भारत और जापान की साझेदारी

जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की संक्षिप्त भारत यात्रा बहुत अर्थपूर्ण थी। यह आने वाले समय में दोनों देशों के संबंधों को और भी गहरा करने में सहायक होगी। इस समय एक हमले में मारे गये जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की याद आती है, जिन्होंने अक्सर दोनों देशों के संबंधों को घनिष्ठ बनाने के साथ-साथ इनको अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए भारत के साथ कई समझौते किये थे। फुमियो भी शिंजो आबे के साथी और प्रशंसक रहे हैं। उन्होंने भी दोस्ती की इन राहों को आगे बढ़ाया है। आज़ादी के बाद भारत को जापान से ही सबसे ज्यादा मदद मिलती रही है।
जापान भी पिछले लम्बे समय से लोकतांत्रिक और खुले समाज का हिमायती रहा है। एशिया में इन दोनों देशों की लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था प्राय: स्थिर एवं स्थायी रही है। आज यदि यामहा, टोयटा, होंडा और सोनी आदि कम्पनियों के नाम बहुत से भारतीयों की यादों में बसे हुए हैं तो यह जानना भी दिलचस्प है कि ये सभी कम्पनियां जापान की ही हैं। सुजूकी कम्पनी ने भी मारुति सुजूकी के नाम पर कारों के क्षेत्र में भारत में जो नाम कमाया है, वह हर किसी के होंटों पर है। अकेले इस कम्पनी के सिर पर ही जापान भारतीय मंडी में आज भी भारतीय भागीदारों के साथ संयुक्त रूप में सबसे बड़ा कार विक्रेता है। आज दिल्ली निवासी दिल्ली मैट्रो व्यवस्था पर गर्व करते हैं। यह मैट्रो जापान के सहयोग तथा मदद के साथ ही बनी थी।
पिछली शताब्दी में दूसरी बड़ी विश्व जंग के समय भारत से सैनिक अंग्रेजों की बस्ती का हिस्सा होने के कारण जापान और उसके भागीदारों के विरुद्ध लड़ी थी लेकिन उस समय भी जापान द्वारा बर्मा में जंग जीत जाने के बाद जो 67 हज़ार के करीब भारतीय सैनिक पकड़े गये थे, उन्होंने भी पहले जनरल मोहन सिंह के नेतृत्व में तथा बाद में आज़ाद हिंद फौज के रूप में अंग्रेज़ सेना से टक्कर ली थी। दोनों देशों की संस्कृतियों के बेहद पुराने संबंध हैं। 6वीं सदी में भारत से ही बुद्ध धर्म जापान गया था। आज भी जापान में बुद्ध धर्म के अनुयायियों की बहुसंख्या होने के कारण भारत से उसके सदियों से ही सांस्कृतिक संबंध बने रहे हैं। अब जब कि हिन्द प्रशांत क्षेत्र में चीन अपना दबदबा बनाने के यत्न में है, तो उस समय भी जापान तथा भारतीय नौसेना ने आपस में मिल कर जो अभ्यास किये हैं, वे इन दोनों की भागीदारी का एक बड़ा उदाहरण है। अपने 27 घंटों के दौरे के दौरान जापानी प्रधानमंत्री ने भारत के साथ बढ़ते आर्थिक सहयोग को न सिर्फ लाभदायक ही बताया  बल्कि इन्हें जापान के लिए आर्थिक विकास का ज़रिया भी करार दिया। जापानी प्रधानमंत्री ने आसियान तथा अन्य देशों के साथ मिलकर काम करने को अहम करार देते हुए मुक्त हिन्द प्रशांत क्षेत्र की धारणा को भी दृढ़ किया और इस संदर्भ में भारत की भूमिका के महत्व को भी माना है। 
इस संक्षिप्त दौरे में आगामी पांच वर्षों में जापान द्वारा भारत में 50 खरब जापानी येन के निवेश की घोषणा बेहद महत्वपूर्ण है। दोनों देशों के बीच हुए समझौतों में डिजिटल साझेदारी, व्यापार, तक्नालोजी, स्वास्थ्य तथा रक्षा उपकरणों में भागीदारी को सुनिश्चित बनाया गया है। जापान तकनीक के पक्ष से बेहद उन्नत देश है। उसके द्वारा सैमीकण्डक्टर तथा अन्य महत्वपूर्ण तक्नालोजी देने की वचनबद्धता की बड़ी अहमियत मानी जा सकती है। भारत के लिए यह बात भी महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक तरह के उत्पादन के क्षेत्र में जापान हमेशा उसके लिए सहायक सिद्ध हुआ है। आगामी समय में भी बन चुकी सहयोग की ऐसी भावना से दोनों देशों की खुशहाली जुड़ी दिखाई देती है। 
           

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द