सुंदरता का रहस्य है प्रकृति का आशीर्वाद

अनेक तरह के कृत्रिम प्रसाधनों का प्रयोग किया जाता है जो शरीर एवं त्वचा की प्राकृतिक सुंदरता को नष्ट कर देने वाले होते हैं। इनके अधिक प्रयोग से त्वचा में रूखापन, सिर के बालों का उड़ना, बालों का पकना, नेत्रों की ज्योति का समाप्त होना, दांतों का टूटना अनेक बीमारियां हो जाया करती हैं। 
प्रकृति द्वारा प्रदत्त आशीर्वाद के रूप में मिलने वाली जड़ी-बूटियों का प्रयोग न  कर सिर्फ बाहरी सुंदरता को ही निखारा जा सकता है बल्कि शरीर के अंदर प्रवेश करने वाले अनेक रोगाणुओं से भी शरीर की सुरक्षा की जा सकती है। प्रकृति-प्रदत्त उपायों को यहां प्रस्तुत किया जा रहा है।
=आंवला चूर्ण, भृंगराज चूर्ण, काले तिल, शतावरी चूर्ण, अश्वगंधा चूर्ण, सभी समान भाग लेकर मिलाकर 3-4 ग्राम की मात्रा में एक वर्ष तक लेने पर सफेद बाल काले होने लगते हैं।
= सरसों के दानों को पीस कर उसमें थोड़ा दही मिलाकर शरीर पर लगाएं। बीस-पच्चीस मिनट बाद उसे थोड़ा गीला करते जाइए एवं रगड़ते जाइए। बाद में गुनगुने पानी से धो लें। यह उबटन हर तीसरे या चौथे दिन नियमित करने से त्वचा कुछ ही दिनों में मुलायम एवं गोरी हो जाती है। 
= तिल के पत्तों को पीसकर केश धोने से केश चमकीले, स्वस्थ व घने होते हैं। आंवला, शिकाकाई तथा रीठा के मिश्रण से बाल धोना चाहिए। 
= आधा चम्मच नींबू के रस में एक चौथाई चम्मच टमाटर का रस व दूध मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरा सुंदर व चमकीला होता है।
= संतरे के सूखे छिलके का पाउडर दूध में घोलकर लेप लगाने से मुंहासे, झाई व कील आदि में लाभ होता है।
= गरम सरसों का गुनगुना तेल लेकर उसमें अंगुलियों को कुछ देर तक डुबाकर फिर हाथ को अच्छी तरह पोंछकर उस पर जैतून के तेल की मालिश करने से नाखूनों की सुंदरता बढ़ती है तथा वे फटते नहीं हैं। 
= चने की दाल को पानी में भिगोकर दूध में पीस लें। उसके बाद उसमें एक चम्मच हल्दी व नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर लेप लें। सूखने पर ठंडे पानी से चेहरा धो लें। सांवली रंगत में निखार आ जाएगा।
= थोड़ी-सी गुलाब की पंखुड़ियां लेकर दो तीन कागजी बादाम की गिरियां तथा थोड़ी सी खसखस को पीसकर चेहरे पर उबटन की तरह मलें। गुनगुने पानी से कुछ देर बाद में साफ कर लें। इससे चेहरे पर उभर आये छोटे छोटे तिल हट जाते हैं।  (उर्वशी)