युद्ध के घने हो रहे बादल

इज़रायल और हमास के बीच छ: माह पहले शुरू हुआ युद्ध अब पश्चिमी एशिया के अन्य देशों को भी अपनी लपेट में लेता जा रहा है। खासतौर पर इस मुद्दे पर ईरान और इज़रायल के बीच तो सीधा टकराव हो गया है। ईरान ने विगत रविवार को इज़रायल पर 300 ड्रोनों और मिज़ाइलों के साथ बड़ा हमला कर दिया। इस हमले को इज़रायल ने अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस और अन्य देशों के सहयोग के साथ 99 प्रतिशत तक असफल करने का दावा किया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सुनक ने भी इस बात की पुष्टि की है कि उसके विमान ईरानी हमले को असफल करने में शामिल थे। 
ईरान द्वारा यह हमला सीरिया में इज़रायल द्वारा ईरान के दूतावास को निशाना बनाने की प्रतिक्रिया के तौर पर किया गया है। इज़रायल का आरोप है कि ईरान हमास और हिज़बुल्ला आदि इज़रायल विरोधी संगठनों की मदद कर रहा है। इसी बहाने एक अप्रैल को इज़रायल ने ईरानी दूतावास पर हवाई हमला किया था, जिसमें एक ईरानी जनरल और सात अन्य व्यक्ति, जो रैवूल्यूशनरी गार्ड के अधिकारी थे, मारे गये थे। इसके बाद ईरान ने इज़रायल पर हमला करने की तैयारी शुरू कर दी थी। हमला करने से कुछ दिन पहले ईरान ने इज़रायल के भारत आ रहे मालवाहक जहाज़ को भी चालक दल सहित अपने कब्ज़े में ले लिया था। इस जहाज़ के कर्मियों में 17 भारतीय भी शामिल थे, जिनको छुड़ाने के लिए भारत के विदेश मंत्री ईरान सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं। ईरान और इज़रायल के बीच बढ़ रहे टकराव पर संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटारेस ने गहन चिंता प्रकट करते हुए कहा है कि पश्चिम एशिया एक और युद्ध सहन नहीं कर सकता। रूस ने भी सभी संबंधित गुटों को मिल कर इस मामले का हल निकालने की अपील की है।
इस प्रकार से यह लड़ाई एक भयावह रूप धारण करती दिखाई दे रही है। विगत लगभग 6 मास से यह युद्ध चला आ रहा है और इसकी शुरुआत हमास द्वारा इज़रायल पर हमले करने से हुई थी। उस समय इज़रायल पर हमास के हमले में हज़ार से भी अधिक इज़रायली नागरिक मारे गये थे और सैकड़ों लोगों को बंधक भी बना लिया गया था। इसके बाद इज़रायल ने गाज़ा पट्टी से हमास गुरिल्लाओं को निकालने के लिए हवाई तथा ज़मीनी हमला कर दिया था, परन्तु गाज़ा पट्टी की बड़ी तबाही तथा 20 हज़ार से अधिक फिलिस्तीनियों के मारे जाने के बावजूद हमास ने जहां हथियार डालने से इन्कार कर दिया था, वहीं इज़रायल ने कड़े शब्दों में यह चेतावनी दी थी कि वह हर हाल में गाज़ा पट्टी पर दशक भर से कब्ज़ा करके बैठे इस संगठन को पूरी तरह तबाह कर देगा। 
दशकों पहले इज़रायल से बाहर धकेले गए फिलिस्तीनी शरणार्थी गाज़ा पट्टी के अतिरिक्त मिस्र, सीरिया और जॉर्डन तथा कई अन्य देशों में शरण लिए बैठे हैं। इसके साथ ही ईरान ने भी इज़रायल का अस्तित्व मिटाने की शपथ ली हुई है। जैसे-जैसे इज़रायल तथा हमास का युद्ध विनाशकारी तथा लम्बा हो रहा है, वैसे-वैसे ही पड़ोसी अरब देशों के साथ-साथ अमरीका तथा पश्चिम के बहुत-से अन्य देशों के भी इस युद्ध में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप में शामिल होने की सम्भावना बढ़ती जा रही है।  संयुक्त राष्ट्र  संघ तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को फैलते जा रहे इस युद्ध को रोकने के लिए सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। अमरीका तथा पश्चिमी देशों को भी इज़रायल पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करना चाहिए।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द