कैसे चमकता है सूर्य

वैसे तो आकाश में असंख्य तारे हैं पर सूर्य एक ऐसा तारा है जो न सिर्फ पृथ्वी के समस्त प्राणियों को जीवन देता है बल्कि अन्य दैनिक क्रियाकलापों के संपादन में भी सहायक है। सूर्य ही पृथ्वी पर दिन-रात, मौसम परिवर्तन एवं वर्षा होने में सहायक है। सच कहा जाये तो सूर्य पृथ्वी पर रहने वाले समस्त प्राणियों का पालनकर्ता है। शायद यही वजह है कि आज भी लोग सूर्य की देवता की तरह पूजा करते हैं।
काफी समय पहले लोग मानते थे कि सूर्य जलते हुए कोयले का विशाल गोला है। वास्तव में देखने पर लगता भी ऐसा ही है लेकिन यह सत्य नहीं, यह जल्द ही सामने आ गया क्योंकि सूर्य का जितना द्रव्यमान है और जितने समय से यह जलता आ रहा है उससे स्पष्ट है कि यदि वास्तव में यह जलते हुए कोयले का गोला होता तो वह बहुत पहले ही जलकर खत्म हो चुका होता। इतना समझ लेना काफी है कि सूर्य के केंद्र में जो हाइड्रोजन के नाभिक होते हैं वे बहुत ही तीव्र गति से गमन करते हैं। यही नाभिक आपस में जब जुड़ जाते हैं तो वे एक भारी तत्व के नाभिक का निर्माण करते हैं। नाभिकीय संलयन की इस प्रक्रिया में ऊर्जा की विशाल राशि उत्पन्न होती है जो सूर्य के चमकने का प्रमुख कारण है।
अब तक सूर्य के चमकने के पीछे जितने भी सिद्धांत व तर्क दिए गए, उनमें इसी सिद्धांत को सबसे अधिक सही एवं विश्वसनीय माना जाता है। अत: हम यह कह सकते हैं कि सूर्य के चमकने का कारण है-नाभिकीय संलयन।