देश की आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ को समर्पित  पंजाब के आज़ादी परवाने तथा भारतीय डाक टिकटें

श्री प्रबोध चन्द्र एक महान स्वतंत्रता सेनानी तथा दूरदर्शी व्यक्ति थे। उनका जन्म 24 अक्तूबर, 1911 ई. को पिता श्री सत्या देव, माता दुर्गा देवी के गृह रावलपिंडी (पाकिस्तान) में हुआ। उनके पिता एक सरकारी हाई स्कूल में हैडमास्टर थे। उन्होंने सरकारी हाई स्कूल गुजरात से 1927 ई. में दसवीं पास की तथा 12वीं 1930 ई. में प्राइवेट पढ़ कर पास की। उन्होंने सरकारी कालेज मुलतान, खालसा कालेज अमृतसर, दयाल सिंह कालेज लाहौर, हिन्दू सभा कालेज अमृतसर में दाखिला लिया परन्तु राजनीतिक गतिविधियों के कारण नाम काट दिया गया। इसके बाद एफ.सी. कालेज लाहौर में दाखिला लिया, जहां 1933 से 1937 तक पढ़ाई करके डिग्री हासिल की। उन्होंने इतिहास विषय पर पी.एच.डी. के लिए दो वर्ष मेहनत की, परन्तु सरकार ने इस दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया तथा परीक्षा देने से रोक दिया। वह सुभाष चंद्र बोस तथा मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के प्रशंसक थे तथा शिवाजी के जीवन से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने 16 वर्ष की उम्र में अपना राजनीतिक स़फर शुरू किया तथा 1927 में मुलतान विद्यार्थी यूनियन की नींव रखी। वह लाहौर की क्रांतिकारी यूनियन के साथ जुड़े रहे। उन्हें 1929 ई. में मुलतान बम मामले में गिरफ्तार किया गया।
 उन्हें 1930, 1936 तथा फिर 1942 से 1945 ई. तक जेल में बंद रखा गया। उन्होंने पंजाब में विद्यार्थी आन्दोलन की नींव रखी तथा 1936 ई. में ऑल इंडिया स्टूडैंट्स कांफ्रैंस के अध्यक्ष बने। वह 1938 ई. में बुड्ढापोस्ट में विश्व युवा सम्मेलन हेतु भारतीय विद्यार्थियों के एकमात्र नेता के रूप में चुने गये। बाद में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गये तथा पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे।
वह 1946 ईं. में पंजाब विधानसभा के सदस्य चुने गये और पंजाब स्वास्थ्य, शिक्षा और स्थानीय निकाय मंत्री बने। देश की आज़ादी के बाद वह 1957, 1962, 1967 में गुरदासपुर से पंजाब विधानसभा के सदस्य बने। वह 1962 से मार्च 1964 तक पंजाब विधानसभा के स्पीकर भी रहे।
गुरदासपुर के एम.पी. दीवान चंद शर्मा की मौत 1970 ई. को हुई तो उनकी मौत के उपरांत उप चुनाव हुआ, जिसमें श्री प्रबोध चन्द्र आज़ाद उम्मीदवार स. राजिन्द्र सिंह स्पैरो को हराकर लोकसभा के सदस्य बने। फिर जब लोकसभा के जनरल चुनाव हुए तो श्री प्रबोध चन्द्र 1971 में कांग्रेस के उम्मीदवार श्री मोहन लाल को हराकर लोकसभा के सदस्य बने।
वह एक बढ़िया लेखक भी थे। वह 1936 में अंग्रेजी मासिक ‘द स्टूडैंट्स ट्रिब्यून’ लाहौर के सम्पादक भी रहे। वह कंटेपररी इंडिया पत्रिका के लिए भी लेख लिखते रहे।
उनके सपुत्र श्री अश्वनी कुमार 2002, 2004 और 2010 में पंजाब से राज्यसभा के सदस्य चुने गए। श्री अश्वनी कुमार 2006 से 2009 ई. तक केन्द्रीय उद्योग पालिसी और तरक्की राज्यमंत्री रहे। आप भारत के एडीशनल एडवोकेट जनरल भी रहे। उन्होंने उर्दू कविताओं की तीन पुस्तकें लिखीं और छपवाईं।
श्री प्रबोध चन्द्र मिलनसार, इंसाफ पसंद व्यक्ति थे। उनका 8 फरवरी 1986 को देहांत हो गया। उनका गांव गुरदासपुर ज़िले में राम नगर है। भारत सरकार के डाक विभाग द्वारा उनकी याद में 24 अक्तूबर 2005 ई. को पांच रुपये का डाक टिकट जारी किया गया था।
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