‘मनरेगा’ का वरदान

वर्ष 2024-25 के बजट में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना) के तहत 86 हज़ार करोड़ रुपये आरक्षित रखे गए हैं, परन्तु पिछले वर्ष इस योजना के तहत 60 हज़ार करोड़ की राशि रखी गई थी। इस वर्ष इसमें 26 हज़ार करोड़ की वृद्धि तो की गई है, परन्तु पिछले वर्ष इस योजना के तहत 1.05 लाख करोड़ खर्च किए गए थे। इस वर्ष के बजट में इसका हिस्सा 1.78 प्रतिशत है। यह योजना सितम्बर, 2005 में कांग्रेस के प्रशासन में शुरू की गई थी। इसके तहत प्रत्येक ग्रामीण परिवार के लिए वर्ष में 100 दिन रोज़गार देने की गारंटी है। अब तक इस योजना के अधीन अरबों रुपए खर्च किए गए हैं। नि:संदेह इसे गरीबों एवं ज़रूरतमंदों को रोज़गार उपलब्ध करने के क्षेत्र में एक बेहतरीन कदम माना जाता रहा है।  इस बात का अनुमान लगाना कठिन नहीं, जब विश्व आर्थिक मंदी से जूझ रहा था तो भारत में यह योजना  ग्रामीण क्षेत्रों में ज़रूरतमंदों का बड़ा सहारा बनी रही थी। इसका कार्य क्षेत्र विशाल होने के कारण समय-समय पर इसकी त्रुटियां भी उजागर होती रहीं तथा इसमें सुधार भी किये जाते रहे। यह एक बड़ी उपलब्धि माना जाएगा कि अब डिज़ीटल अदायगी के स्रोतों द्वारा इसे संबंधित लोगों के बैंक खातों के साथ सीधा जोड़ दिया गया है। जिस कारण अदायगी में धांधली की शिकायतें बड़ी सीमा तक कम प्रतीत होती हैं। 
इसके साथ ही इसकी एक विशेषता यह भी मानी जाती रही है कि इसमें महिलाओं की हिस्सेदारी अधिक है। बड़ी संख्या में लोगों द्वारा निश्चित काम किए जाने के बावजूद चाहे उस सीमा तक उत्पादकता नहीं बढ़ सकी, जिसकी उम्मीद की जाती थी, इस ओर सरकारों को अधिक ध्यान देने की ज़रूरत होगी। इस के तहत पानी बचाने की एवं वृक्ष लगाने की योजनाओं को भी पूर्ण करके इससे पूरा लाभ उठाया जा सकता है। इसकी विलक्षणता यह है कि विश्व भर के देशों में शायद ही ज़रूरतमंद लोगों से जुड़ी कोई ऐसी योजना हो। समय-समय पर इस योजना के अधीन किए जाते कामों के लिए मज़दूरी की दरें बढ़ाने की मांग उठती रही है। इस कारण समय-समय पर अलग-अलग राज्यों में मज़दूरी की दरें निश्चित भी की जाती रही हैं। वर्ष 2024-25 के लिए केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से नई मज़दूरी दरें जारी की गई हैं। इस समय हरियाणा तथा सिक्किम में 374 रुपए तथा गोवा में प्रति दिहाड़ी 356 रुपए निश्चित की गई है। शेष राज्यों में प्रतिदिन दिहाड़ी इससे कम है।
इस योजना के अधीन मज़दूरी की दरों में और भी वृद्धि करने की मांग उठ रही है। इसके साथ ही मौजूदा बजट में 86 हज़ार करोड़ रुपए की राशि को भी बढ़ाने की मांग की जा रही है, जिसके संबंध में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह बयान ज़रूर दिया है कि ज़रूरत एवं मांग के अनुसार घोषित की गई राशि में वृद्धि भी की जा सकती है। चाहे मौजूदा सरकार ने अपने पहले कार्यकालों में तथा अब भी मुफ्त खाद्यान्न योजनाओं को भी जारी रखा हुआ है परन्तु हम मनरेगा योजना को इससे कहीं बेहतर समझते हैं, जिससे संबंधित परिवारों में श्रम के साथ जुड़कर सन्तोष पैदा होता है। इस योजना में की गई वृद्धि तथा इसकी निरन्तरता ग्रामीण क्षेत्रों में काम के अनिश्चित हालातों के डर को दूर करने में और भी सहायक हो सकती है। किसी भी सरकार के लिए इस योजना को बेहतर से बेहतरीन बनाने के यत्नों में ही उसकी सफलता मानी जाएगी।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द