गम्भीर चुनौती है बढ़ती हुई बेरोज़गारी


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्र सरकार की ओर चलाये जा रहे  भर्ती अभियान के तहत देश भर में 71 हज़ार से अधिक नियुक्ति पत्र प्रदान किये हैं। इसके  साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि वर्ष 2023 तक सरकार का लक्ष्य 10 लाख लोगों को इस भर्ती अभियान में शामिल करना है तथा यह भी कि युवाओं को रोज़गार देने का अभियान निरन्तर चलता रहेगा। देश के 45 शहरों को इस कार्यक्रम के साथ जोड़ा गया था। नियुक्तियों की प्रक्रिया में भिन्न-भिन्न व्यवसायों के युवाओं को शामिल किया गया है। शिक्षा, मैडीकल एवं तकनीकी क्षेत्रों में ये नौकरियां प्रदान की गई हैं। प्रधानमंत्री ने यह भी दावा किया कि भारत विश्व निर्माण का भी पॉवर हाऊस बनेगा तथा सरकार नौकरियां देने के लिए ‘मिशन मोड’ में कार्य कर रही है। इससे पूर्व अक्तूबर मास में भी सरकार ने 75 हज़ार से अधिक युवाओं को नियुक्ति-पत्र वितरित किये थे। यह उसी क्रम का दूसरा रोज़गार मेला था। 
हम सरकार की ओर से इस दिशा में उठाये जा रहे पगों की प्रशंसा करते हैं परन्तु इसके साथ ही यह बात भी बड़े गम्भीर ध्यान की अपेक्षा करती है कि आज देश में बेरोज़गारी की स्थिति क्या है? दो वर्ष कोविड महामारी एवं अब रूस तथा यूक्रेन के बीच जारी युद्ध ने विश्व की आर्थिकता पर भारी प्रभाव डाला है। अनेक देशों की इस दृष्टिकोण से स्थिति अत्याधिक डावांडोल दिखाई दे रही है। ऐसे हालात का प्रत्यक्ष प्रभाव रोज़गार पर पड़ता है। पिछले दिनों विश्व की जनसंख्या 8 अरब से बढ़ गई है। इस बढ़ती हुई जनसंख्या में भारत का भारी योगदान है जो अगले ही वर्ष विश्व का सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश बन रहा है। यह स्थिति भी चिंता उत्पन्न करती है कि इतनी जनसंख्या को किस प्रकार कार्य दिया जा सकेगा। ऐसा तभी सम्भव हो सकता है यदि बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए रोज़गार के भी उतने ही अवसर पैदा किये जायें परन्तु यथार्थ रूप में ऐसा करना यदि असम्भव नहीं तो भी अतीव कठिन अवश्य है। यह बात निश्चित है कि यदि जनसंख्या को नियन्त्रण में न किया गया तो देश में बेरोज़गारी सबसे बड़ी समस्या बन जाएगी। प्रधानमंत्री ने आगामी वर्षों में 10 लाख नौकरियां देने की बात कही है परन्तु स्थिति के अनुसार आवश्यकता लाखों नौकरियों की नहीं, अपितु करोड़ों की बन गई है। बेरोज़गारी के संबंध में पेश किये जा रहे आंकड़े अतीव भयावह प्रतीत होने लगे हैं। विगत महीनों में त्यौहारों का मौसम था। सैंटर फॉर मानिटिरिंग इंडियन इकोनॉमी (सी.एम.आई.ई.) के अनुसार पिछले महीने 20 अक्तूबर तक बेरोज़गारी की दर 7.86 प्रतिशत तक पहुंच गई थी जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में यह दर 8.01 प्रतिशत थी तथा शहरी क्षेत्रों में 7.53 प्रतिशत रही है। इससे पूर्व अगस्त के महीने में तो यह 8 प्रतिशत तक का आंकड़ा पार कर गई थी, जिसमें शहरी बेरोज़गारी 9.57 प्रतिशत तथा गांवों में 7.68 प्रतिशत थी। ये आंकड़े उस समय आये हैं जब अन्तर्राष्ट्रीय धरातल पर आर्थिकता अतीव सुस्त चाल से चल रही है। 
हम समझते हैं कि केन्द्र एवं प्रदेश सरकारों को इस ओर अधिकाधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। इसलिए व्यापार के साथ-साथ औद्योगिक क्षेत्र का भी भारी विकास होना चाहिए। पिछले महीनों में परचून क्षेत्र में भी बड़ी गिरावट आई देखी गई है जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव नौकरियों पर पड़ता है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार विगत अक्तूबर के महीने में औद्योगिक क्षेत्र में 53 लाख नौकरियों का नुकसान हुआ है। चाहे शहरी क्षेत्रों में निर्माण योजनाओं में अधिकाधिक रोज़गार मिलने की सम्भावना व्यक्त की जाती रही है परन्तु अक्तूबर के महीने में निर्माण क्षेत्र में 10 लाख नौकरियां खत्म हुई हैं। इसके साथ ही यह बात भी निराश करती है कि आगामी समय में भी रोज़गार मिलने की सम्भावनाएं कम होती दिखाई दे रही हैं। ऐसी स्थिति सामूहिक रूप में भारी निराशा पैदा करने वाली है। आज हमारी योजनाबंदी में तकनीक एवं टैक्नोलॉजी का प्रयोग इस सोच के साथ किया जाना चाहिए कि इससे नौकरियां कम न हों, अपितु नई तकनीक से रोज़गार के अधिक अवसर पैदा हो सकें। नि:सन्देह आगामी समय में इस गम्भीर समस्या के और बढ़ने की सम्भावना बनी हुई है जो हमारी सरकारों एवं समाज के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।


—बरजिन्दर सिंह हमदर्द