संयुक्त परिवार के महत्त्व को समझें

पु-रातन समय में संयुक्त परिवारों का आकार बहुतबड़ा होता था। इसके दो कारण थे एक तो यह था कि प्रत्येक विवाहित दम्पति की औसतन संतान 5 से 6 हुआ करती थी। दूसरा कारण यह था कि पुरातन समय में प्रकृति के साधन बहुत विशाल थे, लेकिन जैसे-जैसे प्राकृतिक साधनों पर मानव का दबाव बढ़ता गया और सभ्याचार का विकास होता गया तो संयुक्त परिवारों का आकार भी सीमित होता गया। पिछले कई वर्षों में तेज औद्योगिक विकास ने एक पूंजीपति  वर्ग पैदा कर दिया है। कृषि के पुराने ढंग-तरीके बदल गये हैं। कुओं के स्थान पर ट्यूबवैल एवं ट्रैक्टर आदि ने ले लिया है। फसलों की कटाई के लिए हार्वेस्टर कम्बाइनें आ गई हैं। बहुत तेज़ी से कृषि का व्यापारीकरण और मशीनीकरण हुआ है। रोज़गार की प्राप्ति के लिए लोग गांव और शहरों से दूर-दराज़ स्थानों और विदेशों की ओर जा रहे हैं। लोग अपने संयुक्त परिवार के सीमित दायरे में से बाहर निकल कर लाभप्रद रोज़गार प्राप्त करने के लिए अपने परिवारों से दूर हो रहे हैं।
मनुष्य सामाजिक प्राणी ज़रूर है, लेकिन उसमें  सामूहिक सोच आलोप हो रही है। सिर्फ निजीकरण रुचियां ही उसमें प्रबल हो रही हैं। संयुक्त परिवार में जब पारिवारिक सदस्य अपने निजी हितों और रुचियों को परिवार के सामूहिक हित के मुकाबले प्राथमिकता देनी शुरू कर देते हैं तो अंत में वह इकट्ठा नहीं रह सकते। बड़े परिवारों में सदस्यों की संख्या ज्यादा होने के कारण स्वभाव, रुचियां, आदतें, दृष्टिकोण और शौक भिन्न-भिन्न होते हैं। यदि हमारे सदस्य एक-दूसरे से हमदर्दी, मेल-मिलाप, प्यार, सम्मान और सहनशीलता से रहें तो परिवार का जीवन सुख से भरपूर और आनंदमय होता है। लेकिन वास्तविकता में ऐसा नहीं होता, प्रत्येक एक सदस्य जब अपने अहंकार में रहता है तो घर में लड़ाई-झगड़ा शुरू हो जाता है जिससे अंत में परिवार टूट जाते हैं।  अधिकतर संयुक्त घरों में घरेलू काम अन्य काम निपटाने के लिए लोगों पर वैज्ञानिक और यथार्थवादी सोच हावी होती है। इससे घर का प्रत्येक सदस्य अपनी मनमानी करता है। कुछ सदस्य तो अपना तानाशाही वाला व्यवहार धारण कर लेते हैं। इसीलिए हर एक सदस्य की घर में सलाह अवश्य लेनी चाहिए। ऐसा करने से संयुक्त परिवार कभी टूटता नहीं। संयुक्त परिवार तब अधिक टूटते हैं जब सबसे अधिक कमाने वाला सदस्य चोरी-छुपे अपनी पूंजी को पारिवारिक सदस्यों को बिना बताए कहीं और लगाना शुरू कर देता है। संयुक्त परिवारों के गुण भी हैं और अवगुण भी।  यदि परिवार के सभी सदस्यों में आपसी प्यार, सद्भावना, हमदर्दी, ईमानदारी और सहनशीलता हो तो घर स्वर्ग समान बन जाता है और साथ ही बड़ों का सम्मान और छोटों के साथ प्यार हो और मिल-बांट कर काम किया जाये तो संयुक्त परिवार भी धरती पर स्वर्ग समान होता है।
-मो. 98155-84220