युद्ध, आतंक और दमन के शिकंजे में कराहती रही दुनिया...!!


यह 7 दिसम्बर 2022 का एक डरावना दिन है। अफगानिस्तान का एक स्पोर्ट्स स्टेडियम तमाशबीनों से ठसाठस भरा हुआ है। हजारों लोगों को एक दिल दहला देने वाले रोमांच का इंतजार है। चंद मिनटों बाद एक आरोपी को लाया जाता है और उसे स्टेडियम के बीचोंबीच खड़े एक खंभे से बांध दिया जाता है। फिर वहां एक बूढ़ा आता है। उसके हाथ में एक असाल्ट राइफल थमाई जाती है और कुछ समझाया जाता है। बूढ़ा व्यक्ति समझ गया के अंदाज डरते हुए सिर हिलाता है। इसके बाद पास ही खड़ा एक हथियारबंद शख्स बूढ़े को इशारा करता है। बूढ़ा अपने कांपते हाथों से ठायं ठायं ठायं... कर तीन गोलियां खंभे से बंधे आरोपी के सीने पर चला देता है। खंभे से बंधा मुजरिम किसी बेवस पंछी की तरह फड़फड़ाकर ढह जाता है। बूढ़ा व्यक्ति थके मन और झुके हाथों से साथ खड़े तालिबान सैनिक को राइफल थमा देता है। इस समय उसका दिल जार-जार रोने को कर रहा है। क्योंकि उसने जिस नौजवान आरोपी के सीने में तीन गोलियां उतारी हैं, वह उसका अपना बेटा है।
* यह 10 अक्तूबर 2022 की एक खौफनाक सर्द रात है। पूरे यूक्रेन में खतरे का सायरन चीख रहा है, लेकिन इससे क्या फर्क पड़ता है? युद्ध में बर्बर बने पड़ोसी रूस ने महज 30 मिनट के भीतर यूक्रेन के 9 शहरों में 83 ताकतवर मिसाइलों की बारिश कर दी। दर्जनों लोग मारे गये। सैकड़ों लोग घायल हुए। हर तरफ चीख पुकार मची हुई है और लगभग पूरा यूक्रेन अंधकार में डूबा हुआ है। 
 इन दो घटनाओं को पढ़ने के बाद क्या आप यह महसूस कर सकते हैं कि आप 21वीं सदी के दूसरे दशक में जी रहे हैं, जब जल्द ही इंसान मशीनों को अपने सभी काम करने का आदेश देने के लायक होने जा रहा है? क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि यह विकास और विज्ञान का वह संधिकाल है, जब विज्ञान कुदरत की बराबरी करने लगा है? जब विज्ञान के लिए इंसान का मरना भले पूरी तरह से टाल पाना संभव न हो, लेकिन लगातार जीने की उम्र बढ़ रही है? ऊपर आपने जो दो घटनाएं पढ़ीं, उनके बाद कतई नहीं लगता कि यह 17वीं, 18वीं शताब्दी का बर्बर दौर नहीं है। पहली घटना में बहसी इंसान सदियों पीछे लौटकर अपने दुर्दांत रूप में मौजूद है तो दूसरी घटना में आधुनिक हथियारों की खौफनाक बर्बरता पूरे वेग के साथ घटित हो रही है। अगर साल 2022 को समग्रता में देखें तो नि:संदेह ध्यान खींचने के लिए इस साल और भी अनेक घटनाएं घटी हैं। लेकिन युद्ध, आतंक और दमन का शिकंजा पूरे साल धरती पर कसा रहा और दुनिया इस शिकंजे से कराहती रही। अगर पूरे साल में आतंक की कितनी घटनाएं घटी और उनसे कितने लोग मरे इसकी बिल्कुल सटीक संख्या जाननी हो तो शायद हम नहीं जान सकते, क्योंकि जितनी घटनाएं रिपोर्ट होती हैं, उतनी नहीं तो उससे आधी घटनाएं बिना रिपोर्ट हुए रह जाती हैं। फिर भी एक अनुमान के मुताबिक साल 2022 में दुनिया के हर कोने में खून की होली खेल रहे आतंक ने तकरीबन 18000 लोगों की जान ले ली।
यह अकारण नहीं है कि संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद निरोधक कार्यायल के प्रमुख व्लादिमीर वोरोन्कोफ ने सुरक्षा परिषद की एक अहम बैठक में सदस्य देशों को आगाह करते हुए कहा है कि आतंक का जितना खतरा हम महसूस कर रहे हैं, वह उससे कहीं बड़ा है और लगातार अपना विस्तार कर रहा है। गौरतलब है कि अगर आतंक से प्रभावित देशों और लोगों की गिनती करें तो करीब 63 देश ऐसे हैं, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर आतंकवाद से प्रभावित हैं, इसमें 80 प्रतिशत से ज्यादा देश एशिया और अफ्रीका के हैं। साल 2022 में विश्व मंचों पर की गई तमाम घोषणाओं, वायदों और धमकियों के बावजूद आतंकवाद में जरा भी लगाम नहीं लगी, यह लगातार बढ़ता रहा। अगर हम आतंक से प्रभावित लोगों की बात करें तो इनकी संख्या 1 अरब से भी ज्यादा पहुंच चुकी है। अगर आतंक से पीड़ित और प्रभावित लोगों का एक देश बसाया जाए तो यह भारत और चीन जैसी विशाल जनसंख्या वाला तीसरा देश बन जायेगा। इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि साल 2022 किस तरह आतंक, युद्ध और दमन के शिकंजे में कसा रहा।
हालांकि अगर इन भयावह समस्याओं को एक तरफ करके देखें तो इस साल दुनिया के खाते में कई बड़ी उपलब्धियां भी आयीं। जो कोरोना पूरी दुनिया को खत्म करते लग रहा था, वह आखिरकार इस साल चीन को छोड़कर बाकी दुनिया से करीब विदा हो चुका है। विज्ञान की दुनिया में अगर नज़र डालें तो इस साल दर्जनों तकनीकी उपलब्धियां हासिल हुईं। चीन ने करोड़ों यूनिट ऊर्जा कृत्रिम सूरज से महज कुछ मिनटों में हासिल की और दक्षिण कोरिया ने इसी साल घोषणा की कि वह अगले तीन सालों में अपना कृत्रिम सूरज बना लेगा। इस साल पूरी दुनिया जहां एक तरफ  महंगाई से त्रस्त रही, यूरोप से लेकर एशिया और अफ्रीका तक महंगाई अट्ठहास करती रही, वहीं पहली बार एक अमरीकी कंपनी एप्पल, 3 ट्रिलियन डॉलर बाज़ार मूल्य की सीमा को क्रॉस कर गई। इसका मतलब यह है कि एप्पल कंपनी अफ्रीका के 28 देशों के बजट और दुनिया के करीब 72 गरीब देशों की समस्त आर्थिक परियोजनाओं में लगने वाली लागत के बराबर की आर्थिक हैसियत रखती है। यह भी विज्ञान की कामयाबी का चरम है। इसी साल अमरीका में डेविड बेनेट नामक एक व्यक्ति में सफलतापूर्वक सुअर का दिल प्रत्यारोपित किया गया और इसी साल सऊदी अरब में ऊंटों के लिए एक लग्जरी होटल खुला। 
चीन के वैज्ञानिकों ने धरती पर ही कृत्रिम चांद बनाया और स्कॉटलैंड के वैज्ञानिकों ने एक्सरे से कोरोना वायरस का सटीक तौर पर पता लगाया, तो इसी साल एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स ने 49 स्टार लिंक उपग्रहों को एक साथ लांच किया। उत्तर कोरिया इसी साल खुद को परमाणु शक्ति सम्पन्न देश घोषित किया, तो चीन लगातार अपने पड़ोसी भारत के साथ युद्धक हरकतों में उतारू रहा और पूरी दुनिया की हायतौबा के बावजूद पुतिन यूक्रेन पर अपने हमलों और इरादों को लेकर जरा भी टस से मस नहीं हुए। पुतिन ने बार-बार साफ किया कि अगर युद्ध रूकवाना है तो यूक्रेन को उन क्षेत्रों पर रूस के कब्जे को स्वीकार करना ही होगा, जहां रूसी भाषी लोगों का बहुमत है और जिन्हें रूस ने यूक्रेन पर हमला करके छीन लिया है। इस साल ईरान जहां महिलाओं की हिजाब को लेकर की गई बगावत की जद्द में रहा, वहीं मध्यपूर्व और खाड़ी के दूसरे देश पिछले कई सालों की तरह इस साल भी आत्मघाती आतंकी हमलों, विस्फोटों और राज्य नियंत्रित हिंसा का शिकार रहे। कुल मिलाकर साल 2022 का अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य इंसानी मेधा के विकास और हताश बर्बरता का एक साथ शिकार रहा। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर