आर्थिक नींव को पुख्ता करने वाला बजट

इस आम बजट की तीन खास बातें हैं जो रोज़गार से लेकर अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने वाली साबित हो सकती हैं। एक कृषि, दूसरी रोज़गार और तीसरी आयकर दाताओं को राहत। इसीलिए इस बजट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमृत काल के संदर्भ में महत्वपूर्ण मानते हुए कहा है कि यह आम बजट पांच साल के लिए हमारी दिशा तय करने के साथ ही 2029 तक विकसित भारत की आधारशिला रखने में अहम भूमिका निभाता रहेगा। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि उत्पादकता, बेरोज़गारों को नामी कम्पनियों में प्रशिक्षण देते हुए पांच हज़ार रुपये की परिश्रमिक राशि और बाज़ार को बढ़ावा देने की दृष्टि से कर सारणी में करप्रदाताओं को राहत की व्यवस्ता की है। इसके अलावा समग्र मानव संसाधन विकास, ऊर्जा सुरक्षा, ढांचागत विकास, शोध-अनुसंधान जैसे विषयों को प्राथमिकता देते हुए बजट में प्रावधान किया गया है।
युवाओं को रोज़गार देना देश में इस समय एक बड़ी समस्या के रूप में देखा जा रहा है। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा में दक्ष होने के बावजूद रोज़गार दूर की कौड़ी बना हुआ है। इस समस्या के समाधान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण पहल करते हुए रोज़गार और कौशल प्रशिक्षण से जुड़ी पांच योजनाओं के लिए दो लाख करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। पांच वर्षों में 4 करोड़ 10 लाख युवाओं के लिए दक्षता प्राप्त करने हेतु 500 स्थापित कम्पनियों में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इन युवकों को केंद्र सरकार पांच हजार रुपये प्रतिमाह सीधे खाते में जमा कराएगी।
इस बजट में किसान और कृषि की स्थिति को मज़बूत बनाने के नज़रिए से 1.52 लाख करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित है। पिछले वर्ष इस मद में 1.25 लाख करोड़ रुपये दिए गए थे। अतएव अब 25000 करोड़ रुपये अतिरिक्त दिए गए हैं। पांच राज्यों में नए किसान के्रडिट कार्ड जारी किए जाएंगे। हालांकि किसानों को फसल पर दी जाने वाली सब्सिडी पर इस बजट में कोई नया प्रावधान नहीं है। किसान लम्बे समय से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी रूप देने की मांग कर रहे हैं। यदि इसे कानूनी रूप दे दिया जाता है तो करीब 17 लाख करोड़ रुपये वार्षिक अतिरिक्त खर्च आएगा, नतीजतन देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो सकती है। किसान उन्हीं फसलों को उगाएंगे, जिन पर ज्यादा सब्सिडी मिलेगी और जिनकी बाज़ार में मांग ज्यादा होगी। ऐसे में किसान मोटे अनाज, जिनमें पोषक तत्व अधिक होते हैं, की कृषि नहीं करेंगे जबकि बीमार होते देश के लिए मोटा अनाज आज की ज़रूरत बन गई है।
इस बजट में आम करदाता को खुश करने की कोशिश की गई है। इसलिए कर सारणी में सुधार किया गया है। अब तीन लाख की आमदनी पर कोई कर नहीं लगेगा। तीन से सात लाख रुपये की आय पर पांच फीसदी, सात से दस लाख पर 10 फीसदी, दस से बारह लाख पर 15 फीसदी, बारह से पन्द्रह लाख पर 20 फीसदी और पन्द्रह लाख से अधिक आय पर 30 प्रतिशत कर लगेगा। यह करदाताओं के लिए एक बढ़ी राहत है। इससे बाज़ार में पैसे की तरलता बढ़ेगी और व्यापारियों को आर्थिक लाभ होगा।
बजट में कैंसर की दवा, सोना-चांदी, प्लेटिनम, मोबाइल फोन, मोबाइल चॉर्जर, बिजली के तार, एक्सरे मशीन, सौर ऊर्जा संयंत्र, चमड़ा और समुद्री खाद्य साम्रगी सस्ते किए गए हैं। सौर घर योजना पर सब्सिडी जारी रहेगी। मोबाइल और चार्जर पर कस्टम ड्यूटी घटाकर 15 प्रतिशत कर दी गई है। सोना और चांदी के गहनों पर भी यह ड्यूटी घटाकर 6 प्रतिशत कर दी गई है। संचार, उपकरण 15 प्रतिशत और प्लास्टिक का समान 25 प्रतिशत महंगे किए गए हैं। यह साम्रगी इसलिए महंगी की गई है, क्योंकि यह साम्रगी खराब होने के बाद फेंक दी जाती है, जिससे कई तरह का प्रदूशण बढ़ता है। साथ ही पशुधन के मुंह में भी यह साम्रगी चली जाती है, जिससे वे बेमौत मारे जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार नीतिश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की बैसाखियों पर टिकी है। अतएव इन दोनों नेताओं की मांग पूरी करते हुए बिहार को 59 हजार करोड़ रुपये और आंध्र प्रदेश को15 हज़ार करोड़ रुपये का विशेष पैकेज दिया गया है। लिहाजा माना जा रहा है कि पूरे पांच साल राजग सरकार केंद्रीय सत्ता में बनी रहेगी।

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