जेम्स की खोज कब हुई ?

‘दीदी, जेम्स क्या होते हैं?’
‘कटे और पॉलिश किये हुए बहुमूल्य पत्थर या मोटी जो ज़ेवरात में इस्तेमाल करने के लिए उत्तम माने जाते हैं।’
‘जेम्स की खोज मनुष्य ने कब की?’
‘यह तो किसी को नहीं मालूम, लेकिन इतना तय है कि प्राचीन समय से ही जेम्स ने मनुष्यों को आकर्षित किया हुआ है। हज़ारों वर्षों से जेम्स को तावीज के रूप में पहना जा रहा है ताकि बुरी बलाओं व रोगों से व्यक्ति सुरक्षित रहे। आज भी बहुत से लोगों का मानना है कि जेम्स में यह शक्ति होती है।’
‘क्यों? ऐसी मान्यता क्यों है?।
‘प्राचीन परम्परा एक कारण है और दूसरा यह कि जेम्स का उल्लेख धर्मग्रंथों में भी मिलता है। मसलन, बाइबिल में पलायन के 28वें अध्याय से मालूम होता है कि मुख्य पुजारी आरोन अपने सीने पर एक प्लेट लटकाये रहता था, जिसमें 12 कीमती पत्थर जड़े हुए थे।’
‘अच्छा।’
‘प्राचीन मिस्र में जेम्स आभूष्ण व तावीज़ के रूप में प्रयोग किये जाते थे। जेम्स को तराशने में मिस्री अति कुशल थे और कीमती पत्थरों पर उनका लेखन आज भी मौजूद है। मिस्री अजीब तावीज़ पहनते थे, जिन्हें स्कारब कहते थे। कीमती पत्थर पर मिस्र की पवित्र बीटल की आकृति नक्काशी की जाती थी, उसे ही स्कारब कहते थे।’
‘इसका कोई विशेष फायदा समझा जाता होगा।’
‘हां, जिनके पास स्कारब होता, उनके बारे में यह समझा जाता कि वह खुशहाल जीवन व्यतीत करते हैं।’
‘प्राचीन समय में अलग-अलग प्रकार के जेम्स में अंतर कैसे करते थे?’
‘रंगों से। जो भी लाल रंग का कीमती पत्थर होता उसे रूबी कहते। सभी हरे पत्थर एमरल्ड कहलाते और सभी नीले पत्थर सफायर।’
‘आज क्या स्थिति है?’    
‘बाद में यह मालूम हुआ कि कुछ जेम्स सख्त होते हैं और लम्बे समय तक चलते हैं। इसलिए जेम्स का मूल्य केवल रंग, चमक व दुर्लभता पर ही नहीं बल्कि हार्डनेस पर भी निर्भर करने लगा। इसलिए हीरा या डायमंड सबसे कीमती जेम है क्योंकि उससे हार्ड कोई दूसरा पत्थर है ही नहीं। हालांकि सभी जेम्स को कीमती पत्थर माना जाता है, लेकिन इनमें केवल चार ही सबसे अधिक मूल्य के हैं : डायमंड, रूबी, एमरल्ड और सफायर।’
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर