पूरे विश्व के लिए बड़ी चुनौती बन गई है बेरोज़गारी 


बेरोज़गारी किसी भी विकसित अथवा विकासशील राष्ट्र की अर्थ-व्यवस्था के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। समाज में पढ़़े-लिखे लोगों का बेरोज़गार बैठना सबसे ज्यादा चिन्ताजनक विषय है। इसके कई कारण हो सकते हैं, परन्तु भारत जैसे विकासशील देश में शिक्षित वर्ग का बेरोज़गार बैठना कोई साधारण बात नहीं। बढ़ती जनसंख्या और रोज़गार के बीच तालमेल न बैठने के कारण शिक्षित लोगों की रोज़गार प्राप्त करने की संभावनाएं बहुत कम हैं।
आज पूरा विश्व बेरोज़गारी की मार सह रहा है, वहीं भारत में भी बेरोज़गारी की बढ़ती दर अपनी चरम सीमा पर है। एक के बाद एक कोरोना महामारी की लहरों ने भी करोड़ों लोगों का रोज़गार छीन लिया था, जिससे पढ़े-लिखे नौजवान बेरोज़गार घूम रहे हैं। यदि वर्ष 2014 के बाद की बात की जाए तो सभी पैमानों पर रोज़गार की स्थिति पहले से भी ज्यादा खराब हुई है। ज़रूरी पदों पर लंबे समय तक भर्तियां न निकलने की वजह से शिक्षित वर्ग बेरोज़गार घूम रहा है। देश की बेरोज़गारी दर 8.28 फीसदी तक पहुंच चुकी है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में चार करोड़ बेरोज़गार हैं, जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों में 2.2 करोड़ और शहरी क्षेत्रों में 1.8 करोड़ हैं। श्रम बल सर्वेक्षण में बेरोज़गारी दर 7.6 प्रतिशत आंकी गई है।
विश्व बैंक की रिपोर्ट 2020 के मुताबिक भारत में 23.2 फीसदी युवाओं के पास ही नौकरी है। भारत में 5 इंजीनियर, 10 स्नातक और 4 एमबीए के पीछे औसतन एक नौकरी ही है।
संसद के बजट सत्र में बेरोज़गारी पर चर्चा करते हुए सरकार ने राज्यसभा को बताया था कि 2018-2020 के बीच देशभर में लगभग 25 हज़ार लोगों ने बेरोज़गारी और कर्ज के बोझ के चलते आत्महत्या की जिसमें से 9,140 लोगों ने बेरोज़गारी और 16,091 लोगों ने ऋण के बोझ के चलते अपनी जान गवाई। एक लिखित जवाब में जानकारी देते हुए एक केंद्रीय  मंत्री ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए राज्यसभा को यह जानकारी दी थी।
प्रत्येक देश की सरकार अपने राष्ट्र को बेरोज़गारी से मुक्त करने के लिए हर संभव प्रयास करती है। इसी संदर्भ में यदि भारत की बात की जाए तो सरकार की तरफ  से रोज़गार बढ़ाने के लिए समय-समय पर हरसंभव प्रयास किए जाते रहे हैं, बढ़ती बेरोज़गारी को नियंत्रित करने के लिए बहुत-सी ऐसी योजनाएं चलाई जाती रही हैं, जिनसे भारत का शिक्षित नौजवान आत्मनिर्भर होकर अपना और देश का विकास कर सके जैसे डिजिटल इंडिया मिशन, कौशल विकास से संबंधित पोर्टल चलाए जा रहे हैं। ऐसे ही कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय नीति 2015 भी लाई गई थी।गत वर्ष 22 दिसम्बर में केंद्र सरकार के 10 लाख पदों पर भर्ती के लिए रोज़गार मेले का शुभारम्भ किया गया था। इस दौरान 75 हज़ार युवाओं को नियुक्ति पत्र सौंपे गए। देश के स्टार्टअप सेक्टर में बहुत तेज़ी आई है। 2014 तक जहां देश में कुछ सौ ही स्टार्टअप थे, आज उनकी संख्या 80 हज़ार को पार कर चुकी है।
विशेषज्ञों के अनुसार बेरोज़गारी की समस्या को दूर करने के लिए सरकार को देश में उत्पादित वस्तुओं की विदेश में विपणन की समुचित व्यवस्था भी करनी चाहिए। साथ ही लघु एवं कुटीर उद्योगों का विकास करना भी समय की मांग है। महिलाओं के लिए नये रोज़गार के स्रोतों की अपरिहार्य आवश्यकता है। शिक्षा, चिकित्सा एवं समाजकल्याण आदि के क्षेत्रों में उन्हें नवीन अवसर प्रदान कराये जाने चाहिएं। इन प्रयासों से बेरोज़गारी की विकरालता पर कुछ हद तक अंकुश लगाया जा सकता है। (युवराज)