बर्फ  से निकलने वाली किरणें गर्म होती हैं, ठंडी नहीं !


मेरे एक दोस्त बहस करने लगे कि जिस तरह गर्म किरणें होती हैं, उसी तरह ठंडी किरणें भी होती हैं। उनका तर्क था कि जिस तरह एक जलते स्टोव से गर्म किरणें निकलती हैं, उसी तरह बर्फ  की सिल्ली से भी ठंडी किरणें निकलती हैं। क्या इसका अर्थ यह नहीं है कि ठंडी चीज़ों से ठंडी किरणें वैसे ही निकलती हैं जैसे गर्म चीज़ों से गर्म किरणें निकलती हैं?
मेरे दोस्त का यह कहना पूर्णत: गलत है। ठंडी किरणों का कोई वजूद है ही नहीं। यह बात सही है कि बर्फ  के पास रखी चीज़ें ठंडी हो जाती हैं, लेकिन ऐसा तथाकथित ठंडी किरणों के कारण नहीं होता है बल्कि इसलिए होता है क्योंकि बर्फ  से निकलने वाली गर्माहट की तुलना में गर्म चीज़ें स्वयं अधिक गर्माहट निकालती हैं। बर्फ  से अधिक गर्म चीज़ जितनी हीट निकालती है उससे कम हीट हासिल करती है। चूंकि अंदर आने वाली हीट की मात्रा बाहर निकलने वाली हीट की मात्रा से कम होती है इसलिए वह चीज़ ठंडी हो जाती है। इसका अर्थ यह हुआ कि बर्फ  से जो किरणें निकलतीं हैं वह भी गर्म ही होती हैं न कि ठंडी। इस तथ्य को एक प्रयोग से समझिये।
हालांकि इस प्रयोग में ऐसा लगता है कि ठंडी किरणें भी होती हैं, लेकिन यह वास्तविकता नहीं है। कारण प्रयोग के बाद बताया जायेगा। एक लम्बे से हॉल में बड़े-बड़े कांकेव आइने एक-दूसरे के सामने टांग दीजिये। फिर एक आइने के फोकस में हीट का एक शक्तिशाली स्त्रोत रख दीजिये। उससे जो किरणें निकलेंगी वे पहले आइने से दूसरे आईने में प्रतिबिम्बित होंगी, जो उन्हें फिर फोकस करेगा। अब इस फोकस के सामने जो काले काग़ज़ का टुकड़ा रखा होगा उसमें आग लग जायेगी। इस प्रयोग से गर्म किरणों का अस्तित्व साबित हो जाता है।
लेकिन अगर हम पहले आइने के फोकस में बर्फ की सिल्ली या बड़ा टुकड़ा रखते हैं और दूसरे आइने के फोकस में थर्मामीटर रखते हैं तो हम देखते हैं कि थर्मामीटर में तापमान गिर जाता है। क्या इसका अर्थ वास्तव में यह है कि बर्फ  ठंडी किरणें निकालती है जो आइने से प्रतिबिम्बित होकर थर्मामीटर पर फोकस करती हैं?
नहीं, बिल्कुल नहीं। ठंडी किरणों के होने की रहस्यमय थ्योरी एकदम बोगस है। बात वही है कि रेडिएशन के कारण थर्मामीटर बर्फ से हासिल होने वाली गर्माहट से अधिक गर्माहट बाहर निकालेगा। इस वजह से तापमान गिर या कम हो जायेगा। इसका अर्थ यही है कि ठंडी किरणों के अस्तित्व को स्वीकारने का कोई ठोस कारण नहीं है। प्रकृति में ठंडी किरणें जैसी कोई चीज़ है ही नहीं। सभी किरणें एब्सोर्बिंग ऑब्जेक्ट को ऊर्जा प्रदान करती हैं। इस बीच जो चीज़ें किरणें निकालती (एमिट) हैं वे ठंडी हो जाती हैं।