केले की रोचक कहानी 

केला एक स्वादिष्ट और सर्वजन सुलभ फल है। जिसे प्राय: सभी उम्र के लोग बड़े चाव से खाते हैं। केले को एक पौष्टिक फल के रूप में नहीं बल्कि खाद्य पदार्थ के रूप में भी उपयोग किया जाता है। जिसमें पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेशियम, सल्फर, विटामिन-ए, बी, शर्करा, प्रोटीन एवं लोहा मौजूद है। यह हमारे शरीर की अनेक रोगों से रक्षा करता है। एक केले से हमारे शरीर को 100 कैलोरी उर्जा तत्काल  प्राप्त होती है । 
केले का प्रयोग हमारे समाज में अनादि काल से होता आ रहा है। केले का प्रयोग भगवान की पूजा से लेकर प्रतिदिन के भोजन के रूप में किया जाता है। प्राचीन काल में केले को ‘स्वर्ग का वृक्ष’ कहा जाता था। संस्कृत में केले को ‘कदली’ कहा जाता है। केले का पौधा गांव, शहर और जंगलों में भी आसानी से उग जाता है।  केला भोजन के साथ-साथ दवा के रूप में भी उपयोग किया जाता है। केले का पौधा जमीन में बहुत गहराई से आरंभ होकर बीस फुट ऊपर तक ऊंचा जाता है। इसका तना पोल एवं गांठदार होता है। केले के पौधे से लकड़ी प्राप्त नहीं होती है। केले वृक्ष की ऊपरी शाखा पर गुच्छे में लगते हैं। एक गुच्छे में लगभग 150 केले तक लगते हैं। 
प्राचीन रोम के निवासी केले को ‘मूसा सेपिन्टम’ कहते थे। केले का प्रयोग रोम में केवल विद्वान लोग ही करते थे। फिर धीरे-धीरे आम लोग भी केले को बड़े चाव से खाने लगे। जैसे-जैसे समय बीतता गया केले का प्रचार-प्रसार बढ़ता ही गया। पूर्वी अफ्रीका, गुइनिया और पूर्व के लोगों ने केले का नामकरण किया ‘बनाना’। सन् 1842 में गुइनिया के कुछ लोगों ने केले के पौधे को केबरी आइसलैंड ले गये और बाद में इसे पुर्तगाल ले जाया गया। इसके बाद मिशनरी के लोग इस पौधे को वेस्टइंडीज ले गये। इस प्रकार केले के प्रचार-प्रसार दक्षिण अमरीका और केरिवियन आइसलैंड में हो गया।  इंग्लैंड में सबसे पहले केले का पौधा 1633 में देखा गया। इसे बरमूडा से लाया गया था और थामस जानसान की दूकान में एक प्रदर्शनी के दौरान देखा गया था। अगले दो सौ वर्षों में तो केला इतना महत्वपूर्ण हो गया कि नाविक लोग इसे अपने घर ले जाने लगे। सन् 1890 में इंग्लैंड में केले का पौधा भारी मात्रा निर्यात किया गया, किंतु यह सिलसिला तब रफ्तार पकड़ा जब जहाजों में शीत गृहों का इंतजाम हो गया। इस समय सारे संसार में केले की लगभग दो सौ किस्में पायी जाती हैं। 
अलग-अलग देशों में इसके उगाने और उपयोग लाने के विभिन्न विधियां हैं। केरल में केले को छीलकर उसकी बारीक -बारीक छालें नाश्तें की तश्तरियों में सजायी जाती हैं। दक्षिण अमरीका में बड़े केले का आटा भी बनाया जाता है । 
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