अफ्रीकी भैंसा जिससे भिड़ने की हिम्मत शेर भी नहीं करता

अफ्रीकी भैंसा धरती का सबसे खतरनाक जीव है। इसका वैज्ञानिक नाम ‘सिंसेरस काफ र’ है। इसका वजन लगभग 750 से 900 किलोग्राम (नर) तथा 400 से 750 किलोग्राम (मादा) होता है। इसकी ऊंचाई लगभग 1.7 मीटर तक होती है। सींग एक मीटर या इससे अधिक चौड़ाई वाले होते हैं। इसका जीवनकाल 15 से 23 वर्ष तक का होता है। यह अत्यंत बलशाली, खूंखार और हिंसक प्रवृत्ति का होता है। ये अक्सर समूह में रहते हैं और इनसे टक्कर लेने की हिम्मत शेर भी नहीं कर पाता। अफ्रीकी भैसों में केवल बूढ़े, बीमार या बच्चे को ही शेर अपना शिकार बनाता है। बदले की भावना से भरा अफ्रीकी भैंसा अपने नुकीले सींगों और शक्तिशाली प्रहार से शेर को भी गंभीर रूप से घायल कर देता है या मार डालता 

है। हालांकि यह पहले किसी पर आक्रमण नहीं करता है।
अफ्रीकी भैंसा मुख्यत: मध्य अमरीकी देशों, सहारा के दक्षिण तथा दक्षिण अफ्रीका के उत्तरी भाग में पाया जाता है। अफ्रीका के अलावा यह सोमालिया, जिम्बाब्वे, नामीबिया, बोत्सवाना, केन्या, तंजानिया में भी पाया जाता है। यह झुंड में रहना पसंद करता है और घास चरने के लिए जंगल से सटे खुले मैदानों में विचरण करना पसंद करता है। नर और मादा दोनों के सींग होते हैं। नर के सींगों की लंबाई 4 फीट तक होती है। नर की गर्दन मादा की तुलना में थोड़ी मोटी 

होती है। नर के कंधों के पास हम्प होता है। इसके बाल लंबे और गर्दन के नीचे घने होते हैं। 
अफ्रीकी भैंसा बिना पानी पीये 10 मील से ज्यादा पैदल नहीं चल पाता, यही वजह है कि यह अधिकतर जलस्रोतों के नजदीक रहना ही पसंद करता है। पानी की तलाश में यह नदियों और अन्य जल-स्रोतों की खोज में एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा करता है। गर्मी के दिनों में यह खुद को कीचड़ में सान लेता है, इससे इसे काफी राहत मिलती है। बेहद खूंखार 

और लड़ाकू होने के बावजूद यह बेहद सामाजिक होता है। समूह में रहने के दौरान यह अपने शिशु को प्यार से सहलाता है और उसके कानों के आसपास चाटकर अपना प्यार प्रदर्शित करता है। समूह में भैंसे बूढ़े, घायल और कमजोर सदस्यों की सुरक्षा के प्रति बेहद सचेत होते हैं। यदि इनके समूह पर कोई हमला कर दे तो समूह के कमजोर सदस्यों को बीच में करके शक्तिशाली सदस्य उनका बचाव करते हैं और उनकी सुरक्षा के लिए बेहद क्रूर हो जाते हैं। 
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—के.पी.सिंह

क्या कान के मैल से कान में दर्द होता है ?

‘दीदी, कल मेरे कान में बहुत भयंकर दर्द हुआ। बर्दाश्त के बाहर था। फिर मम्मी मुझे कान, नाक व गले के डाक्टर के पास लेकर गईं, उसने कान में कुछ दवा डाली, तब जाकर मुझे राहत मिली। लेकिन मेरी समझ में यह नहीं आया कि मेरे कान में दर्द क्यों हुआ?’ ‘बहुत सी अलग-अलग स्थितियां हैं, जिनसे कान में दर्द हो सकता है। कान का दर्द किस अंदाज़ का होता है, इसमें भी काफी अंतर होता है। अगर कान में चोट लगने की बात को छोड़ दिया जाये, तो अधिकतर कान के दर्द किसी प्रकार के बैक्टीरियल संक्रमण से होते हैं।’
‘मसलन?’
‘बहुत से मामलों में कान का दर्द उस समय होता है जब कोई बाहरी चीज़ कान में फंस जाती है। बच्चे कभी कभी जानबूझ कर कोई चीज़ अपने कान में डाल लेते-या किसी दूसरे बच्चे के कान में डाल देते हैं।’
‘क्या कान के मैल से भी कान में दर्द हो जाता है?’
‘कान का मैल या वैक्स जब सख्त हो जाता है तो उससे भी दर्द होता है। इसे व कान में फंसी किसी अन्य चीज़ को डाक्टर द्वारा ही निकलवाना चाहिए।’
‘क्यों?’
‘क्योंकि डाक्टर ही जानता है कि कान के नाज़ुक हिस्सों को चोट से कैसे बचाया जाये। बाहरी कान में जो संक्रमण होता है वह उस समय होता है,जब हम स्वयं गंदे हेयरपिन या माचिस की तीली से वैक्स या किसी अन्य चीज़ को निकालने का प्रयास करते हैं या फिर खुजली को कम करने की कोशिश करते हैं। हेयरपिन आदि से त्वचा टूट जाती है और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। कान में छाला पड़ जाता है, कान सूज जाता है और कान में भयंकर दर्द होने लगता है।’ ‘फंगस से भी तो संक्रमण हो जाता है।’
‘फंगस से बाहरी कान व कैनाल में संक्रमण हो जाता है और कैनाल में सूजन आ जाती है, जिससे दर्द होता है। कभी-कभी कोल्ड या अन्य सांस के संक्रमण के बाद भी कान में ज़बरदस्त दर्द महसूस होता है। ईअरड्रम या कान का पर्दा जो बाहरी व मध्य कान के बीच में होता है, उस पर सूजन आ जाती है। मध्य कान इसलिए भी संक्रमित हो सकता है कि व्यक्ति ने सही से नाक नहीं सिनकी है। दोनों नथुनों को एक साथ सिनकना चाहिए क्योंकि एक बार में एक नथूने को सिनकने से संक्रमित पदार्थ साइनस में जा सकता है। इसके अतिरिक्त भी कान में दर्द के अन्य कारण हैं। इसलिए अगर किसी के बार बार कान में दर्द हो रहा है तो बेहतर है डाक्टर से सम्पर्क किया जाये। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर