खाप पंचायतों के कारण बढ़ रही है सरकार की चिन्ता

हरियाणा में पिछले अढ़ाई महीने से चल रहा किसान आन्दोलन कई उतार-चढ़ाव के बाद न सिर्फ निरंतर जारी है बल्कि केन्द्र सरकार व किसान संगठनों के बीच बातचीत टूट जाने और दोनों तरफ से अपने-अपने स्टैंड पर कायम रहने से अभी तक आन्दोलन खत्म होने की जल्दी कोई संभावना नजर नहीं आ रही। इसके अलावा संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसानों की मांगों व आन्दोलन के प्रति जो रवैया अपनाया है, उससे आन्दोलन जल्द खत्म होने के कोई आसार नजर नहीं आते। पिछले अढ़ाई महीने से हरियाणा से दिल्ली को जाने वाले सभी प्रमुख राज मार्गों पर किसान धरना लगाए बैठे हैं। सिंघु बॉर्डर पर किसानों के धरने के चलते प्रदेश मुख्यालय चंडीगढ़ के अलावा पंचकूला, अंबाला, यमुनानगर, कैथल, कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत व सोनीपत वगैरा जिलों से दिल्ली जाने वाला मार्ग पूरी तरह बंद है और लोगों को अन्य रास्तों से दिल्ली की ओर जाना पड़ता है। दूसरी तरफ टिकरी बॉर्डर पर भी किसानों के धरने के चलते हरियाणा के झज्जर, रोहतक, जींद, हिसार, भिवानी, दादरी, फतेहाबाद व सिरसा वगैरा जिले राष्ट्रीय राजधानी से कटे हुए हैं। प्रदेश के ज्यादातर टोल प्लाजा पर भी किसानों के धरनों के चलते अभी तक पूरे प्रदेश में किसान आन्दोलन चल रहा है और कहीं भी किसानों का जोश ठंडा पड़ता नजर नहीं आ रहा। 
सदमे से उभरा आन्दोलन 
26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज के अलावा कुछ लोगों द्वारा केसरिया व किसान संगठन का झंडा लहराने से किसान आन्दोलन को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था। हालांकि आन्दोलनकारी किसान संगठनों ने न सिर्फ उस घटना से अपने आपको अलग कर लिया था बल्कि उस घटना की निंदा करते हुए उस घटना में शामिल लोगों को सरकार के बड़े लोगों के करीबी बताया था। उस घटना के बाद किसानों के धरने कुछ कमज़ोर भी पड़ गए थे। इसी दौरान गाजीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत द्वारा भावुक होकर कही गई बातों और उनकी आंखों से निकली आंसुओं की धारा ने न सिर्फ फिर से किसान धरनों पर भीड़ बढ़ा दी बल्कि 26 जनवरी की घटना से किसान आन्दोलन को जो झटका लगा था उस झटके से उभार कर आन्दोलन को वापस पहले वाली स्थिति में पहुंचा दिया। 
कंडेला में खापों की हुंकार
जींद जिले के कंडेला गांव में हरियाणा की खाप पंचायतों ने महापंचायत का आयोजन किया था। 3 फरवरी को आयोजित इस खाप पंचायत में न सिर्फ 50 से ज्यादा खापों के किसान प्रतिनिधि शामिल हुए बल्कि इस महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत, बलबीर सिंह राजेवाल व गुरनाम सिंह चढूनी सहित अनेक प्रमुख किसान नेता शामिल हुए। भीड़ व हाज़िरी के लिहाज से कंडेला में आयोजित खापों की महापंचायत बेहद सफल रही और इस महापंचायत ने हरियाणा में किसान आन्दोलन में एक नई जान डाल दी। किसान आन्दोलन को लेकर कंडेला गांव पहले भी चर्चित रहा है। 
ओम प्रकाश चौटाला के मुख्यमंत्रीत्व काल में भारतीय किसान यूनियन के नेता घासीराम नैन के नेतृत्व में किसानों ने बिजली बिलों को लेकर आन्दोलन किया था और मुख्य मार्ग जाम कर दिया था। उस समय किसानों ने एक डीएसपी को बंधक भी बना लिया था। रास्ता खाली करवाने के प्रयास में पुलिस व किसानों के बीच टकराव होने पर पुलिस फायरिंग से कई किसानों की मौत हो गई थी। इस पुलिस फायरिंग से प्रदेशभर के किसान चौटाला सरकार से खफा हो गए थे और उसके बाद विधानसभा व लोकसभा चुनाव में इनेलो को अपनी सरकार गंवाकर इसका खमियाजा भुगतना पड़ा था। कंडेला में किसानों के उमड़े जनसैलाब ने एक बार फिर सरकार की चिन्ता बढ़ा दी है। कंडेला के अलावा चरखीदादरी के कितलाना टोल व नूंह में किसान महापंचायतों में उमड़े जनसैलाब से भी सरकार बेहद चिंतित है।
अभय चौटाला का इस्तीफा
हरियाणा विधानसभा में इनेलो के इकलौते विधायक अभय सिंह चौटाला ने किसानों की मांगों के समर्थन में अपनी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अभय चौटाला ऐलनाबाद से विधायक थे और वह चौथी बार विधानसभा में चुनकर आए थे। अभय चौटाला ने किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए यह ऐलान किया था कि अगर केन्द्र सरकार ने 26 जनवरी तक किसान विरोधी तीनों कृषि बिल वापस न लिए तो वह विधायक पद से इस्तीफा दे देंगे। अभय चौटाला 27 जनवरी को स्पीकर से मिले और उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया जिसे स्पीकर ने तुरंत स्वीकार कर लिया। उनके इस्तीफे से ऐलनाबाद की सीट खाली हो गई है। इनेलो में विभाजन होने और परिवार में फूट पड़ने से पिछले विधानसभा चुनाव में इनेलो का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा था और मात्र अभय चौटाला ही ऐलनाबाद से विधायक बन पाए थे। अब वह ऐलनाबाद के अलावा पूरे प्रदेश में घूमकर इनेलो के पक्ष में माहौल बनाने के प्रयास में जुटे हुए हैं। इसमें उन्हें कितनी सफलता मिलती है, यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन इनेलो ने प्रदेश की राजनीति की मुख्यधारा में अपनी पहले जैसी वापसी के लिए सबकुछ दांव पर जरूर लगा दिया है। 
विधायक प्रदीप चौधरी की सदस्यता रद्द
कालका से कांग्रेस विधायक प्रदीप चौधरी की विधानसभा सदस्यता रद्द हो गई है। प्रदीप चौधरी को एक आपराधिक मामले मेें हिमाचल के नालागढ़ की कोर्ट ने पिछले पखवाड़े 3 साल की सजा सुनाई थी। अदालत के इस फैसले के बाद हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने कानून व नियमों का हवाला देते हुए न सिर्फ प्रदीप चौधरी की विधानसभा सदस्यता रद्द किए जाने का ऐलान कर दिया बल्कि इस बारे में एक अधिसूचना जारी कर कालका सीट खाली होने बारे चुनाव आयोग को भी सूचित कर दिया। नियमों के अनुसार अगर किसी विधायक को दो साल से ऊपर की सजा सुनाई जाती है तो वह विधानसभा की सदस्यता के अयोग्य घोषित किया जा सकता है। प्रदीप चौधरी की विधानसभा से सदस्यता रद्द होने के बाद विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या घटकर 31 से 30 रह गई है। पिछले चुनाव में भाजपा के 40, जजपा के 10, कांग्रेस के 31, इनेलो 1, हलोपा 1 व 7 निर्दलीय विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे थे। 
बजट सत्र पर सभी की निगाहें
किसान आन्दोलन के बीच इसी महीने के आखिर में हरियाणा विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने जा रहा है। इस बारे 10 फरवरी को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में फैसला लिया जाएगा कि विधानसभा सत्र किस तारीख से बुलाया जाए। विधानसभा सत्र की शुरुआत राज्यपाल के अभिभाषण से होगी और प्रदेश का बजट मार्च के पहले सप्ताह में पेश किए जाने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल जिनके पास वित्त मंत्री का भी प्रभार है, विधानसभा में दूसरी बार प्रदेश का बजट पेश करेंगे। 
कोरोनाकाल के बाद इस बार बजट सत्र पर सभी की नज़रें लगी हुई हैं। कांग्रेस पहले ही यह घोषणा कर चुकी है कि वह विधानसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी ताकि किसान आन्दोलन बारे स्थिति स्पष्ट हो सके कि कौन-कौन विधायक सरकार के साथ है और कौन विधायक किसानों के समर्थन में सरकार के खिलाफ खड़े हैं।  
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