महंगी होती जा रही बिजली

पॉवरकाम द्वारा पंजाब राज्य बिजली रैगूलेटरी आयोग से 8 प्रतिशत बिजली महंगी करने की मांगी गई स्वीकृति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आगामी दिनों में बिजली दरों में और वृद्धि कर दी जाएगी। पॉवरकाम की अपनी मजबूरी है। राज्य सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र सहित अन्य वर्गों को लगभग 10,000 करोड़ की मुफ्त बिजली दी जाती है। हालांकि पॉवरकाम ने कृषि क्षेत्र हेतु भी 15 प्रतिशत महंगी बिजली करने का प्रस्ताव भेजा है। अगर ऐसा होता है तो सरकार द्वारा अदा की जाने वाली सबसिडी की राशि 13,000 करोड़ से भी बढ़ जाएगी। पॉवरकाम की स्थिति इस कारण भी खराब होती जा रही है कि सरकार द्वारा सबसिडी की अदायगी में लगातार देरी की जाती रही है। अकाली-भाजपा सरकार के समय हुए बिजली समझौतों के तहत राजपुरा, तलवंडी साबो एवं गोइंदवाल साहिब के निजी पॉवर प्लाटों को स्थायी खर्चे के रूप में अदायगी की जाती है। यह राशि इन निजी कम्पनियों से खरीदी गई बिजली के मूल्य से अलग है। पंजाब में हुये पिछले चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने अपनी सरकार बनने के एक महीने के भीतर घरेलू बिजली 5 रुपये प्रति यूनिट देने का वायदा किया था परन्तु आज सरकार को सत्ता में आये 4 वर्ष के लगभग होने वाले हैं। घरेलू बिजली की दरें वायदे के बावजूद 5 रुपये यूनिट के स्थान पर 8 रुपये प्रति यूनिट हो गई हैं। दूसरी तरफ स्थिति यह है कि सरकार द्वारा बठिंडा का थर्मल प्लांट न सिर्फ बंद ही कर दिया गया, उसकी चिमनियां तक भी तोड़ी जा रही हैं। सरकार द्वारा रोपड़ एवं लहरा मोहब्बत के थर्मल प्लांट भी लगभग बंद कर दिये गये हैं। सरकारी प्लांटों से पैदा की जाने वाली सस्ते मूल्य की थर्मल एवं पन-बिजली स्वप्न ही बनती जा रही है। पंजाब सरकार अपना वायदा पूरा नहीं कर सकी क्योंकि अपने से पहली सरकार द्वारा किये निजी कम्पनियों से समझौतों को उसने कायम रखा है। हम लम्बे समय से राज्य सरकार की बिजली नीतियों की सुस्त कारगुज़ारी को देखते आ रहे हैं। अनेक कारणों से पहले ज़रूरत के अनुसार बिजली की पैदावार नहीं होती थी क्योंकि सरकारी थर्मल एवं पन बिजली प्लांट किसी न किसी रूप में अपनी सुस्त कारगुज़ारी दिखाते रहे हैं परन्तु जब से निजी कम्पनियों को इस क्षेत्र में दाखिल किया गया तो प्रतिदिन प्रत्येक क्षेत्र में बिजली महंगी होने के समाचार मिल रहे हैं। राज्य सरकारें मुफ्त की योजनाओं में झोली भर-भर कर पैसे बांटती रही है तथा खाली हुई झोली को भरने के लिए अलग-अलग वर्गों के लोगों पर बेवजह आर्थिक भार बढ़ाती रही हैं। सोचने वाली बात यह है कि राज्य में देश के अन्य सभी राज्यों से बिजली महंगी क्यों है? असम, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश  एवं छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में पंजाब की अपेक्षा बिजली के रेट कहीं कम हैं। यहां तक कि हरियाणा में भी बिजली के रेट पंजाब से कम हैं।हमारी राज्य सरकारें अपनी  त्रुटिपूर्ण कारगुज़ारी के कारण  अग्रणी मानी जाती रही हैं। राज्य के विकास के लिए यदि सरकारी ज़मीनों एवं सम्पत्तियों को ही बेचना है, यदि अपने सिर पर लाखों करोड़ के ऋण की गठरी उठानी है तो सरकार अपने दाता होने का भ्रम कैसे पाल सकती है? राज्य सरकारों की ऐसी त्रुटिपूर्ण कारगुज़ारी ने ही पंजाब को देश के अन्य राज्यों के मुकाबले निचली कतार में ला खड़ा किया है। आज राज्य के उद्योग की बुरी स्थिति देख कर, व्यापार को अवसान की ओर जाते देख कर यहां महंगाई एवं बेरोज़गारी का प्रसार देख कर मन बेहद परेशान होता है। इस दृश्य एवं व्यवहार के लिए तत्कालीन राज्य सरकारों और राजनीतिक पार्टियों की कारगुज़ारी पर भी बड़ा प्रश्न-चिन्ह है। ऐसी अवस्था से राज्य के और भी पतन की ओर जाने की सम्भावना बनी नज़र आती है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द