तकनीक से आई फुटबाल में पारदर्शिता

विश्व के तेज़ तर्रार और लोकप्रिय खेलों में अग्रणी फुटबाल में अम्पायरिंग संबंधी पैदा होने वाले विवादों को रोकने के लिए तकनीक का काफी प्रयोग किया जाने लगा है और इससे खेल में पारदर्शिता लाने में भी काफी सफलता मिली है। अक्सर ही देखा जाता है कि मैचों के दौरान बहुत बार खेल के कुछ एक्शन अम्पायर के सही पोज़ीशन में न होने के कारण नज़रअंदाज़ हो जाते हैं, जिनके संबंध में फैसले करने के लिए तकनीक का सहारा लिया जाता है और खेल बिना किसी विवाद आगे बढ़ जाता है।  फुटबाल मैचों में प्रयोग की जाने वाली तकनीकी की सफलता का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि टैक्नालोजी 10 में से 9 अवसरों पर मददगार सिद्ध होती है, जिसका मंच संचालकों को बहुत लाभ होता है। मैचों के दौरान अम्पायर की नज़र प्रत्येक घटना तक नहीं पहुंच सकती, उसके मुकाबले टैक्नालोजी मैच के 99.9 फीसदी पलों को कैमरों में कैद करने में सफल रहती है। इस कारण खेल में बहुत से विवाद टल जाते हैं। 
गोल लाइन तकनीक : फुटबाल में गोल लाइन तकनीक खेल का सबसे महत्वपूर्ण पहलू बन गई है क्योंकि यह गोल के होने या न होने का पारदर्शिता से फैसला करने में मदद करती है।  इस तकनीक के माध्यम से कुछ सैकेंड में ही मैदान में मौजूद रैफरी को गोल होने या न होने की स्थिति को स्पष्ट करना होता है जिसके लिए नाज़ुक पलों में तकनीक रैफरी के लिए बहुत सहायक साबित होती हैं।  
स्मार्ट बाल प्रणाली : स्मार्ट बाल प्रणाली एक ऐसी प्रणाली है जो एक सैंसर के साथ लैस होती है जो बॉल में फिट की होती है। इस तकनीक के रिसीवरों का दायरा पिच के इर्द-गिर्द स्थित होता है और इसे बहुत ही शुद्धता से बॉल को ट्रैक करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह तकनीक मैच अधिकारियों को उस समय सूचित करती है जब बॉल गोल पोस्ट के पार कर जाती है और यह जानकारी मैच रैफरी को उस द्वारा पहनी स्मार्ट घड़ी के माध्यम से प्राप्त होती है। 
हौकी सिस्टम : इस सिस्टम का फुटबाल में बहुत अच्छे ढंग से प्रयोग किया जा रहा है। यह प्रणाली तीन कैमरों से काम करती है जो गोल की लाइन पर निश्चित होते हैं। प्रत्येक कैमरा 600 फ्रेम प्रति सैकिंड कैद करने के समर्थ होता है। इस तकनीक से मैच अधिकारी के लिए यह निर्धारित करना आसान हो जाता है कि बॉल ने गोल रेखा को पार कर लिया है या नहीं। 
गोल रैफरल सिस्टम : यह एक ऐसी प्रणाली है जो रोडियो के माध्यम से संचालित होती है और इसमें कम आवृति वाले चुम्बकीय क्षेत्रों का प्रयोग किया जाता है। यह निर्धारित करती है कि पूरी बॉल गोल लाइन से पार चली गई है। यह तकनीक चुम्बकीय क्षेत्र की एक जोड़ी का प्रयोग करती है। एक बार जब बॉल गोल लाइन को पार कर जाती है तो यह रैफरी को तुरंत सूचित कर देती है। 
वीडियो असिस्टैंट रैफरी (वी.ए.आर.) : संभावित तौर पर आधुनिक फुटबाल में इस तकनीक का प्रयोग सबसे विवादपूर्ण सज़ाएं जैसे लाल-पीले कार्ड देने के फैसलों की समीक्षा करने के लिए किया जाता है।  वी.ए.आर. हुई घटना के उच्च स्तरीय रिप्ले की समीक्षा करता है और यह मैच अधिकारी को सही निर्णण लेने में सहायता करता है। यह तकनीक 2018 के विश्व फुटबाल कप से फुटबाल का  हिस्सा बनी और यह बहुत सहायक सिद्ध होती है। 
फोम तकनीक : कुछ समय के बाद गायब हो जाने वाली फोम (झाग) का प्रयोग रैफरी द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि खिलाड़ी सही ठिकाने से किक लगा कर, रुकावट के बाद खेल शुरू करे। यह विरोधी टीम की रक्षा पंक्ति के खिलाड़ियों को आगे बढ़ने से रोकने में सहायक होती है। 

-मो. 97795-90575