विश्व भर में कैसे मनाये जाते हैं नव वर्ष के जश्न

 

नव वर्ष का जश्न मनाना विश्व का सबसे पुरातन त्यौहार माना जाता है। लगभग 4 हज़ार वर्ष पूर्व पुरातन बेबीलोन में इसकी शुरुआत हुई मानी जाती है। उस समय नव वर्ष मार्च माह में मनाया जाता था। पहले रोमन कैलेंडर के अनुसार भी नव वर्ष 1 मार्च को ही मनाया जाता था। 46 ईसा पूर्व में जूलियस सीजर ने सौर ऊर्जा पर आधारित कैलेंडर की शुरुआत की तथा 1 जनवरी को वर्ष का पहला दिन मनाया। कुछ इतिहासकारों के अनुसार 1582 में पॉप ग्रेगरी 13वें ने ‘ग्रेगोरियन कैलेंडर’ की शुरुआत की, जिसके अनुसार 1 जनवरी से वर्ष की शुरुआत होती है। ‘ग्रेगोरियन कैलेंडर’ की पॉप द्वारा शुरुआत करने के साथ ही यूरोप में एक जनवरी को नव वर्ष मनाने की परम्परा शुरू हो गई। 1752 में यू.के. तथा अमरीका में भी नव वर्ष 1 जनवरी को मनाये जाने  की शुरुआत हो गई। इसके बाद धीरे-धीरे पूरे विश्व में 1 जनवरी को नव-वर्ष मनाया जाने लगा।
चाहे भारतीय सभ्यता के लिए बिक्रमी वर्ष वैसाख माह में शुरू होता है परन्तु वैश्वीकरण दौरान पूरे विश्व में ईसवी कैलेंडर प्रचलित होने के कारण भारतीय सभ्याचारक जीवन धारा तथा परम्पराएं पूरी तरह ईसवी कैलेंडर पर निर्भर हो गई हैं। इस कारण हर नया ईसवी वर्ष आने पर पूरे भारत में भरपूर जश्न मनाया जाते हैं। एक दशक पूर्व तक नव-वर्ष के जश्न रिश्तेदारों, दोस्तों-मित्रों तथा स्नेहियों को ‘ग्रीटिंग कार्ड’ बांटने तक ही सीमित थे परन्तु समय व्यतीत होने के साथ यह जश्न भी बदल गये हैं तथा इनके अर्थ भी। अब लोग 31 दिसम्बर को देर रात्रि तक पार्टियां करते हैं तथा 12 बजे एक जनवरी की शुरुआत पर नव वर्ष के स्वागत स्वरूप आतिशबाज़ी चलाते तथा मिठाइयां बांटते हैं। धार्मिक प्रवृति के लोग तो नव वर्ष की पूर्व संध्या के अवसर पर अपने अराध्य को याद करते बीत चुके समय का शुक्रिया करते तथा आने वाले समय के लिए शुभकामनाएं मांगते हैं।
भारत के महानगरों के अमीर लोग तथा आधुनिकवाद में रंग चुकी युवा पीढ़ी नव वर्ष की पिछली रात देर तक नृत्य-संगीत, रेव पार्टियां तथा डिस्को में व्यस्त रहती है। यह बुरा एवं ़खतरनाक रूझान अब छोटे शहरों में भी पांव पसार रहा है। खान-पान के शौकीनों के लिए नव वर्ष किसी शाही त्यौहार से कम नहीं होता। अकेले पंजाब में नव वर्ष की पूर्व संध्या के अवसर पर लोग करोड़ों रुपये की शराब तथा मांस डकार जाते हैं।
इसी तरह विश्व भर के अलग-अलग देशों में वहां के सामाजिक तथा सांस्कृतिक रूझान के अनुसार नव वर्ष को त्यौहार की तरह मनाया जाता है। कुछ देश ऐसे हैं जो इस जश्न को अलग तथा दिलचस्प ढंग से मनाते हैं। विश्व में नव वर्ष का पहला सूर्य न्यूज़ीलैंड में उदय होता है। न्यूज़ीलैंड के लोग नव वर्ष का ‘स्वागत’ करने के लिए पूर्ण उत्साह, जोश एवं उमंग के साथ गलियों में निकल कर एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं। आतिशबाज़ी की गूंज से नव वर्ष का ‘स्वागत’ किया जाता है। ऑकलैंड में न्यूज़ीलैंड के सबसे ऊंचे स्काई टावर पर नव वर्ष की खुशी में हुई आतिशबाज़ी देखने वाली होती है।
चीन में नव वर्ष रोचक ढंग से मनाया जाता है। नव वर्ष के अवसर पर विशेष तरह की शाही दावत दी जाती है। इस दिन रसोई के देवता की पूजा की जाती है तथा चावलों से तैयार की गई विशेष किस्म की मिठाई बनाई जाती है। नव वर्ष की दावत के अवसर पर जब परिवार के सभी सदस्य भोजन खाने लगते हैं तो यह विशेष किस्म की बनाई मिठाई आपस में बांटी जाती है। यहां एक और रोचक परम्परा है, लोग नव वर्ष वाले दिन नई चप्पल पहनते हैं। यह भी माना जाता है कि यदि नव वर्ष के अवसर पर पटाखे चलाए जाएं तो बुरी आत्माएं दूर रहती हैं तथा देश में खुशहाली रहती है।
म्यांमार में नव वर्ष का जश्न देखने वाला होता है। यहां नया ईसवी वर्ष आने पर ‘तिंजान’ त्यौहार मनाया जाता है। नव वर्ष के इंतजार में आंखें बिछाए जहां लोग अपने मन में कई तरह स्वप्न संजोते हैं, वहीं नव वर्ष के अवसर पर जश्न मनाने के लिए कई दिन पहले ही तैयारियां आरम्भ कर देते हैं। जब नव वर्ष का आगमन होता है तो लोग सबसे पहले भगवान बुद्ध की प्रतिमाओं को खुश्बूदार जल से स्नान करवा कर पूजा करते हैं तथा इस जल को पिचकारियों में भर कर एक-दूसरे पर फैंक कर होली खेलते हैं। खुशी के इस अवसर पर लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएं एवं मिठाइयां बांटते हैं।
दक्षिण अफ्रीका में नये साल पर ‘जुलू’ जाति के लोग सामूहिक विवाह करते हैं। ‘कियू कवेचवाना’ नाम का समारोह किया जाता है और यहां एक बड़ा दिलचसप नज़ारा देखने को मिलता है जब नवविवाहित दुल्हों को निहत्थे ही सांड के साथ लड़ना पड़ता है।यूरोपियन देशों इटली, पुर्तगाल और नीदरलैंड में लोग पहली जनवरी की सुबह को सबसे पहले गिरिजा घरों में जाकर प्रार्थना करते हैं। रोम में नये साल के मौके पर उपहार देने का पुराना रिवाज़ है। कहा जाता है कि किसी समय रोम के सम्राट द्वारा यह शाही आदेश जारी किये गये थे कि नये साल के पहले दिन के अलावा यदि कोई व्यक्ति किसी को उपहार देता पकड़ा गया तो उसको मौत की सज़ा दी जाएगी। इसी फरमान की याद में रोमन लोग आज भी पहली जनवरी को उपहार का लेन देन बहुत गर्मजोशी के साथ करते हैं।
ईरान में नये साल के त्यौहार को ‘नौरोज’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है नया साल। इस दिन परिवार के सभी सदस्य इकट्ठे होकर गेहूं या जौ के अंकुरित बीज़ों को एक-एक करके पानी में डालते हैं। इस दौरान एक शीशा, अंडा और मोमबत्ती भी पास रखी जाती हैं। इन लोगों का विश्वास है कि नया साल शुरू होते ही शीशे पर रखा अंडा उबलने लगता है और पानी में डाले गये बीज़ तैरने लगते हैं। इसके बाद लोग एक-दूसरे को नये साल की शुभकामनाएं देते हैं और खुशी में नाचने गाने का प्रबंध भी किया जाता है।
पर्शिया में लोग नये साल वाले दिन एक दूसरे को उपहार के तौर पर अंडे देते हैं। आयरिश में इस दिन लोग पेस्टरी खाते हैं। स्पेन में लोग 12 अंगूर आधी रात को खाते और नये साल की मनोकामनाएं करते हैं। यह परम्परा वहां 1895 से चली आ रही है। जर्मनी में नये साल वाले दिन जैम से भरे डोनट्स खाने का विशेष महत्व माना जाता है। नये साल की पूर्व संध्या मौके जर्मन टी.वी. स्टेशनों पर ‘1920 का ब्रिटिश कैबरे प्ले डिनर फॉर वन’ नाम का शो दिखाया जाता है, जिसको सभी देश के लोग बहुत उत्साह से देखते हैं। नार्वे और स्विट्ज़रलैंड में लोग इस दिन राइस पुडिंग खाते हैं। डैनमार्क में लोग इस दिन ‘क्रांसेकेज’ नाम का डेजर्ट बनाते हैं जो कोन के आकार का केक होता है। एस्टोनिया में कुछ लोग नये साल वाले दिन 7, 9 या 12 तरह के पकवान खाना शुभ शगुन मानते है।
जापान में लोग 31 दिसम्बर की शाम को ‘बकवीट न्यूडल’ खाते हैं। वह इसको ‘टोशीकोशीसोबा’ कहते है, जिसका अर्थ है साल खत्म होने पर खाने वाले न्यूडल। लोग नये साल के मौके पर घरों को सजाते और नये कपड़े पहनते हैं। यहां नये साल के आगमन पर आधी रात को 108 बार बजाई जाने वाली बौद्ध मंदिरों की घंटी की आवाज़ सुनते हैं, जिसको बुरी आत्माओं को भगाने वाली और शुद्धिकरण की प्रतिक माना जाता है। फिलीपीन्ज़ में लोग एक जनवरी को पोलका डाट्स वाले कपड़े पहनते हैं और गोल फल जैसे संतरा और चैरी खाते हैं। बैल्जियम में बच्चे नये साल के मौके पर अपने माता-पिता को चिट्ठी लिखते है, जिसको एक सजावटी कार्ड में रखते हैं। कई बच्चे खुद अभिभावकों को चिट्ठी पढ़कर सुनाते हैं।
स्कॉटलैंड में 31 दिसम्बर की रात को 12 बजने से पहले लोग अपने घरों में से बाहर आकर अपने दोस्तों के घरों में जाते हैं। 12 बजने के बाद जो मेहमान सबसे पहले घर में दाखिल होता है उसका स्वागत बहुत जोर शोर से किया जाता है। यहां के लोगों की मान्यता है कि नये साल का हरेक मेहमान अपने साथ सुख शांति और खुशहाली लेकर आता है। मेहमान अपने साथ जो भी उपहार लेकर आता है, उसको परिवार के सदस्यों में बांटा जाता है।
दक्षिण पूर्वी एशिया के बाली टापू में नये साल के अवसर पर ‘गालुंगन’ उत्सव मनाया जाता है। नये साल की खुशी में पूरी रात घरों के बाहर दीपमाला करते हैं। अमरीका में लोग 31 दिसम्बर की रात को देर तक पार्टियों में व्यस्त रहते हैं। कनाडा में पंजाबी भाईचारे द्वारा नये साल की खुशी में सांस्कृतिक प्रोग्राम करवाये जाते हैं, जिनमें पंजाब से गये लोक गायक अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।
-श्री आनंदपुर साहिब
मो-98780-70008