कूड़े में छिपा खज़ाना

जिस प्रकार मनुष्य को जीवित व स्वस्थ रहने के लिए पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती हैए ठीक उसी तरह हमारे पेड़-पौधों को भी स्वस्थ रहने के लिए पौष्टिक तत्वों की आवश्यकता होती है। यह पोषक तत्व वह मिट्टी से प्राप्त करते हैं, इनकी कमी से पेड़-पौधों में कीड़े लग जाते हैं और जड़ों में बीमारी लगने से वे सूखने लगते हैं। इस अवस्था में अधिकाश लोग कीटनाशक स्प्रे करते हैं जो कि गलत है, क्योंकि यह स्प्रे अंतत: पानी के रास्ते धीर-धीरे नीचे जाता है और फि र पानी व फल सब्जियों के माध्यम से हमारे शरीर में पहुंच जाता है। इसका प्रयोग दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। इसी कारण कैंसर जैसी भयंकर बीमारियां बढ़ रही हैं। मनुष्यों में रोग प्रतिरोधक क्षमता घट रही है और वह जल्दी रोगों की चपेट में आ जाते हैं। हमें अपने घर व खेतों में कीटनाशक की जगह जैविक खाद प्रयोग में लानी चाहिए। भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए कम्पोस्ट, जीवामृत और गोबर की खाद अच्छे विकल्प हैं।
कम्पोस्ट बनाने के लिए सर्वप्रथम अपनी रसोईघर में दो कूड़ेदान लगाएं। एक में सूखा कूड़ा और दूसरे में फ ल.सब्जियों के छिलके, अंडे के छिलके, बचा हुआ भोजन, पक्के गले सड़े फ ल,सब्जियां लकड़ी का बुरादा इत्यादि डालें। इसमें नींबू के छिलके, बीज ,प्याज, लहसुन के छिलके और मांसाहार अवशेष बिल्कुल नहीं डालने हैं। चाय की पत्ती धोकर क्यारियों में डाल दें। अगर घर में कच्ची जगह है तो 3-2 फ ीट लंबा और डेढ़ फ ीट गहरा गड्ढा खोदे। उसमें सबसे नीचे सूखी पत्तियां बिछा देंए पत्तियों से दुगुना रसोई का गीला कूड़ा और पुन सूखी पत्तियों से ढक दें। गीला कूड़ा और सूखी पत्तियां 2-1 के हिसाब से डालने हैं। बीच-बीच में जीवामृत डालकर हिलाते रहे। गड्ढा भरने पर ढक के छोड़ दें। 40-45 दिन तक सब कूड़ा सड़ जाता है और कम्पोस्ट तैयार हो जाती है। यह जैविक खाद हमारे पौधो के लिए बहुत हितकारी है। यदि आपके पास जगह नहीं है आप फ्लैट में रहते हैं तब आप इसे खाद बनाने वाले मटके लेकर बना सकते हैं। इसका मुंह चौड़ा और चारों तरफ से छेद बने होते हैं। नीचे की तरफ बड़े छेद होते हैं ताकि गीले कूड़े का रस नीचे कटोरे में इक्ट्ठा होता रहे। इस रस को पेड़ों में या क्यारियों में तुरंत डाल दें। एक मटका भरने पर ढक दे और दूसरे में गीला कूड़ा डालते जाएं। गड्ढे की तरह इसे भी बीच बीच में हिलाना है। यह कोई कठिन कार्य नहीं, बस दृढ़ इच्छा-शक्ति होनी चाहिए।
जीवामृत बनाने का तरीका-जीवामृत जैविक खाद है। इसके निरंतर प्रयोग से भूमि उपजाऊ हो जाती है और पेड़.पौधे स्वस्थ होकर झूमने लगते हैं। इसे बनाने के लिए 100 लीटर पानी का एक ड्रम लें। 10 लीटर गोमूत्र, 10 किलो देसी गाय का गोबर, 1 किलो पुराना गुड़, 1 किलो बेसन और थोड़ी सी बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी लें। गुड़ और बेसन को अलग-अलग बर्तनों में पानी डालकर घोल लें। सबसे पहले गोबर, गोमूत्र, गुड़, बेसन और मिट्टी क्रमश: डालकर अच्छी तरह हिलाएं। अब इस ड्रम को टाट से ढककर छायायुक्त स्थान पर रख दें। एक हफ्ता सुबह.शाम लकड़ी से अच्छी तरह हिलाएं। 7-8 दिन तक यह तैयार हो जाता है। इसमें खट्टी-खट्टी गंध आती हैए इसे 1-8 के अनुपात से पानी में डालकर क्यारियों में व गमलों में डाल दें। इसके निरंतर प्रयोग से भूमि उपजाऊ हो जाती है।
घर में जीवामृत तैयार करने के लिए गोबर-गोमूत्र लाना कठिन है तो पानी में 1 किलो गुड़ और डी कम्पोसर की शीशी डाल दें। यह भी एक सप्ताह में तैयार हो जाएगा। यह क्रम निरंतर बनाये रखें। इस तरह हम देखते हैं कि घर में कम्पोस्ट और जीवामृत बनाने से कूड़ा कम होगा और तैयार कम्पोस्ट से जैविक फल, सब्जियां प्राप्त होंगी। सरकार की तरफ  से स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है। हम समय-समय स्वच्छता के लिए सरकार की आलोचना करते हैं, यह ठीक नहीं है। सरकार हमारे सहयोग के बिना इस अभियान को सफलतापूर्वक आगे नहीं बढ़ा सकती। मेरा विशेषकर सभी गृहणियों से अनुरोध है कि वह अपने-अपने स्तर पर इस अभियान से जुडऩे का प्रयास करें और मेरी रसोई का कूड़ा कूड़ा नहीं वरन सेहत का खजाना है। -मो. 98158-87722