जारी है मुख्यमंत्री खट्टर और विज के बीच विवाद

हरियाणा में आजकल महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू व भाजपा के पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर के बीच चल रही खींचातान व लग रहे आरोप-प्रत्यारोप प्रदेश में सुर्खियां बने हुए हैं। बलराज कुंडू और मनीष ग्रोवर दोनों भाजपा के नेता रहे हैं और दोनों रोहतक जिले से संबंध रखते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में मनीष ग्रोवर रोहतक से भाजपा टिकट पर चुनाव हार गए थे और महम से भाजपा का टिकट मांग रहे बलराज कुंडू को भाजपा का टिकट नहीं मिला लेकिन वह महम से निर्दलीय विधायक बनने के बाद भाजपा सरकार को समर्थन दे रहे हैं। प्रदेश की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार को समर्थन दे रहे 7 निर्दलीय विधायकों में से रानियां हल्के के विधायक रणजीत सिंह को खट्टर सरकार में कैबिनेट रैंक का बिजली मंत्री बनाया गया है, जबकि 4 अन्य विधायक बड़े-बड़े बोर्ड निगमों के चेयरमैन बनाए जा चुके हैं। महम के विधायक बलराज कुंडू और बादशाहपुर के विधायक राकेश दौलताबाद को अभी तक सरकार में कोई पद नहीं मिला है। 
बलराज कुंडू ने कुछ दिन पहले पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर पर करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए इन आरोपों की सीबीआई जांच करवाने की मांग की थी। ग्रोवर के खिलाफ तो जांच शुरू नहीं हुई लेकिन दो दिन पहले बलराज कुंडू व उनके भाई के खिलाफ धोखाधड़ी व जालसाजी का एक मामला दर्ज कर लिया गया। कुंडू का आरोप है कि यह मामला उनके खिलाफ मनीष ग्रोवर की शह पर दर्ज किया गया है। रविवार को कुंडू अपने समर्थकों सहित रोहतक पहुंच गए और पुलिस को कहा कि या तो इस मामले में उन्हें गिरफ्तार किया जाए अन्यथा इस झूठे मामले को रद्द करके मामला दर्ज करवाने वाले के खिलाफ कार्रवाई की जाए। उन्होंने यहां तक भी कहा कि अगर 3 दिन के भीतर इस पर कार्रवाई न हुई तो वह न सिर्फ आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे बल्कि मनीष ग्रोवर के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करवाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं और जरूरत पड़ी तो वह सरकार से अपना समर्थन वापस भी ले सकते हैं। मनीष ग्रोवर भाजपा नेतृत्व के करीबी हैं और सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करने के मूड में नहीं है। वहीं दूसरी ओर भाजपा सरकार निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू को नाराज भी नहीं करना चाहती। 
खट्टर और विज का विवाद
हरियाणा में पिछले कुछ दिनों से गृह, स्वास्थ्य एवं शहरी स्थानीय निकाय मंत्री अनिल विज और सीएम मनोहर लाल खट्टर के बीच सीआईडी विभाग को लेकर खींचातान की खबरें निरंतर अखबारों में सुर्खियां बनी हुई हैं। आमतौर पर गृह विभाग मुख्यमंत्री के पास ही रहता था। इस बार अनिल विज को गृह मंत्री बनाए जाने के बाद कई दिनों तक यह विवाद चलता रहा कि सीआईडी अनिल विज को रिपोर्ट करेगी या मुख्यमंत्री को। आखिरकार विज ने साफ कर दिया कि सीआईडी गृह विभाग का ही एक अंग है और इसकी रिपोर्ट भी गृह मंत्री को ही आएगी। इसी बीच अनिल विज ने सीआईडी प्रमुख से न सिर्फ कुछ पुरानी रिपोर्ट मांगीं बल्कि सीआईडी के कामकाज पर नाराजगी जताते हुए इसमें सुधार के लिए गृह सचिव और दो वरिष्ठ डीजीपी रैंक के अधिकारियों पर आधारित एक कमेटी गठित करने का भी ऐलान किया, जिसे सीआईडी के कामकाज को बेहतर बनाने के लिए अपने सुझाव देने हैं। इसी बीच विधानसभा की वैबसाइट पर सीआईडी को मुख्यमंत्री के पास विभागों में दिखाए जाने के बाद गृह मंत्री को प्रतिक्रिया देनी पड़ी कि सरकार का कामकाज वैबसाइट के अनुसार नहीं बल्कि कानून की किताब के अनुसार होता है। विज और सीएम के बीच विवाद को लेकर निरंतर खबरें छपने के बाद विज ने यह भी साफ कर दिया कि उनका मुख्यमंत्री से कोई विवाद नहीं हैं और मुख्यमंत्री उनके बेहद अच्छे दोस्त हैं। उन्होंने कहा कि वह कुछ बिगड़ैल अधिकारियों को दुरुस्त करने में लगे हुए हैं। मुख्यमंत्री सरकार के मुखिया हैं और किसी भी अधिकारी से कोई भी रिपोर्ट ले सकते हैं तथा चाहें तो कोई भी विभाग किसी से ले सकते हैं। 
कैप्टन परिवार व पंचायती माफी
हरियाणा के पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के रोहतक स्थित आवास पर जाट आरक्षण आन्दोलन के दौरान आगजनी की घटनाएं हुई थीं। इन घटनाओं को लेकर कई आरोपियों के खिलाफ न सिर्फ मामले दर्ज हुए थे बल्कि कई आरोपी लम्बे समय से जेलों में भी बंद रहे। जब तक कैप्टन अभिमन्यु पिछली भाजपा सरकार में मंत्री थे, तब तक वह आगजनी के आरोपियों को किसी भी कीमत पर माफ करने को तैयार नहीं थे। हालांकि जाट समाज की अनेक संस्थाओं, खापों व प्रमुख सामाजिक लोगों ने बार-बार कैप्टन परिवार से मुलाकात कर समाज में सौहार्द बनाने के लिए आरोपियों को पंचायती तौर पर माफी दिए जाने की वकालत की थी लेकिन वह इस मामले में टस से मस नहीं हुए थे। अब पिछले हफ्ते जींद में प्रदेश के ज्यादातर खाप प्रमुखों ने एक बैठक आयोजित कर कैप्टन परिवार से आरोपियों को माफी देने के लिए तैयार कर लिया। इस पंचायत में कैप्टन अभिमन्यु के भाई भी पहुंचे थे और उन्होेंने सर्वजातीय सर्व खाप पंचायत के निर्णय को स्वीकार करते हुए कहा कि पंचायत ने आगजनी के आरोपियों को माफ करने का जो भी फैसला किया है, वह इसे मंजूर करते हैं। कैप्टन अभिमन्यु नारनौंद से जजपा उम्मीदवार राम कुमार गौतम के मुकाबले चुनाव हार गए थे। 
लोगों का कहना था कि जाट समाज में कैप्टन अभिमन्यु के परिवार के प्रति नाराजगी के चलते उन्हें यह हार झेलनी पड़ी। आजकल राम कुमार गौतम भी कैप्टन अभिमन्यु का गुणगान करने में लगे हुए हैं और लोगों में यह भी चर्चा चल पड़ी है कि अपनी मजबूत वित्तीय स्थिति व कारोबारी संबंधों के बलबूते कैप्टन देर-सवेर किसी न किसी रास्ते फिर से राजनीति की मुख्य धारा में आने को आतुर हैं। इसीलिए इस सबके लिए पंचायती माफीनामे के जरिए हालात तैयार किए जा रहे हैं। मो.-9855465946