक अन्य अहम फैसला लेते हुए राजस्व विभाग में 1090 पटवारियों की भर्ती को भी स्वीकृति दे दी तथा राज्य में राजस्व विभाग के काम के बढ़े बोझ व ज़मीनी रिकार्ड के रख-रखाव को और बेहतर बनाने के लिए 10 की बजाय 7 पटवार सर्कलों के लिए एक कानूनगो नियुक्त करने का फैसला लिया जिससे कानूनगो के नए 34 पदों की रचना होगी। मंत्रिमंडल द्वारा औद्योगिक व व्यापारिक संस्थानों के लिए कामकाज को आसान बनाने के लिए राज्य के औद्योगिक विकास एक्ट 1947 में कुछ शोधों को स्वीकृति दी, जिससे औद्योगिक विवाद को सालसी अधिकारी व लेबर कोर्ट के आगे उठाने के लिए 3 वर्ष की समय सीमा निश्चित कर दी गई है क्योंकि पहले इसके लिए कोई समय सीमा न होने के कारण ऐसे विवाद कभी भी शुरू कर दिए जाते थे। इसी तरह एक अन्य तरमीम द्वारा श्रमिकों की छंटनी से पहले 3 माह का नोटिस ज़रूरी बनाने के अतिरिक्त 3 माह का वेतन संबंधित श्रमिक को अदा किए जाने के लिए शोध की गई है।