कंटेंट क्रिएटर

हालांकि आज सोशल मीडिया में कंटेंट क्रिएटरों की जो लंबी चौड़ी फौज है, उनमें से कुछ मुट्ठीभर ने ही शुरुआत के समय यह सोचा होगा कि आगे चलकर वे जाने माने कंटेंट क्रिएटर या सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर बनेंगे। शुरु में ज्यादातर लोगों ने यह यात्रा शौकिया शुरु की थी, लेकिन आज सोशल मीडिया में कंटेंट क्रिएशन एक बड़ी इकोनॉमी बन चुकी है और दुनिया की अगर बात न करें तो अकेले हिंदुस्तान में ही 10 लाख से ज्यादा लोग हैं, जो यू-ट्यूब में शौक के चलते नहीं बल्कि रोजी रोटी के तौर पर कंटेंट अपलोड करते हैं। हालांकि इस बारे में कोई अधिकृत आंकड़ा तो नहीं है, लेकिन भिन्न-भिन्न अनुमानों का जो एक साझा निष्कर्ष है, उसके मुताबिक सोशल मीडिया से करीब 6 लाख लोग मध्यम दर्जे की रोजी रोटी कमा रहे हैं यानी उन्हें हर महीने औसतन 35 से 40 हजार रुपये की आय हो जाती है। 
करीबन 20 से 30 हजार ऐसे कंटेंट क्रिएटर भी हैं जो हर महीने औसतन 70 से 80 हजार रुपये कमा लेते हैं और करीब 5 हजार ऐसे सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर हैं, जिनकी वार्षिक कमाई 12 से 14 लाख रुपये है। जबकि 300 से 500 के बीच ऐसे कंटेंट क्रिएटर हैं जिनकी वार्षिक कमाई 50 लाख रुपये या इससे भी अधिक है।
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि धीरे-धीरे किस तरह सोशल मीडिया एक बड़ी अर्थ-व्यवस्था के रूप में उभर रही है। एक अमरीकी अध्ययन के मुताबिक साल 2022 के अंत तक कंटेंट क्रिएटर इकोनॉमी 21 बिलियन डॉलर से पार जा चुकी थी और 28 से 30 प्रतिशत की दर से नियमित आगे बढ़ रही थी। साल 2020-21 में तो कंटेंट इकोनॉमी 100 से 175 प्रतिशत तक बढ़ी है। कुल मिलाकर आज की लाइफस्टाइल का जिस तरह से सोशल मीडिया कंटेंट हिस्सा बन चुका है, उसे देखते हुए यह कतई नहीं सोचा जा सकता कि आने वाले निकट भविष्य में कभी कंटेंट इकोनॉमी में मंदी आयेगी। उसकी कई वजहों में से एक बड़ी वजह यह है कि उद्योग जगत को अपने कारोबार के विज्ञापन और विपणन  के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आज भी सबसे ज्यादा सस्ता है और भविष्य में भी ये बाकी प्लेटफॉर्म के मुकाबले सस्ता रहेगा। इसलिए आज अकेले भारत की ही जो कंटेंट इकोनॉमी 300 अरब रुपये को पार कर चुकी है और अगर विश्व परिदृश्य में नज़र मारकर देखें तो दुनिया की कंटेंट इकोनॉमी एक हजार अरब रुपये की सीमा भी पार कर चुकी है।
इन सब निष्कर्षों का लब्बोलुआब यह है कि आने वाले दिनों में कंटेंट क्रिएटरों की मांग काफी ज्यादा होगी। खासकर अगले 24-25 सालों तक तो भारत में इसका बोलबाला रहना ही है। जिस तरह से भारत विकासशील से विकसित देश की तरफ बढ़ेगा, सोशल मीडिया में इसकी लगातार धमाचौकड़ी बनी रहनी तय है और यह हलचल कंटेंट इकोनॉमी को नई ऊंचाईयों तक पहुंचायेगी। सवाल ये है कि अगर आपको इस फील्ड में अपना कॅरियर बनाना हो तो सबसे पहले अपने अंदर यह जांचना होगा कि क्या आपमें किसी विषय पर शोध, लेखन, संपादन के साथ साथ टारगेट ऑडियंस  की ज़रूरतों को जानने समझने का गुण है? किसी भी कंटेंट क्रिएटर को सबसे पहले एक ऐसा लेखक बनना होता है, जिसकी लिखी हुई चीजों पर ऑडियंस देखने और सुनने को उत्सुक हो? इस तरह जहां कंटेंट क्रिएटर बनने के लिए आपमें क्रिएटिविटी की खूबी होनी चाहिए, वहीं चूंकि कंटेंट अकेला विचार नहीं है बल्कि विचार को प्रस्तुत करने की तकनीक और कला भी है। इसलिए हमें इसके बनाने की कला में भी पारंगत होना पड़ेगा।
जहां तक कंटेंट क्रिएटर बनने के लिए औपचारिक डिग्री का सवाल है तो आप राइटिंग, कॉपी राइटिंग, कंटेट स्ट्रटेजी, सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएशन और कंटेंट मैनेजमेंट जैसे कोर्स पर विचार कर सकते हैं। हालांकि ज्यादातर जन संचार संस्थानों में अभी तक पत्रकारिता और संचार माध्यमों से संबंधित ही कोर्स उपलब्ध हैं। 
इसके अलावा चूंकि यह लगातार तेजी से एक साथ पूरी दुनिया में विकसित हो रहा क्षेत्र है, इसलिए इसके संबंध में दर्जनों ऑनलाइन कोर्स मौजूद हैं, उन्हें देखकर आप अपनी ज़रूरत के हिसाब से कोर्स चुन सकते हैं। जहां तक व्यवहारिक सलाह की बात है तो इस क्षेत्र में अगर आर्थिक कमाई के मद्देनज़र आपको अपनी तैयारी करनी है, तो किसी क्षेत्र विशेष की जानकारियां देने में आपको विशेषज्ञता हासिल करनी होगी। मसलन चाहे खानपान का फूड और रेस्त्रां बाजार हो या फैशन का बाज़ार हो या मैडीकल और हॉस्पिटैलिटी का क्षेत्र हो।
हर क्षेत्र अपने प्रचार प्रसार के लिए आजकल बड़े पैमाने पर इस सोशल मीडिया का सहारा लेता है। फैशन बाजार पर विश्वसनीय और लोगों को पसंद आने वाले वीडियो बनाने के लिए आपको न सिर्फ इस क्षेत्र की विस्तार से जानकारी हासिल करनी होगी बल्कि इस विशेष क्षेत्र की भाषा, कारोबारी अंदाज और उसकी लोकप्रिय शब्दावली भी सीखनी होगी। तभी आप इस क्षेत्र में अच्छी कमाई करने वाले कंटेंट क्रिएटर बन सकते हैं। अगर आप इसे अपना कॅरियर बनाना चाहते हैं तो इस तरह के रवैय्ये से बचना होगा। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर