कबड्डी को नशा मुक्त करना चाहता था संदीप नंगल अम्बियां

पंजाबियों के खून में रची खेल कबड्डी में इस समय जिस खिलाड़ी की सबसे अधिक तूती बोलती थी, वह खिलाड़ी था संदीप सिंह संधू, नंगल अम्बियां। पंजाब के जालन्धर जिले की शाहकोट तहसील के गांव नंगल अम्बियां खुर्द में जन्मे तथा बर्मिंघम (इंग्लैंड) के नागरिक संदीप की कबड्डी में पूरी चढ़़त थी। वह 38 वर्ष की आयु में ही अपने परिवार तथा प्रशंसकों को रोते हुए छोड़ कर अपने अधूरे सपनों को साथ लेकर इस दुनिया से चला गया। संदीप का जन्म 9 सितम्बर, 1983 को पिता स्वर्ण सिंह तथा माता कश्मीर कौर के घर हुआ। दो भाइयों अंग्रेज़ सिंह तथा गुरजीत सिंह, दो बहनों मनजीत और तथा बलजीत कौर के भाई संदीप सिंह संधू ने 11वीं कक्षा में पढ़ते हुए नंगल अम्बियां स्कूल के प्रिंसीपल सुखचैन की प्रेरणा से कबड्डी मैदान में पांव रखा। संदीप पहले वर्ष तो अतिरिक्त खिलाड़ियों में रहा, परन्तु 12वीं कक्षा में उसने अपने चाचा जागीर सिंह के प्रोत्साहन से मोगा में पंजाब स्कूल खेलों के दायरे वाले कबड्डी मुकाबलों में जालन्धर जिले की कप्तानी की तथा पंजाब चैम्पियन बनने का गौरव प्राप्त किया। इस जीत के साथ ही सन् 2000 में प्रसिद्ध खिलाड़ी बिंदू बाजवा कलां, इन्द्रपाल सिंह तथा पवित्र गोहलड़ा के प्रोत्साहन से बाजवा कलां गांव की ओर से ओपन कबड्डी खेलनी शुरू की तथा लगातार 3 वर्ष सर्वोत्तम जाफी के रूप में कप चूमा। सन् 2003 तथा 2004 में संदीप शेर-ए-पंजाब क्लब की ओर से खेला। सन् 2004 में संदीप डिक्सी क्बल टोरांटो (कनाडा) के लिए खेलने के लिए पहली बार विदेश गया। इसके बाद वह बलविन्द्र सिंह चट्ठा यू.के. के संरक्षण में चल रहे टैल्फोर्ड क्लब यू.के., बर्मिंघम, डर्बीस सलोह तथा वुल्वरहैप्टन क्लबों के लिए खेला। इसके अतिरिक्त वह फ्रांस, इटली, आस्ट्रिया तथा दुबई में भी खेला। पंजाब सरकार की ओर से करवाए जाते रहे विश्व कबड्डी कपों में भी इंग्लैंड की टीम के कप्तान के रूप में संदीप ने भाग लिया तथा लगातार बढ़िया प्रदर्शन किया। संदीप का नियम था कि उसने कभी भी मैच फिक्स नहीं किया तथा कभी साथी खिलाड़ी का हक नहीं रखा। उसका सपना था कि मां खेल कबड्डी नशा मुक्त हो। इसलिए उसने अपने साथी खिलाड़ियों के साथ मिलकर मेजर लीग कबड्डी फैडरेशन का गठन किया था। गत वर्षों से संदीप नंगल अम्बियां ने बाबा सुखचैन दास कबड्डी क्लब शाहकोट के गठन के बाद देश-विदेश में कबड्डी कपों में बड़ी उपलब्धियों प्राप्त कीं। वह कबड्डी जगत में ‘ग्लैडिएटर’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ। संदीप जहां बढ़िया खिलाड़ी था, वहीं एक बढ़िया प्रबंधक भी था। उसने 2017 से अपने गांव नंगल अम्बियां में आकर प्रत्येक वर्ष सुपर कबड्डी कप की शुरआत की तथा फरवरी, 2022 में भी कबड्डी कप करवाने के लिए न्यूज़ीलैंड से पंजाब आया हुआ था। 14 मार्च, 2022 को मल्लियां खुर्द में हो रहे कबड्डी टूर्नामैंट के दौरान कुछ हथियारबंदों ने कबड्डी के ध्रुव तारे संदीप नंगल अम्बियां को गोलियां मार कर हमेशा के लिए हमसे छीन लिया। संदीप अपने पीछे पिता स्वर्ण सिंह, माता कश्मीर कौर, पत्नी रुपिन्द्र कौर, साढे तीन वर्ष के बेटों गुरसांझ सिंह संधू तथा जसमन सिंह संधू को छोड़ कर प्रभु के चरणों में जा बिराजा।

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