खून चूसे मच्छरिया, बदनाम हो रहे मच्छर..
जब जब भी बरसात का मौसम आता है तो मच्छर और मलेरिया का जिक्र जोरों पर होता है। वो दिन गए जब बरसात के दौरान सांप-बिच्छू का खौफ रहता था। अब तो सांप से ज्यादा जहरीला और बिच्छु से ज्यादा तड़पानेवाला होता जा रहा है मच्छर। दिल्ली से लेकर देलवाड़ा तक मच्छरों की मारक क्षमता का खौफ नजर आता है। मच्छरों की मारक क्षमता के सामने लगातार बौना होता जा रहा है मानव का चिकित्सा सुरक्षा तंत्र।
बदलते समय के साथ रक्षात्मक मानव उपाय अप्रभावी होते जा रहे हैं तो मच्छर के कौरववंश के नए नए घातक अवतार सामने आते जा रहे हैं और उनके जहरीले वार- मलेरिया, डेंगू, स्क्र बटाईफस, चिकनगुनिया आदि लगातार डर बढ़ाते जा रहे हैं।
मच्छरों की मार से निपटनेवाली अगरबत्तियां, इलेक्ट्रिकल मशीनें आदि मच्छरों का तो कुछ खास बिगाड़ नहीं पा रही हैं बल्कि इससे मच्छरों के और ताकतवर रूप सामने आ रहे हैं। यह जहरीला धुआं मच्छरों पर कम और इन्सानों पर ज्यादा असर दिखाने लगा है। अलबत्ता, पुरानी मच्छरदानी जरूर थोड़ी असरकारक है लेकिन अभी बाजार को मोस्किटोप्रूफ जैकेट जैसी कोई कामयाबी नहीं मिली है। कभी मच्छर एक विशेष संगीत के साथ हमले की सूचना देते हुए आते थे तो मानव सतर्क हो जाता था लेकिन आजकल यह मच्छरिया धुन सुनाई नहीं देती है और साइलेंसर लगे मच्छर चुपचाप से आतंकवादियों की तरह हमला करके चले जाते हैं। सांप के काटे का तो निशान होता है जिसे देखकर इन्सान तुरंत इलाज कराने चल पड़ता है लेकिन मच्छर का काटा तो डाक्टर की रिपोर्ट आने के बाद ही समझ पाता है कि सांप-बिच्छू के संयुक्त अवतार मच्छर ने हमला किया है...और फिर बिच्छू के शिकार की तरह तड़पता रहता है तो कभी कभी सांप के काटे की तरह दुनिया छोड़ देता है। मच्छर की मार से डूबते मानव को अब गम्बूशिया मछलियों के तिनके का सहारा नजर आ रहा है। बड़े-बड़े मानव रक्षक इन छोटी-छोटी मछलियों की आड़ में मच्छर के घातक प्रहार से बचने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं। इसके लिए हर जगह बड़ी-बड़ी बैठकें हो रही हैं और जिन्होंने कभी अपने बच्चों को ठीक से नहीं पाला, उन्हें मछलियां पालने के निर्देश दिए जा रहे हैं। मजेदार बात यह है कि मच्छर एकलिंगी जन्तु हैं अर्थात नर और मादा मच्छर के शरीर जुदा-जुदा हैं लेकिन बेचारा नर तो शाकाहारी है। केवल पेड़-पौधों का रस चूसता है। असली खून चूसने वाली तो मादा मच्छरिया है और देखो- सारी बदनामी बेचारे मच्छर के नाम पर दर्ज है। (अदिति)
-प्रदीप द्विवेदी