हिन्दू त्यौहारों को भी बराबर मनाते थे श्री साईं बाबा

श्री साईं बाबा के द्वार पर हिंदू त्योहारों में प्रमुख रूप से रामनवमी और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाए जाते थे। इस के साथ ही हमेशा दिवाली पर उनका निवास स्थान दीपों से जगमगाता रहता था। तभी तो उन्होंने अपने निवास स्थान वाली मस्जिद का नाम द्वारका माई मस्जिद रख लिया था। उनके जीवन काल में द्वारका माई मस्जिद में हमेशा धूनी जलती रहती थी। उनके दर पर आने वाले भक्तजन पहले उनको साष्टांग दंडवत् या सलाम करते। बाबा ने अपने पूरे जीवन काल में समाज के सभी दीन, दुखी, कमजोर और सताए हुए लोगों के चेहरे पर महज एक मुस्कान देखने के लिए अपना सारा जीवन होम कर दिया। फिर भी समाज के कुछ वर्गों की तरफ से अक्सर यह प्रश्न उठाया जाता रहा है कि ‘श्री साईं बाबा हिंदुओं के महात्मा या संत हैं या फिर मुसलमानों के फकीर?’ वैसे कहा भी गया है कि ‘जाति न पूछो साध की’ या फिर ‘हिंदू कहौं तो मारिए, मुसलमान हूं नाहिं’ शायद ऐसे बड़े लोगों के लिए हमेशा इस प्रकार का विवाद कालांतर से होता रहा है, परंतु इन सबसे परे उठ चुके श्री साईं बाबा ने सदा अपने मन की सुनी और वही कार्य किया जिसमें उन्होंने दीन-दुखियों की भलाई समझी। 

रवि शुक्ला