क्या हकलाने का इलाज संभव है?

दीदी, मेरी क्लास में एक लड़का है, जो हकलाता है। वह अच्छा भला लड़का है, लेकिन मेरी समझ में नहीं आता कि वह हकलाता क्यों है?’
‘यह बताने से पहले मैं तुम्हें कुछ महत्वपूर्ण बात बताना चाहती हूं। हममें से हर कोई ऐसे व्यक्ति से मिला है, जो हकलाता हो। ऐसे व्यक्तियों के साथ समझ व हमदर्दी से पेश आना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से बहुत से लोग हैं, जिनमें कॉमेडियन भी हैं, जो यह समझते हैं कि यह मज़ाक का विषय है।’
‘हम तो अपने सहपाठी का बिल्कुल मज़ाक नहीं उड़ाते।’
‘अच्छा करते हो। दरअसल व्यक्ति उस समय हकलाता है, जब उसके बोलने के अंगों में स्पाज्म या पेशी-संकोचन हो यानी एक प्रकार की टूटन, जिससे शब्द अचानक व्यक्त नहीं किये जाते और बोलने में पॉज या रुकावट आ जाती है। इसके बाद अक्सर ऐसा होता है कि जिस ध्वनि पर रुकावट हुई थी, उसे तेज़ी से दोहराया जाता रहता है।’
‘तो सामान्य बोलने के लिए क्या चाहिए होता है?’
‘हममें से अधिकतर सामान्य तौर पर बोलते हैं, बिना यह एहसास किये कि बोलना एक जटिल प्रक्रिया है। लेकिन बोलने के लिए बहुत ही गजब के समन्वय की आवश्यकता होती है गले, गाल, जीभ व होंठों में। जब यह समन्वय पर्याप्त कर्मठता से नहीं किया जाता, तो नतीजा हकलाना होता है, जो अनेक प्रकार का होता है।’
‘कौन कौन से प्रकार का?’
‘कुछ मामलों में कुछ वर्णों या शब्दों का उच्चारण करने में कठिनाई होती है। जो अति गंभीर मामले होते हैं, उनमें जीभ, गले, चेहरे व सांस से संबंधित मांसपेशियों में स्पाज्म होता है।’
‘क्या व्यक्ति पैदाइशी ही हकलाता है?’
‘चार या पांच वर्ष की आयु से पहले बच्चा बामुश्किल ही हकलाता है। जब वह हकलाना शुरू करता है तो वह किसी शारीरिक डिसऑर्डर या भावनात्मक गड़बड़ी के कारण हो सकता है।’
‘क्या इसका कोई इलाज नहीं है?’
‘कुछ मामलों में ऐसा प्रतीत होता है कि पढ़ने में निर्देश देने, जानबूझकर धीरे-धीरे बोलना और हर वर्ण का ध्यानपूर्वक उच्चारण करने से हकलाने को ठीक किया जा सकता है। जब हकलाने का एहसास हो तो व्यक्ति को बोलते समय अपने श्वांस पर नियमन का तरीका भी सीखना चाहिए। जो ध्वनि या ध्वनियों का मिश्रण विशेष समस्या प्रस्तुत करते हैं उनका ध्यानपूर्वक अध्ययन किया जाना चाहिए और इस कमी को काफी हद तक दूर किया जा सकता है, पढ़ने का सही से अभ्यास करके। जो भी हो उपचार विशेषज्ञों द्वारा ही किया जाना चाहिए और अगर हकलाने का भावनात्मक आधार है तो उस पर भी गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।’

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर