निर्णायक होगा बरोदा उप-चुनाव, सभी दलों ने झोंकी पूरी ताकत

अगले सप्ताह होने जा रहा बरोदा विधानसभा उप-चुनाव हरियाणा के सभी राजनीतिक दलों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। भाजपा, जजपा, कांग्रेस व इनेलो सहित सभी दलों ने अपनी-अपनी पार्टी के तमाम दिग्गजों को चुनाव प्रचार में उतार दिया है। पूरे प्रदेश की नज़रें बरोदा उप-चुनाव के नतीजे पर लगी हुई हैं। कांग्रेस के विधायक रहे श्रीकृष्ण हुड्डा के निधन से खाली हुई इस सीट पर 3 नवम्बर को मतदान होगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा व उनके सांसद बेटे दीपेन्द्र हुड्डा से लेकर कांग्रेस के सभी विधायक, पूर्व विधायक, पूर्व मंत्री व पूर्व सांसद बरोदा से कांग्रेस प्रत्याशी इंदुराज नरवाल के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। बरोदा भूपेन्द्र हुड्डा के प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है। इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार की हार-जीत का सीधा असर हुड्डा की निजी प्रतिष्ठा पर पड़ेगा। 
कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा के कार्यकाल में यह पहला उपचुनाव होने जा रहा है। इसी के चलते शैलजा भी गोहाना हल्के में दिन-रात लगी हुई हैं। श्रीकृष्ण हुड्डा के निधन से कांग्रेस विधायकों की संख्या 31 से घटकर 30 हो गई है। कांग्रेस हर हालत में बरोदा उपचुनाव जीतना चाहती है ताकि अगले चुनाव में कांग्रेस विधायकों की संख्या 31 से आगे शुरू हो सके। कांग्रेस को यह भी मालूम है कि अगर कांग्रेस बरोदा उप-चुनाव हार गई तो अगले चुनाव में कांग्रेस की सीटों की गिनती फिर नीचे से शुरू करनी पड़ सकती है और चुनाव जीतने पर गिनती 31 से आगे शुरू हो सकती है। 
गठबंधन सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर
उपचुनाव में मुख्यमंत्री मनोहर लाल व उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से लेकर प्रदेश सरकार के तमाम मंत्री, चेयरमैन, विधायक, पार्टी के हर छोटे-बड़े नेता गोहाना में भाजपा-जजपा गठबंधन के उम्मीदवार अंतर्राष्ट्रीय पहलवान योगेश्वर दत्त को जितवाने के लिए मैदान में सक्रिय हैं। भाजपा ने अपने उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए गांव-गांव में मंत्री व विधायक बिठा दिए हैं। इतना ही नहीं, मतदाताओं को साथ जोड़ने के लिए अन्य हलकों में रहने वाले उनके रिश्तेदारों को भी बरोदा में लाया जा रहा है ताकि पार्टी उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित की जा सके। चुनाव अभियान के आखिरी दौर में जजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजय सिंह चौटाला से लेकर उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, राज्य मंत्री अनूप धानक व जजपा विधायकों के अलग-अलग गांवों में कार्यक्रम बनाए गए हैं। भाजपा बरोदा उप-चुनाव जीतकर न सिर्फ यह संदेश देना चाहती है कि प्रदेश की जनता भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की नीतियों से खुश है बल्कि बरोदा चुनाव जीतने से भाजपा विधायकों की संख्या भी 40 से बढ़कर 41 हो जाएगी। भाजपा आज तक बरोदा सीट को कभी जीत नहीं पाई है। बरोदा सीट सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में पड़ती है, जहां से पिछले साल भाजपा उम्मीदवार सांसद चुने गए थे। इसके बावजूद भाजपा उम्मीदवार को बरोदा हलके में हार का सामना करना पड़ा था। 
इनेलो प्रमुख चौटाला भी जुटे मैदान में 
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री व इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला भी 86 साल की उम्र के बावजूद बरोदा विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के प्रत्याशी जोगेंदर सिंह मलिक की जीत सुनिश्चित करने के लिए मैदान में जुटे हुए हैं। इनेलो के चुनाव अभियान का पूरा दारोमदार पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला व उनके विधायक बेटे अभय चौटाला के कंधों पर है। पिछले लोकसभा व विधानसभा चुनाव में इनेलो का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। पिछले विधानसभा चुनाव से पहले इनेलो के अनेक विधायक, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद व पूर्व मंत्री इनेलो छोड़कर अन्य दलों में चले गए थे और पार्टी व चौटाला परिवार में बिखराव होने के कारण इनेलो को बहुत भारी राजनीतिक नुक्सान उठाना पड़ा था। इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला व उनके बेटे जजपा प्रमुख डा. अजय सिंह चौटाला इन दिनों पैरोल पर जेल से बाहर आए हुए हैं। वैसे उन्होंने अपनी सज़ा का ज्यादातर हिस्सा काट लिया है और वे उम्मीद कर रहे हैं कि उन्हें किसी भी समय औपचारिक तौर पर भी जेल से छोड़ दिया जाएगा। इनेलो प्रमुख बरोदा के चुनाव को तिकोना बनाकर अपनी पार्टी की खोई प्रतिष्ठा को फिर से वापस दिलाने के लिए पूरे जी-जान से जुटे हुए हैं। उनकी पार्टी के भी अन्य छोटे-बड़े नेता गोहाना में डेरा डाले हुए हैं। मतगणना के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि बरोदा के लोगों ने किस उम्मीदवार को अपना भावी विधायक चुना है। फिलहाल इनेलो प्रमुख बरोदा हलके के सभी गांवों में जाकर पार्टी प्रत्याशी के लिए वोट मांग रहे हैं। 
कृषि कानूनों पर मोहर होंगे बरोदा के नतीजे
इन दिनों किसान देशभर विशेषकर पंजाब व हरियाणा में कृषि कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। पंजाब के मुकाबले हरियाणा में विरोध चाहे उतना उग्र नहीं लेकिन कृषि कानूनों का यह मुद्दा सुर्खियों में बना हुआ है। भाजपा इन तीन  कृषि कानूनों को किसानों के पक्ष में बताती है जबकि कांग्रेस व इनेलो इन कानूनों को किसान विरोधी बताते हुए खुलकर इनका विरोध कर रही हैं। कांग्रेस व इनेलो का कहना है कि इन कृषि कानूनों से किसान पूरी तरह से बर्बाद हो जाएंगे। दोनों पार्टिंयां बरोदा हलके के मतदाताओं को इन कृषि कानूनों के विरोध में भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ मतदान करने की अपील कर रही हैं। वहीं भाजपा किसानों को बार-बार यह कहकर भरोसा दिलाने की कोशिश कर रही है कि ये कानून लागू होने के बाद भी प्रदेश में मंडियां भी ज्यों की त्यों बनी रहेंगी और एमएसपी भी बरकरार रहेगी। उसका यह भी दावा है कि किसानों की फसलें पहले की तरह मंडियों में एमएसपी पर ही खरीदी जाएंगी। एक बात साफ है कि अगर बरोदा से भाजपा उम्मीदवार चुनाव हार गया तो पूरे देश में यह संदेश जाएगा कि किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ वोट देकर भाजपा उम्मीदवार को हराया है। अगर भाजपा उप-चुनाव में जीत गई तो भाजपा पूरे देश में प्रचार करने में सफल रहेगी कि किसानों ने कृषि कानूनों के पक्ष में मोहर लगाई है। बरोदा विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह से ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र है और इस क्षेत्र में एक भी शहर या कस्बा नहीं है। ग्रामीण हलका होने के कारण खेती पर निर्भर रहने वाले लोग ही बरोदा में मतदाता हैं।
ढेसी बने मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव
हरियाणा के पूर्व मुख्य सचिव डी.एस. ढेसी को मुख्यमंत्री का मुख्य प्रधान सचिव लगाया गया है। ढेसी मुख्य सचिव पद से रिटायर होने के बाद हरियाणा विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन बनाए गए थे। इसी बीच मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर की विश्व बैंक में कार्यकारी निदेशक पद पर नियुक्ति होने के चलते ढेसी को एचईआरसी के चेयरमैन पद से इस्तीफा दिलाकर वापस सरकार में लाया गया है और प्रदेश में पहली बार रिटायर आईएएस अधिकारी को मुख्यमंत्री का मुख्य प्रधान सचिव बनाया गया है। -मो.-9855465946