वंदे भारत एक्सप्रेस रेलयात्रा में आराम और रफ्तार का नया युग

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 30 सितम्बर, 2022 को अपने गुजरात दौरे के दौरान गांधीनगर से भारत की तीसरी वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखायी। यह रेलयात्रा में रफ्तार का नया युग शुरु करने वाली तीसरी सेमी हाईस्पीड ट्रेन है। देश की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को नई दिल्ली से प्रधानमंत्री मोदी ने ही 15 फरवरी, 2019 को हरी झंडी दिखायी थी। आम लोगों के लिए यह दो दिन बाद यानी 17 फरवरी 2019 से शुरु हुई थी। वंदे भारत एक्सप्रेस का पहले नाम ट्रेन-18 था। पहली वंदे भारत ट्रेन के शुरू होने के करीब आठ माह बाद देश की दूसरी वंदे भारत ट्रेन को गृहमंत्री अमित शाह ने 3 अक्तूबर, 2019 को नई दिल्ली से कटरा के लिए हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। इस तरह अब तक कुल तीन वंदे भारत ट्रेनें चल चुकी हैं, जबकि 15 अगस्त, 2023 तक देश में ऐसी 75 ट्रेनें शुरू होंगी, जिनमें से 40 ट्रेनों का रूट सब तय हो चुका है, उन पर काफी जोर शोर से काम हो रहा है।
गांधीनगर से शुरू हुई यह तीसरी वंदे भारत रफ्तार ही नहीं बल्कि आरामदायक रेलयात्रा के मामले में भी यह कामयाबी के एक नये युग का आगाज़ है। सबसे बड़ी बात यह है कि गांधीनगर से मुंबई सैंट्रल से बीच चलने वाली इस ट्रेन को ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट के तहत तैयार किया गया है, इसका मतलब यह है कि इसके अधिकांश पार्ट भारत में ही बने हैं। इस ट्रेन के चलने के बाद अहमदाबाद, मुंबई और बड़ौदा जैसे तीन बड़े व्यापारिक व वित्तीय शहरों के बीच तेज़ रफ्तार यातायात शुरू हो जायेगा। क्योंकि यह ट्रेन मुंबई से सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर निकलेगी और दोपहर 12 बजकर 30 मिनट पर गांधीनगर पहुंचने से पहले यह 8 बजकर 50 मिनट पर सूरत, 10 बजकर 20 मिनट पर बड़ौदा और 11 बजकर 35 मिनट पर अहमदाबाद में रुकेगी। इसका मतलब यह है कि मुंबई में रहने वाले कारोबारी सुबह निकलकर सूरत से लेकर अहमदाबाद तक के अपने सारे काम दिन में निपटा सकते हैं। और फिर उसी दिन दोपहर में 2 बजकर 5 मिनट पर यह ट्रेन गांधीनगर से मुंबई के लिए वापस चलेगी और 2 बजकर 40 मिनट पर अहमदाबाद, शाम 4 बजे बड़ौदा और 5 बजकर 40 मिनट पर सूरत में रुकने के बाद रात 8 बजकर 35 मिनट पर मुंबई सैंट्रल पहुंच जायेगी। इस तरह मुंबई, बड़ौदा, सूरत और अहमदाबाद के बीच रोज़ाना आने जाने वाले जो कारोबारी अभी हवाई जहाज़ से सफर करते हैं और चेक इन तथा चेक आउट प्रक्रिया में घंटों का समय जाया करते हैं, उन्हें इस ट्रेन से बहुत फायदा होगा। साथ ही किराया भी कम लगेगा, हवाई अड्डे पर पहले पहुंचने और निकलने में जो समय बर्बाद होता है, वह भी बचेगा। यात्रा हवाई जहाज़ के मुकाबले कम जोखिम वाली होगी तथा ताज़ा और स्वादिष्ट खाना भी मिलेगा। यह ट्रेन सप्ताह में छह दिन चलेगी। अगर ट्रेन का यह उद्देश्य सफल रहता है तो आने वाले दिनों में व्यापारिक और वित्तीय गतिविधियों में वंदे भारत ट्रेन अपनी नई भूमिका के साथ सामने आयेगी। क्योंकि आने वाले दिनों में यह और बेहतर होने वाली है। जैसा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है और ज्यादातर अर्थशास्त्री भी इस बात को मानते हैं कि भारत का सुखद आर्थिक भविष्य इसके शहरों पर ही टिका है। अगर ये 75 वंदे भारत ट्रेनें अपने उद्देश्य में सफल रहती हैं, जिसकी बहुत ज्यादा उम्मीद है तो 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली और आने वाले दिनों में अपनी रफ्तार को 180 किलोमीटर प्रति घंटे करने की उम्मीद रखने वाली यह ट्रेन भारत की कामयाबी का सचमुच नया अध्याय लिखेगी। क्योंकि इसकी यह रफ्तार व्यापार और विकास को नये मायने देगी।
वंदे भारत की यात्रा इसलिए अब तक की ट्रेन यात्रा से कुछ अधिक है, क्योंकि इसकी खूबियों ने रेल यात्रियों के अनुभवों को बदलकर रख दिया है। सबसे पहले सुरक्षा को ही लें। भारत की यह अब तक की पहली ट्रेन है, जिसमें असामाजिक तत्वों द्वारा किसी संकट के समय किये जाने वाले पथराव से बचने के लिए खिड़कियों पर एक विशेष प्रकार की फिल्म लगाई गई है।  ट्रेन में बैठने के लिए दो पूरी तरह से वातानुकूलित कुर्सी कार विकल्प हैं-एक इकॉनमी और दूसरा एग्जीक्यूटिव क्लास। वंदे भारत के दरवाज़े पूरी तरह से स्वचालित हैं, जब तक ट्रेन का दरवाज़ा पूर्ण रूप से बंद नहीं होगा, ट्रेन स्टार्ट ही नहीं होगी। इसी तरह जब तक ट्रेन पूर्ण रूप से रुकेगी नहीं, तब तक इसके दरवाज़े नहीं खुलेंगे। ड्राइवरों का केबिन पूरी तरह से कम्प्यूटरीकृत है। ट्रेन में टच कंट्रोल के साथ रीडिंग लाइटें भी हैं। इसमें जीपीएस के साथ एक सूचना स्क्रीन है, इसलिए यात्रियों को आगामी स्टेशन के लिए बार-बार पूछने या चेक करने की ज़रूरत नहीं पड़ती। सूचना स्क्रीन को कोच में दोनों तरफ लगाया गया है। इस स्क्रीन में सिर्फ  वर्तमान स्टेशन ही नहीं बल्कि आगामी स्टेशन, ट्रेन की मौजूदा गति आदि भी देख सकते हैं। इस तरह वंदे भारत एक्सप्रेस एक विश्व स्तरीय ट्रेन का एहसास देती है। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर