खाने में छुरी व कांटे का प्रयोग कब शुरू हुआ ?



‘दीदी, आज स्कूल में हमसे एक प्रश्न किया गया जो मैं आपसे मालूम करना चाहता हूं। उस समय की कल्पना कीजिये जब भोजन करने के लिए छुरी, कांटे व चम्मच नहीं थे। अब तर्क का प्रयोग करके यह बताएं कि इंसान ने इन तीनों चीज़ों में से सबसे पहले किसका ‘अविष्कार’ किया होगा?’
‘छुरी नहीं हो सकती क्योंकि व्यक्ति अपने हाथों से अपने फूड को तोड़ या फाड़ सकता है। कांटा भी नहीं हो सकता क्योंकि वह अपनी उंगलियों से फूड उठा सकता है। लेकिन लिक्विड को उठाने के लिए, विशेषकर गर्म लिक्विड को, उसे चम्मच की ज़रुरत पड़ती है! इसलिए उसने पहले चम्मच का अविष्कार किया। यही कारण है कि पत्थर युग में भी चम्मच जैसे उपकरण थे, उनके अवशेष मिले हैं। मिस्र में लकड़ी, पत्थर और हाथी दांत से बने चम्मच प्रयोग में आते थे। यूनानी कांस्य व चांदी के चम्मचों का इस्तेमाल करते थे।’
‘तो छुरी व कांटे का प्रयोग कब शुरू हुआ होगा?’
‘छुरी व कांटे के इस्तेमाल के साथ मानव ने वास्तव में डाइनिंग में बड़ी प्रगति की और यह प्रगति इतिहास में अधिक पुरानी नहीं है। तीन सौ वर्ष पहले तक छुरी व कांटे बड़ी जिज्ञासा का विषय थे। हद तो यह है कि फ्रांस में 17वीं शताब्दी तक हर कोई उंगलियों से ही भोजन करता था।’
‘भारत में तो आज भी अनेक समाज हाथों से ही भोजन करते हैं।’
‘हां, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि छुरी व कांटे 17वीं शताब्दी से पहले थे ही नहीं। प्राचीन मानव वास्तव में एक प्रकार का कांटा इस्तेमाल करता था, लेकिन वह हमारे जैसा नहीं था। वह छोटी छोटी लकड़ियों से बना होगा।’
‘तो पहले कांटे कब बने होंगे?’
‘जहां तक मुझे जानकारी है,पहले असल कांटे लम्बे और दो दांतों वाले थे जो लोहे, हड्डी और सख्त लकड़ी से बनाये जाते थे। उनका प्रयोग कुकिंग में ही किया जाता था और गोश्त को काटते समय पकड़ने के लिए।’
‘खाने के लिए कांटों का प्रयोग कब शुरू हुआ?’
‘ग्यारहवीं शताब्दी में, लेकिन बहुत ही कम लोग इसका प्रयोग करते थे। वैसे छुरी मानव के पहले अविष्कारों में से है, इस आधार से कि उसने फ्लिंट या अन्य पत्थरों से काटने का औज़ार बनाया। लेकिन प्राचीन समय में टेबल नाइफ जैसी कोई चीज़ नहीं थी। यह तो 300 वर्ष पहले भी इतनी दुर्लभ थी कि कम लोग इसके बारे में जानते थे। 17वीं शताब्दी के बाद इंग्लैंड में टेबल नाइफ आयी और चूंकि इंग्लैंड का राज आधी दुनिया पर था, इसलिए यह जल्द ही पॉपुलर हो गई। लेकिन गरीब लोग इसे खरीद नहीं सकते थे, इसलिए अधिकतर लोग हाथों से ही खाना खाते थे।’
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर