अलग पहचान का चेहरा है व्हीलचेयर खिलाड़ी हर्षवर्धन दीक्षित

हर्षवर्धन दीक्षित उत्तर प्रदेश के जिला बलरामपुर का रहने वाला एक ऐसा पैरा खिलाड़ी है जिसने अपने प्रदेश का ही नहीं अपितु देश का नाम भी रौशन किया है। वह अब तक अपने प्रदे्श के लिए दो दर्जन से अधिक पदक ले चुका है। हर्षवर्धन दीक्षित में देश-भक्ति का जज़्बा कूट-कूट कर भरा हुआ था तथा वह सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहता था। वर्ष 2009 में वह सेना में भर्ती होने की तैयारी कर रहा था तो उसके साथ हादसा हो गया और देश भक्ति का सपना अधर में ही रह गया तथा  उसकी रीढ़ की हड़्डी के मणके टूट जाने के कारण उसकी ज़िन्दगी व्हीलचेयर पर सदा के लिए टिक गई। ज़िन्दगी में हुए इस हादसे से वह भीतर से टूट गया और  उसके माता-पिता ने उसे कभी भी डोलने नहीं दिया। वर्ष 2019 में उसने पैरा खेलों में कदम रखा और उसने पैरा खेलों को ही अपना मुख्य लक्ष्य निर्धारित कर लिया। हर्षवर्धन दीक्षित के लिए यह बात गर्व से कही जाएगी कि वह अपने प्रदेश के लिए अब तक 18 पदक जीत चुका है। वर्ष 2016 में उसने पहली बार चंडीगढ़ में होने वाले व्हीलचेयर टेबल टैनिस मुकाबले में भाग लिया, जहां उसने स्वर्ण पदक प्राप्त करके अपने खेल करियर का शानदार आगाज़ किया तथा फिर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार उपलब्धियां हासिल करता रहा। जहां उसने स्टेट तथा नैशनल स्तर पर अनेक जीतें दर्ज कीं वहीं उसने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2021 में दुबई के फाजा शहर में फाजा अंतर्राष्ट्रीय खेल बोसिया में भारतीय टीम के कप्तान के रूप में खेला और भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन किया। हर्षवर्धन दीक्षित व्हीलचेयर पर डिस्कस थ्रो, टेबल टैनिस तथा बोसिया खेल में लगातार बड़ी उपलब्धियां प्राप्त कर रहा है। आजकल वह आने वाली अंतर्राष्ट्रीय स्तर की खेलों की तैयारी में लगातार अभ्यास कर रहा है तथा उसे गर्व है कि वह पैरा ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीत कर अपने देश का नाम रौशन करेगा। हर्षवर्धन दीक्षित कहता है कि जब वह देश के लिए खेलता है तो वह खुशी से गद्गद् हो जाता है, क्योंकि सेना में भर्ती होकर वह देश की सेवा करना चाहता था परन्तु अब खेल के मैदान में खेल कर देश भक्ति का अपना सपना साकार कर रहा है।

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