शरीर के लिये कितनी उचित है मालिश

मालिश (मसाज) शरीर को तन्दुरूस्ती और सौन्दर्य प्रदान करती है। मालिश का अर्थ है मांसपेशियों को दबाना और उनसे खेलना। मालिश शरीर के रक्त संचार को सही रूप देने में सहायक होती है। जोड़ों के दर्द और गठिया में उचित मालिश करवाना बहुत लाभप्रद होता है। 
मालिश सिर से पांव तक करवाई जा सकती है। मालिश करने के कई तरीके हैं जैसे तेल से, पाउडर से, क्र ीम से और सूखे हाथों से। नारियल, सरसों, तिल और जैतून का तेल मालिश के लिए उचित माना जाता है। मौसम के अनुसार तेल का प्रयोग ठंडा या गर्म कर सकते हैं। थकावट दूर करने लिए पाउडर से या तेल से मालिश करवाने से जो स्पर्श मिलता है, वह शरीर को स्फूर्ति देता है और प्यार दर्शाता है। 
नींद न आने पर मेरूदंड की मालिश करवायें। पैरों के तलों पर तेल मलने से और सिर पर हल्का मसाज करने से नींद अच्छी आती है। कब्ज होने पर हल्के हाथों से पेट की मालिश नीचे की ओर करें। सिरदर्द में सिर और गर्दन पर तेल लगायें और कोमल हाथों से मलें। पतले और कमजोर लोगों को सप्ताह में तीन बार मालिश करवानी चाहिए। मोटे लोगों को सूखी पाउडर की मालिश लाभदायक होती है। बच्चों को जैतून के और बादाम के तेल से मालिश करें। मालिश का प्रारम्भ पैरों और हाथों की मालिश से करें, फिर पेट और पीठ की मालिश करवायें। पेट खराब होने पर, पेट में ट्यूमर और हर्निया होने पर, उच्च रक्तचाप होने पर, गर्भावस्था में, मासिक धर्म होने पर और ज्वर होने पर मालिश न करवायें।
मालिश के लाभ
* मालिश से त्वचा का रक्तसंचार बढ़ता है।
* थकान दूर होती है।
* शरीर कोमल होता है और झुर्रियां दूर होती हैं।
* तेल मालिश से त्वचा चिकनी और देखने में आकर्षक बनती है।
*मांसपेशियों में काम करने की क्षमता बढ़ती है।
*  रात्रि को नींद अच्छी आती है।
* मालिश कराने से पाचन शक्ति बढ़ती है।
*लगातार मालिश करवाने से बुढ़ापे के लक्षण दूर होते हैं।