लॉकडाउन की दहलीज़ पर जा खड़ा हुआ है देश

पिछले छह माह के दौरान 22 दिसम्बर, 2021 को दिल्ली ने एक दिन में कोविड-19 संक्रमण के सबसे ज्यादा 125  केस रिकॉर्ड किये। चिंता में वृद्धि इस तथ्य से अधिक हो रही है कि दिल्ली में अब कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट, जो बहुत तेजी से फैलता है, के 57 केस हो गये हैं। इसलिए दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने सभी सांस्कृतिक आयोजनों और क्रिसमस व नव वर्ष के सामूहिक जश्न पर प्रतिबंध लगा दिया है। चूंकि अब देश के अन्य क्षेत्रों से भी ओमिक्रॉन के मामले रिपोर्ट होने लगे हैं, जैसे उत्तराखंड ने 22 दिसम्बर, 2021 को अपना पहला ओमिक्रॉन केस दर्ज किया, इसलिए अन्य शहरों व राज्यों में भी भीड़ एकत्र करने के संदर्भ में अलग अलग प्रकार के एहतियाती कदम उठाये गये हैं। मसलन, कर्नाटक में 30 दिसम्बर से 2 जनवरी, 2021 तक सभी सामूहिक नववर्ष आयोजनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यहां तक कि क्लबों, पब्स व अपार्टमेंट्स में भी इस प्रकार के आयोजन या जश्न नहीं मनाये जा सकेंगे। 
चेन्नई में मरीना बीच पर जाकर कोई नये साल का जश्न नहीं मना सकेगा। भुवनेश्वर में नवम्बर में ही नये साल के सार्वजनिक उत्सवों पर रोक लगा दी गई है, जिसमें होटल व रेस्टोरेंट के आयोजन भी शामिल हैं। मुम्बई में धारा 144 लगी हुई है, जिसका अर्थ है कि किसी सार्वजनिक स्थल पर चार या उससे अधिक व्यक्ति एकत्र नहीं हो सकते। पंजाब में निर्देश है कि अगर किसी कर्मचारी के पास टीकाकरण सर्टिफिकेट नहीं है, तो उसे वेतन का भुगतान नहीं किया जायेगा। अन्य राज्यों में भी इस प्रकार के प्रतिबंधों पर विचार हो रहा है। ओमिक्रॉन के कारण कोविड-19 की स्थिति कितनी भयावह होने की आशंका है, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 23 दिसम्बर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उच्चस्तरीय बैठक में इसकी समीक्षा की। 23 दिसम्बर को ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ओमिक्रॉन के संदर्भ में राष्ट्रीय राजधानी की तैयारी व प्रबंधन की समीक्षा की। यह सब कुछ कोविड-19 की आशंकित तीसरी लहर के सिलसिले में है कि स्वास्थ्य इन्फ्रास्ट्रक्चर (अस्पताल, बेड्स, ऑक्सीजन, दवाएं आदि), जिसमें होम आइसोलेशन प्रबंधन भी शामिल है, चाक चौबंद है या नहीं। 
जिलाधिकारियों से कहा गया है कि वे अपने क्षेत्रों का गहन सर्वे करके उन जगहों की निशानदेही करें जिनकी कोविड हॉटस्पॉट या सुपरस्प्रेडर बनने की आशंका है। साथ ही इन क्षेत्रों में तीन टी (टैस्ट, ट्रैक व ट्रीट) का पालन किया जाये और कोविड प्रोटोकॉल्स (मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग व नियमित हाथ धोना) का सख्ती से पालन कराया जाये और कहीं भी भीड़ एकत्र न होने दी जाये। ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार हर जिले में कम से कम एक ‘ऑक्सीजन स्टीवर्ड’ ट्रेन करने की योजना बना रही है। देश में कोविड नियंत्रण की स्थिति अब भी संतोषजनक नहीं है। 22 दिसम्बर, को सुबह 8 बजे अपडेट किये गये स्वास्थ्य मंत्रालय के डाटा से मालूम होता है कि पिछले 24 घंटों के दौरान कोविड-19 के 6,317 नये मामले सामने आये और 318 मौतें हुईं। भारत में ओमिक्रॉन की संख्या भी बढ़कर 213 हो गई है। 
स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को सावधान किया है कि डेल्टा वैरिएंट से तीन गुना अधिक तेजी से संक्रमित करने वाले ओमिक्रॉन वैरिएंट के कारण कोविड मामलों में एक बार फिर बहुत तेजी से वृद्धि हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में फरवरी तक कोविड की तीसरी लहर आ सकती है, जो दूसरी लहर की तुलना में कहीं अधिक भयावह होगी। इससे बचने का एकमात्र उपाय यही है कि स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर किया जाये और सख्ती से कोविड प्रोटोकॉल्स का पालन किया जाये। दुर्भाग्य से यही काम नहीं हो रहा है। अगर दिल्ली में कोविड सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करने के लिए इस साल जुलाई से 18 दिसम्बर तक 8.6 लाख चालान काटे गये हैं तो बाकी जगहों का अंदाजा स्वत: ही लगाया जा सकता है। दूसरे व स्पष्ट शब्दों में इसका अर्थ यह है कि कोविड को लेकर अपने देश में लापरवाही पसर गई है और यह सर्वविदित है कि सावधानी हटते ही दुर्घटना हो जाती है। इसलिए अनुमान यह है कि लोगों ने अपनी नासमझी में देश को लॉकडाउन की दहलीज पर लाकर खड़ा कर दिया है। 
अगर लोग घर से बाहर निकलने पर कोविड प्रोटोकॉल्स का पालन करेंगे ही नहीं तो उन्हें ओमिक्रॉन से बचाने के लिए सरकार को उन्हें घर में कैद करना ही होगा यानी लॉकडाउन लगाना होगा, जैसा कि यूरोप के अनेक देशों में किया जा रहा है। लॉकडाउन का खतरा इसलिए भी है, क्योंकि नये साल में विशाल ओमिक्रॉन लहर आने का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। गर्मियों में जब डेल्टा नियंत्रित हुआ तो हर किसी ने यह सोचा कि महामारी के सबसे भयावह चरण का अंत हो गया है, लेकिन अपने पत्र ‘योर लोकल एपिडेमिओलोजिस्ट’ में बायोस्टेटिशियन व एपिडेमिओलोजिस्ट डा. केटलिन जेटेलिना का कहना है कि लोगों को एक बार फिर सतर्क हो जाना चाहिए, क्योंकि ओमिक्रॉन वैरिएंट इस तरह से व्यवहार कर रहा है जैसे डेल्टा स्टेरॉयडस पर हो और वह बहुत जल्द स्वास्थ्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को तहस-नहस कर सकता है। उनका कहना है कि मनुष्यों ने संभवत: ओमिक्रॉन से अधिक तेजी से संक्रमित करने वाला वायरस आज तक नहीं देखा है। 
यह बिजली की तेजी से फैलता है और इससे छोटी लेकिन बहुत ऊंची लहर आ सकती है। पिछली लहरें लगभग दो माह तक रहीं, जबकि ओमिक्रॉन की लहर बड़ी (अधिक लोगों को संक्रमित करने वाली) व कम अवधि की हो सकती है। कम अवधि वाली लहर में समस्या यह होती है कि वह स्वास्थ्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को अस्त व्यस्त कर देती है। अगर लाखों लोगों को एक साथ उपचार चाहिए तो अस्पताल इस जरूरत को पूरा करने में सक्षम नहीं होते हैं। मार्च 2020 से अमरीका व यूरोप लगातार कोविड लहरों का सामना कर रहे हैं लेकिन अब अधिक टीकाकरण के बावजूद पहले की तुलना में अधिक दैनिक केस आ रहे हैं। इंग्लैंड, डेनमार्क व फ्रांस ने पिछले सप्ताह के दौरान अपने सबसे ज्यादा दैनिक केस रिकॉर्ड किये हैं। 
ओमिक्रॉन विस्फोटक तेजी से फैल रहा है और डेल्टा अब भी मौजूद है। इसको मद्देनज़र रखते हुए अमरीका का अनुमान है कि उसके यहां जनवरी के दूसरे सप्ताह में अन्य लहर आ सकती है। सवाल यह है कि ओमिक्रॉन इतनी तेजी से क्यों फैलता है? हांगकांग के वैज्ञानिकों ने पाया कि ओमिक्रॉन ब्रोंकियल टिश्यू में डेल्टा से 70 गुना तेजी से ग्रो करता है। इसलिए संक्रमण के एक दिन में ही व्यक्ति इसे बड़ी मात्रा में सांस के साथ बाहर निकालने लगता है और दूसरों को संक्रमित करने के लिए वायरस को यही चाहिए। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर