हिम्मत बनाये रखने की ज़रूरत

पिछले कुछ महीनों से विश्व कोरोना का संताप झेल रहा है। भारत में भी अभी तक इस संबंध में स्थितियां गम्भीर बनी हुई हैं। देश को तथा देश-वासियों को इस समय अतीव कठिनाइयों में से गुज़रना पड़ रहा है। अपने सीमित साधनों के साथ इस वायरस का मुकाबला तो किया जा रहा है परन्तु इसके प्रभाव से कब मुक्त हुआ जा सकेगा, इस संबंध में निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। पिछले दिनों केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसका विवरण बताते हुये कुछ ढाढस देने वाली बातों का उल्लेख अवश्य किया है। चाहे मरीज़ों की संख्या बढ़ते हुए 16 लाख का आंकड़ा पार चुकी है तथा एक-एक दिन में 50 हज़ार से अधिक संक्रमण के मामले सामने आने लगे हैं परन्तु इसके साथ ही स्वस्थ होने वालों की संख्या भी बढ़ने लगी है। 10 लाख से अधिक मरीज़ों का स्वस्थ होना एक अच्छी निशानी है तथा यह भी कि नित्य-प्रति स्वस्थ होने वालों की संख्या भी बढ़ती जा रही है।यद्यपि अब तक मौतों की दर काफी कम है, परन्तु 36 हज़ार से अधिक लोगों के मौत के मुंह में जा पड़ने से दूसरे कई देशों से यह संख्या बढ़ गई है। कभी भारत में मौतों की संख्या स्पेन, फ्रांस एवं इटली से कम होती थी परन्तु आज यह आंकड़ा इन देशों से आगे बढ़ गया है। अब केवल अमरीका, ब्राज़ील एवं इंग्लैंड ही मौतों की संख्या में भारत से आगे हैं, परन्तु स्वास्थ्य मंत्रालय ने जहां मृत्यु दर को कम करके 2.23 प्रतिशत रह गई बताया है, वहीं अधिकतर संख्या में मरीज़ सामने आने का कारण अधिक परीक्षण होने को बताया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अब तक एक करोड़ 81 लाख से अधिक लोगों के परीक्षण हो चुके हैं। चाहे मरीज़ों की संख्या तो बढ़ रही है परन्तु स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी दावा किया है कि अभी तक इस बीमारी का सामाजिक प्रसार (कम्यूनिटी ट्रांसमिशन) नहीं हुआ। इसीलिए उस समय तक अधिक सावधानी बरते जाने के निर्देश जारी किए गए हैं, जब तक कि इस बीमारी को ठीक करने वाला कोई टीका सामने नहीं आ जाता। अमरीका, ब्रिटेन एवं चीन ऐसे देश हैं जिनमें आविष्कार किया जा रहा वैक्सीन तीसरे तथा अंतिम पड़ाव में दाखिल हो चुका है। भारत में टीके की खोज अभी पहले और दूसरे चरण में ही दाखिल हुई है, परन्तु अब तक के एक अनुमान के अनुसार इस वर्ष दिसम्बर अथवा अगले वर्ष जनवरी में ऐसे किसी टीके का आविष्कार पूर्ण हो जाएगा। समूचे देश में इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए लगाई गई पाबंदियों एवं सावधानियों को 31 अगस्त तक बढ़ा दिया गया है। पंजाब में भी तालाबन्दी खोलने की प्रक्रिया के तीसरे पड़ाव के दिशा-निर्देशों के तहत अगस्त के अंत तक स्कूल, कालेज, सिनेमा घर , आडिटोरियम एवं बार आदि बंद रहेंगे। विवाहों एवं अंतिम संस्कार में शामिल होने वालों की संख्या भी सीमित रहेगी। इसके अतिरिक्त अधिकतर पाबंदियों को हटा दिया गया है, क्योंकि इस बीमारी के चलते हर प्रकार के कारोबार को चलाने की भी सख्त ज़रूरत महसूस होती रही है। अधिकतर पाबंदियां सार्वजनिक जीवन पर प्रभाव डालती हैं जिससे समूची आर्थिकता डगमगा जाती है। इसलिए धीरे-धीरे इस बीमारी के प्रति सावधानियां रखते हुए जन-सक्रियता का बढ़ाया जाना बहुत आवश्यक है। भारत की समस्याएं अनेकानेक हैं। निचले धरातल पर लोग अतीव घुटन भरे वातावरण में जी रहे हैं, परन्तु इसके बावजूद जिस विश्वास एवं साहस के साथ देशवासियों ने इस महामारी का सामना किया है, वह अब तक संतोषजनक कहा जा सकता है। आने वाले समय में भी ऐसा विश्वास बना रहेगा, इसकी आशा की जानी चाहिए। नि:सन्देह इस चुनौती का सामना करने के लिए प्रत्येक धरातल पर जन-जीवन में भारी चेतना पैदा हुई है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द