एक क्रूर फैसले की ख़ौफनाक कहानी

कुछ कारनामें किसी व्यक्ति के लिए ही नहीं, किसी कौम के लिए ही नहीं बल्कि एक देश के इतिहास की कलंक कथा बन जाते हैं। 14 साल के जार्ज स्टिनी जूनियर को 16 जून 1944 को क्रूरतापूर्वक मौत के घाट उतार देना, अमरीका के इतिहास का ऐसा ही कलंक है, जो लाख यत्न करने के बाद भी इतिहास के पन्नों से न मिट रहा है, न धुंधला रहा है। रह-रहकर 20वीं सदी के इस सबसे कम उम्र अश्वेत किशोर की आत्मा चीख उठती है और अमरीका के लोकतंत्र को शर्मसार कर देती है। मौत के घाट उतारे जाने वाले दिन सुबह 7 बजे अमरीका के क्लेरेंडन काउंटी में, एक 14 साल के पांच फुट एक इंच लंबे किशोर को, जिसका रंग पूरी तरह से काला था, गार्ड पकड़कर फांसी घर लाते हैं, यह पारंपरिक फांसी घर नहीं है, यहां अपराधी को कुर्सी में बांधकर बिजली से भून देने की व्यवस्था है। युवक भय से कांप रहा है, उसके पैर चल नहीं पा रहे, आंखों से लगातार आंसू निकल रहे हैं, मुंह की आकृति लगातार जिंदगी की भीख मांगने की मुद्रा में है, सामने दर्जन से ज्यादा सभ्य से दिखने वाले इंसानों के क्रूर पुतले बैठे हैं, जिनकी क्रूरता की इंतहां देखिये कि वे अपने साथ छोटे बच्चों को भी बैठाये हैं। किशोर अभियुक्त लगातार रोते हुए जिंदगी की भीख मांग रहा है, वह बार-बार कह रहा है कि उसने कुछ नहीं किया। मगर उसकी सुनेगा कौन? दो गार्ड जॉर्ज स्टिनी को उठाकर कुर्सी में पटक देते हैं, जार्ज स्टिनी को कुर्सी पर बैठा दिया जाता है।  इसके बाद उसे अच्छी तरह से बेल्ट से हाथ, पांव, छाती, कमर सब बांध दिये जाते हैं। उसके सिर पर लोहे का वह कंटोप रख दिया जाता है जिसमें 24000 वोल्ट की बिजली बह सके। यह इंसान की वीभत्स क्रूरता की प्रक्रिया थी। जॉर्ज के मुंह में काला मास्क लगाकर टेप कस दी गई जिसे अब उसका रोता हुआ और भय से कांपता हुआ चेहरा नहीं दिख रहा। लेकिन हल्की-हल्की दिख रही कनपटियों के ऊपर-नीचे होती छायाओं से अंदाजा लग रहा था कि वह रो रहा है। बहरहाल अब कनपटियां भी न दिखें इसके लिए उसके चेहरे पर काला नकाब डाल दिया जाता है। आफिसर उस हैंगमैन को इशारा करता है, जिसे 24000 वॉट की विद्युत का खटका नीचे करना है। वह एक बार उस अधिकारी की तरफ देखता है, जिसकी इजाजत के बाद उसे हैंडिल नीचे करना है। फि र उन गार्डों की तरफ  देखता है, जिन्होंने आरोपी को कुर्सी में सेट किया होता है। सब कुछ दुरुस्त होने पर वह बिजली के स्विच की हैंडिल को खींचकर नीचे कर देता है और उसी क्षण विद्युत करेंट इतने झटके से आता है कि जॉर्ज स्टिनी के सिर पर कसा कंटोप एक फि ट ऊपर उठ जाता है। जॉर्ज के इतने बंधे और टेप से मुंह बंद होने के बाद भी एक आखिरी चीख निकल जाती है। अगले ही पल सिर से उड़ा कंटोपा फि र से सिर में भड़ाक से गिरता है और सिर कटे बकरे के धड़ की तरह कुछ मिनटों तक जॉर्ज स्टिनी फड़फड़ाता है और फि र हमेशा-हमेशा के लिए शांत हो जाता है। इतिहास में अश्वेतों के साथ किस तरह की क्रूरताएं अमरीका में हुई हैं, उसे जान चुके हैं। दरअसल लगभग 76 साल बाद आज अगर जॉर्ज स्टिनी की चर्चा पूरी दुनिया में है, तो इसकी कई वजहें हैं। पिछले दिनों जिस तरह एक अश्वेत को अमरीका की श्वेत पुलिस ने नस्ली क्रूरता बरतते हुए मार डाला और फि र जिस तरह पूरे अमरीका में ब्लैक मैटर लाइव्स आंदोलन शुरु हुआ। इस आंदोलन के दौरान फि र से जॉर्ज स्टिनी पर ही चर्चा नहीं शुरु हुई बल्कि यह चर्चा विश्वव्यापी रही। इसकी दूसरी वजह 2014 में अश्वेतों के जबरदस्त आंदोलन के बाद फिर से खोले गये इस केस को नये तरीके से जांच के बाद यह साबित किया गया कि 14 वर्षीय जॉर्ज बेकसूर था, वह अपने बेकसूरी को अदालत के समक्ष साबित नहीं कर सका, क्योंकि उसे इसका मौका नहीं मिला। जॉर्ज स्टिनी के मामले को महज ढाई घंटे की सुनवाई, 10 मिनट के सवाल-जवाब के बाद ही तय कर दिया गया। जिस समय 1000 से ज्यादा लोगों से खचाखच भरी अदालत में यह फैसला सुनाया गया, उस समय उस अदालत में एक भी अश्वेत व्यक्ति नहीं था। अश्वेतों को अंदर नहीं आने दिया गया था और जिस ज्यूरी ने मौत का यह फ रमान सुनाया, उसमें एक भी अश्वेत नहीं था।

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