बढ़ता भ्रष्टाचार कैसे हो उपचार

हम भारतीयों के लिए चिंता व लज्जा का विषय है कि भ्रष्टाचार पर नज़र रखने वाली स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संस्था ‘ट्रांसपैरेसी इंटरनैशनल’ द्वारा जारी ‘ग्लोबल करप्शन बैरोमीटर (जीटीबी)-एशिया’ रिपोर्ट के अनुसार भ्रष्टाचार में संलिप्त एशिया के देशों में भारत को सर्वप्रथम स्थान पर रखा गया है। 13 अलग-अलग स्रोतों पर आधारित 180 देशों की रैंकिंग के वार्षिक आकलन के अनुसार एशिया में सबसे अधिक रिश्वत़खोरी भारत में देखने में आई है। सार्वजनिक सेवाओं का उपभोग करने हेतु व्यक्ति गत संपर्कों का लाभ उठाने वाले सर्वाधिक लोग भारत से संबंध रखने वाले हैं। इसके मुताब़िक, भारत में रिश्वत देने वालों में से लगभग 50 प्रतिशत लोगों ने यह स्वीकारा कि उनसे ऐसा करने को कहा गया था। सार्वजनिक सेवाओं का लाभ उठाने हेतु व्यक्ति गत संपर्कों का उपयोग करने वालों में से 32 प्रतिशत का कहना था कि रिश्वत न देने पर उन्हें सेवा प्नाप्त नहीं हो पाती। लगभग 39 फीसदी लोग काम निकलवाने के लिए रिश्वत देने की बात स्वीकारते हैं। 
निरंतर बढ़ता भ्रष्टाचार वर्तमान व्यवस्था का एक कटु सत्य है, जिसे चाहकर भी हम नहीं नकार सकते। नि:संदेह चुनाव लोकतंत्र की आधारशिला हैं, किंतु विडम्बना का विषय है कि जिस भ्रष्टाचार-समाप्ति को आमतौर पर सभी दलों द्वारा चुनावी मुद्दा बनाया जाता है, वही भ्रष्टाचार अप्रत्यक्षत: चुनावी प्रचार-प्रसार का मूलाधार बनता है। विभिन्न प्रलोभनों के रूप में वोट बैंक भुनाना रिश्वत़खोरी का प्रथम सोपान है। 
 देश में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी मजबूत हो चुकी हैं कि शायद ही कोई विभाग इससे अछूता रहा हो। विशेष तौर पर पुलिस विभाग तो अपनी भ्रष्टाचारी छवि को लेकर ़खासा चर्चित है। सरकारी निकायों की बात करें तो ऊपर से नीचे तक, पूरी व्यवस्था ही भ्रष्टाचार की चपेट में है। मामूली-सा काम भी अक्सर अधिकारी से लेकर चपरासी तक, क ई लोगों की जेब गर्म किए बिना संभव नहीं हो पाता। रिपोर्ट बताती है कि 63 प्रतिशत लोगों को आशंका है कि अगर वे रिश्वत़खोरी संबंधी शिकायत दर्ज़  करवाते हैं तो उन्हें अनेक समस्यायों का सामना करना पड़ सकता है। समय अथवा पर्याप्त जानकारी का अभाव भी भ्नष्टाचार को जन्म देता है। लंबी कतारों में लगकर काम करवाने की अपेक्षा कई लोगों को बिचौलियों के माध्यम से कार्य करवाना सुविधाजनक प्नतीत होता है। संबंधित अधिकारियों की बिचौलियों से सांठगांठ होने के कारण कार्य बिना किसी झंझट के हो जाता है। शार्टकट अपनाने की यह आदत भी भ्रष्टाचार का बड़ा कारण है।ट्रांसपेरेंसी इंटरनैशनल के सुझाव अनुसार भ्रष्टाचार को रोकने हेतु नियंत्रण और संतुलन को सुदृढ़ करने के साथ ही शक्ति यों के पृथक्करण को बढ़ावा देना अत्यावश्यक है। भ्रष्टाचार, लालसा अथवा विवशता, किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं। देश को इस कोहड़ से मुक्त  करने के लिए जितना महत्त्वपूर्ण योगदान कठोर दंड संहिता व कानून नियमन का हो सकता है, उससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण है नागरिकों का इसके उन्मूलन हेतु इच्छुक एवं दृढ़ संकल्प होना।