मिश्रित युगल सैमीफाइनल में हार के बाद सानिया का विम्बलडन को अलविदा

भारतीय टैनिस खिलाड़ी सानिया मिज़र्ा का मिश्रित युगल सैमीफाइनल में गत चैम्पियन नील कुपस्की और डेसिरे क्रॉजिक से मिली हार के बाद विम्बलडन जीतने का सपना टूट गया और उसने विम्बलडन को अलविदा कह दिया है। सानिया और क्रोएशिया के मेट पाविच की छठी वरीयता प्राप्त जोड़ी को ब्रिटेन के कुपस्की और अमरीका की डेसिरे ने 4-6, 7-5, 6-4 से हरा दिया। सानिया मिज़र्ा 6 ग्रैंड स्लैम खिताब जीत चुकी हैं, जिनमें तीन मिश्रित युगल खिताब शामिल हैं। हालांकि वह विंबलडन मिश्रित युगल जीतनने में कभी सफल नहीं  हो सकी। सानिया ने 2009 ऑस्ट्रेलियाई ओपन और 2012 फ्रैंच ओपन महेश भूपति के साथ तथा 2014 अमरीकी ओपन ब्राज़ील के ब्रूनो सुआरेस के साथ जीता था। सानिया ने गत दिवस ट्वीट किया था कि हमने जितनी चुनौती पेश की और संघर्ष किया, हमने जो कार्य किया है, वह बहुत महत्वपूर्ण था। पर इस बार विंबलडन में ऐसा नहीं हो सका, लेकिन पिछले 20 साल में यहां खेलना और जीतना बड़े गर्व की बात है।
सानिया का यह टूर पर अंतिम वर्ष है। उन्होंने और पाविच ने पहला सैट जीतने के बाद दूसरे सैट में भी 4-2 की बढ़त बना ली थी लेकिन अगले 6 में से 5 गेम हार गए। निर्णायक सैट में सानिया और पाविच ने अपने प्रतिद्वंद्वी की सर्विस तोड़ी लेकिन ज़्यादा देर दबाव बनाकर नहीं रख सके। पाविच ने 12वें गेम में दो बार डबल फाउल किये। विम्बलडन में मिश्रित युगल में यह सानिया का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। वह 2011, 2013 और 2015 में क्वार्टर फाइनल तक पहुंच गई थीं। उन्होंने विंबलडन में 2015 में मार्तिना हिंगिस के साथ महिला युगल खिताब जीता था। छह बार की ग्रैंड स्लैम विजेता सानिया ने इस साल के शुरू में घोषणा की थी कि वह 2022 सत्र के समापन के साथ संन्यास ले लेंगी।सानिया ने अपने करियर की शुरुआत 1999 में विश्व जूनियर टैनिस चैम्पियनशिप में हिस्सा लेकर की। उसके बाद उन्होंने कई अंतर्राष्ट्रीय मैचों में शिरकत की और सफलता भी पाई। वर्ष 2003 उनके जीवन का सबसे रोचक मोड़ बना जब भारत की तरफ से वाइल्ड कार्ड एंट्री करने के बाद उन्होंने विम्बलडन में डबल्स के दौरान जीत हासिल की। वर्ष 2004 में बेहतर प्रदर्शन के कारण उन्हें 2005 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।